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साधारण

मैं हमेशा कहता हूँ कि, 'उम्मीदें पालने के मामले में एकदम ज़ीरो हूँ'..और इसीलिए हमेशा साधारण बने रहना भला लगता है और वही हूँ भी..तारीफ़ किये जाने पर असहज हो जाता हूँ और बगलें झाँकने लगता हूँ.. दरअसल, मुझे ख़ास ट्रीट किया जाना पसंद नहीं, या यूँ कहें कि कभी ऐसा लगा ही नहीं कि ऐसा हो सकता हूँ मैं..घर हो, दोस्त हों, प्रोफ़ेशन हो या कुछ और..ख़ास होने की कभी आदत रही नहीं, या यूँ भी कह सकते हैं कि साधारण ट्रीट किया जाना भी सेलिब्रिटी-टाइप लगता है.. कुछ लोग ऐसे ही होते हैं, एकदम सामान्य!

कमी....

परवाह मत कीजिए, कि आप अकेले हैं और भीड़ आपके खिलाफ़। परवाह मत कीजिए, कि कातिल को कातिल ठहराने की सौ वजहें है; जबकि बेकसूर ठहराने को एक। परवाह मत कीजिए, कि भीड़ कितने गुस्से में है और आपके साथ क्या सलूक करेगी। क्योंकि अगर आप इन बातों की परवाह करेंगे तो यकीनन, आपका ज़मीर मरा हुआ होगा। मैं मानता हूँ, कि भारतीय न्याय व्यवस्था बड़ी जटिल और लेट-लतीफी है। और यह एक लोकतांत्रिक देश के लिए बड़े शर्म की बात है। परन्तु मुझे अपने देश के कानून व्यवस्था पर इस बात का गर्व भी है, कि ये एक कुसूरवार को भले ही छोड़ देती है मगर एक बेकसूर को फाँसी के फंदे में नहीं लटकाती।  मुझे नहीं पता कि इतने गंभीर मुद्दों पर आजकल फिल्मे क्यों नहीं बनती। शायद इसलिए क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री भी एक व्यापार का अड्डा बन कर रह गया है। या शायद इसलिए कि ऐसी फिल्मो से प्रोड्यूसर की लागत भी नहीं निकलती। अव्वल तो यह कि ऐसी फिल्मो को समझने के लिए पेशेन्स और हाई थिंकिंग दोनों ही की जरूरत पड़ती है। और विडम्बना यह, कि हम भारतीयों में इन्हीं दोनों चीजों की सख़्त कमीं पायी जाती है। 

श्रेष्ठ जीवन

जीवन में बुराई अवश्य हो सकती है मगर जीवन बुरा कदापि नहीं हो सकता। जीवन एक अवसर है श्रेष्ठ बनने का, श्रेष्ठ करने का, श्रेष्ठ पाने का। जीवन की दुर्लभता जिस दिन किसी की समझ में आ जाएगी उस दिन कोई भी व्यक्ति जीवन का दुरूपयोग नहीं कर सकता। जीवन वो फूल है जिसमें काँटे तो बहुत हैं मगर सौन्दर्य की भी कोई कमी नहीं। ये और बात है कुछ लोग काँटो को कोसते रहते हैं और कुछ सौन्दर्य का आनन्द लेते हैं। जीवन को बुरा सिर्फ उन लोगों के द्वारा कहा जाता है जिनकी नजर फूलों की बजाय काँटो पर ही लगी रहती है। जीवन का तिरस्कार वे ही लोग करते हैं जिनके लिए यह मूल्यहीन है। जीवन में सब कुछ पाया जा सकता है मगर सब कुछ देने पर भी जीवन को नहीं पाया जा सकता है। जीवन का तिरस्कार नहीं अपितु इससे प्यार करो। जीवन को बुरा कहने की अपेक्षा जीवन की बुराई मिटाने का प्रयास करो, यही समझदारी है।

शेखावाटी

🙏 #हमें_गर्व_है_की_हम‌_मारवाड़ी_है... राजस्थान के शेखावाटी इलाके के तीन जिलों चूरू, सीकर और झुंझुनू । देश के तमाम बड़े औद्योगिक घराने फिर चाहे वो बिरला हो, सिंघानिया हो, सेकसरिया हो, मित्तल या बजाज हो, डालमिया या रुइया हो, पोद्दार हो, खेतान हो, गोयनका हो, पीरामल हो, झुनझुनवाला हो, चमड़िया हो, नेवटिया हो, सर्राफ हो, मोदी हो, देवरा हो या केडिया, कजारिया हो, रुंगटा हो,केजड़ीवाल हो, जाजोदिया हो, भरतिया हो, बगडिया हो, खेमका हो, सरावगी हो इत्यादि सब इसी शेखावटी माटी के लाल है। इसी माटी ने देश को सबसे ज्यादा वीर सपूत दिए जिन्होंने भारतीय फौज में देश के लिए लड़ते हुए वीरगति पाई। चारो तरफ रेगीस्तानी बीहड़ वाली इस माटी ने देश को ना जाने कितने सपूत दिए। आश्चर्यजनक रूप से एक सवाल जो हर बार के सफर करते हुए बार बार मेरे मन में आ ही जाता था, वो ये की आखिर क्या खास बात है शेखावटी की इस माटी में जो यहां से निकलने वाला हर छोरा देश का नाम दुनिया भर में रोशन करता है, या फौज में जाता है या व्यापारी बनता है । ना यहां पानी की भरमार है, न अनाज की पैदावार ज्यादा है, मिट्टी के टीले रेतीले है। वृक्ष भी फलदार नही...

