आधार कार्ड
29.10.2012 भारत
में आधार परियोजना को लेकर ज्यादातर इस मुद्दे पर बहस होती है कि क्या इससे गरीबों
की सचमुच में मदद होगी या नहीं.अब जबके लोगों के आधार कार्ड बनकर तैयार होने लगे
हैं तो इस मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष दोनों लोगों की राय खुलकर सामने आने लगी है. सरकार की ज्यादातर कल्याणकारी
योजनाएं इन्हीं गरीब लोगों के लिए बनाई जाती है लेकिन सरकार के अपने ही सर्वेक्षण
बताते हैं कि ज्य़ादातर गरीब सरकारी योजना का फायदा नहीं उठा पाते और अधिक समृद्ध
लोग सरकारी योजना का लाभ लेते हैं,
जमीनी अनुभव से पता चलता है कि आधार
योजना मौजूदा प्रणाली में होने वाली गड़बड़ियों को खत्म तो नहीं कर सकती है हां
लेकिन उसमें थोड़ी सुधार कर सकती है.लेकिन अगर योजना का लाभ उठाने वाले गरीब लोग
और इससे जुड़े सरकारी अधिकारियों के बीच मिली-भगत हो जाए तो फिर आधार कार्ड के
जरिए इस भ्रष्टाचार को नहीं पकड़ा जा सकता है.
अभी तक सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं
दिखती कि वो स्वास्थ, शिक्षा और जनवितरण
प्रणाली में आधार कार्ड का इस्तेमाल करना चाहती है. इसके लिए सरकार को आधारभूत
ढांचों को ठीक करना होगा जिसमे अरबों रूपए खर्च होंगे.वैसे लोग जो बहुत ज्यादा
हाथों से काम करते हैं, उनकी उंगलियों के
निशान को सही तरीके से पढ़ना मुश्किल होता है. और आंखों की पुतलियों की जांच करने
वाले स्कैनर फिंगरप्रिंट्स की जांच करने वाली मशीनों की तुलना में काफी मंहगे होते
हैं इसका अर्थ ये हुआ कि बहुत सारी कंपिनयां इसका इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी. तकनीकी कमियां भी आधार योजना के लिए एक बड़ी चुनौती है. यूआईडी प्राधिकरण के एक अध्ययन से पता चलता है कि पहचान की जांच करने का
ये तरीका पूरी तरह सुरक्षित नहीं है, इससे ये सवाल खड़ा
होता है कि क्या इस परियोजना कि निगरानी ठीक तरह से नहीं हो रही है या फिर खर्च
में कटौती के कारण कमजोर सेवाएं दी जा रही हैं.
लेकिन इन चुनौतियों से अलग एक
दूसरी बड़ी समस्या है गरीबों के लिए बनाई गई योजनाओं से हटकर इसको सभी भारतीयों के
लिए लागू करना जैसे कि आधार कार्ड के जरिए रेलवे की टिकट खरीदना.
आधार योजना भारत की सूचना तकनीक से
जुड़े उद्योग को पूरी तरह बदल सकती है जैसा कि हाईवे सड़क विकास योजना ने निर्माण
उद्योग को बदल दिया है.

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें