सड़क निर्माण प्रक्रिया
यह चिंता का विषय है कि जिस देश में हर साल लगभग एक लाख लोग सड़क हादसों में मारे जा रहे हों , वहां सुपरफास्ट एक्सप्रेस-वे बनाना कहां तक न्यायोचित व प्रासंगिक है ? व्यस्ततम समय में टोल नाकों पर वाहनों की लंबी लाइन और वहां पहले निकलने की जुगाड़ में एक दूसरे को धकियाते वाहन और उनको नियंत्रित करने वाली किसी व्यवस्था का न होना दर्शाता है कि यहां लोग ऐसी सड़कों पर चलने के लायक नहीं हैं और व्यवस्थाएं भी इतनी चाक चौबंद नहीं हैं सड़कों पर दुर्घटनाओं को रोक सकें. सुपरफास्ट ट्रैफिक के लिए बनी सड़कों के फ्लाइओवरों पर साइकिल , रिक्शा या रेहड़ी का बीच में ही अटक जाना व उसके पीछे वाहनों का रेंगना सड़क के साथ-साथ र्इंधन की भी बर्बादी करता है , लेकिन इसकी देखभाल के लिए कोई नहीं है. सचाई यह है कि हमारे देश में एक भी सड़क ऐसी नहीं है , जिस पर कानून का राज हो. सड़कों पर इतना खर्च हो रहा है , इसके बावजूद सड़कों पर चलना यानी अपने को , सरकार को व उस पर चल रहे वाहनों को कोसने का नाम हो गया है. सवाल है कि सड़क की दुर्गति कैसे होती है. दरअसल , सड़क निर्माण प्रक्रिया में नौसिखियों ठेकेदारों व त...