राम मंदिर

 सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब अयोध्या में भगवान श्रीराम के जन्मस्थान पर ही भव्य मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। इतिहास की एक भूल को सुधारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह सर्वसम्मति से फैसला दिया और विवादित ढांचा तोड़े जाने के कारण मस्जिद निर्माण के लिए अलग से पांच एकड़ भूमि के आवंटन का निर्देश दिया है वह अभूतपूर्व कहा जा सकता है। दरअसल न्यायिक इतिहास में भी यह ऐतिहासिक घटना है जो देश के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सरोकारों को एकजुटता के सूत्र में बांधेगी। और उससे भी बढ़कर जिस तरह हर संप्रदाय के लोगों ने इस फैसले को स्वीकार किया है उससे आपसी समझ और सम्मान की गांठ मजबूत होगी। दिल से इस फैसले को स्वीकार करने पर राम राज्य वापस आ जाएगा ऐसा तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन इसकी शुरुआत जरूर हो सकती है। देश ने इस बार शांति और सद्भाव के साथ इसकी जबरदस्त झलक दिखाई है। 5 बड़े फैसले के 5 बड़े मतलब। हिंदुओं के लिए मंदिर निर्माण का रास्ता खुलने के बाद देश के हिंदू समुदाय की बहुप्रतीक्षित मांग पूरी हुई। अयोध्या और राममंदिर का उनके लिए विशेष महत्व है। मुस्लिम समाज के लिए- एक अहम मामले का स...

ग़रीबी

गरीबी को अगर पारिभाषित किया जाए, तो यह वह स्थिति है, जिसमें एक इंसान के पास जीवन जीने के बुनियादी साधनों या इसके लिए धन का अभाव निरन्तर बना रहता है। वर्तमान समय में भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का आंकड़ा 29.8 प्रतिशत है। एक गरीब होने का मतलब दो वक़्त की रोटी, पेट भर खाना नसीब नहीं होना, सिर छुपाने के लिए घर न होना, पैसों की किल्लत की वजह से बीमार होने पर अस्पताल में बेहतर इलाज न करा पाना, कई महीनों तक सरकारी अस्पतालों के चक्कर काटते रहना है। वहीं, एक गरीब से जब हमने पूछा कि उसके लिए गरीब होने का मतलब क्या है, तो उसने बस एक शब्द कहा और वह शब्द है ‘दुर्भाग्य’। वहीं, कई मंदिरों के दर पर भीख मांगने वालों ने गरीबी को ही अपनी तकदीर मान लिया है। सरकारें आईं और गईं, लेकिन इस गरीबी नामक समस्या का कोई इलाज नहीं हो सका। गरीबी देश के लिए एक ऐसी समस्या बनकर खड़ी हुई है, जो देश के आर्थिक विकास में बाधक है। गरीबी एक ऐसी बीमारी है, जिससे अपराध, अशिक्षा, जैसी कई समस्याएं जुड़ी हैं।देश में कई लोग आपको फुटपाथों पर भीख मांगकर, सड़कों पर ही जिंदगी गुजर-बसर करते नजर आएंगे। इन गरीब लोगों के बच्चे...

मोदी

अमेरिका के ह्युस्टन शहर के NRG स्टेडियम में उपस्थित हज़ारों भारतवंशियों के मुखों से निकलती मोदी-मोदी की आवाज़ को केवल  उत्साहवर्धक शोर मत समझिये.. बल्कि मोदी-मोदी के नारे के प...

जीवन

हल्की-फुल्की सी ज़िंदगी कभी-कभी ज़िंदगी ख़्वाब सी लगती है, लेकिन मुश्किल ये है कि ख़्वाब अच्छा या बुरा कुछ भी हो सकता है। हर वक़्त चिंता या बेवजह परेशानी में घिरे रहना किसी भी मुश...

सार्थक जीवन

कटु_सत्य :- पर्रिकर जी चले गये, सुषमा जी चली गई, जेटली जी चले गये, इन सब घटनाओं से आपने क्या सीखा, ये सब बुढापे_की_मौत नही गये, ये सब किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित थे, आप ये भी नही कह सक...

परफेक्शन

परफेक्शन अच्छा होता है, लेकिन एक हद तक ही..बहुत ज़्यादा होना भी बहुत सही नहीं है.. कितना सही है न, बहुत ज़्यादा परफेक्शन भी ग़लत ही है, क्यूँकि उस लेवल के परफेक्शन के लिए ज़िंदगी के ब...

जिंदगी

रोज़ कई लोगों को देखता हूँ, जो मुँह लटकाए घर से निकलते हैं और वैसे ही वापस आते हैं दिन भर की थकान की एक धूल जिस्म पे लिए..बस एक नौकरी, धंधा या काम..और ज़िंदगी में कोई जोश नहीं, जुनून नह...

सुषमा स्वराज

सुषमा स्वराज जी ने राजनीति का चुनाव केवल राजनीति के लिए नहीं, वरन देश और सम्पूर्ण समाज की सेवा के लिए किया था। उन्होंने जो भी पदभार सँभाला उसको पूरी निष्ठा, ईमानदारी और कौशल से परिपूर्ण किया। विशेष रूप से उन्होंने विदेश मंत्री की भूमिका निभाने में जिस संवेदनशीलता, मानवीयता और राष्ट्र-गौरव का परिचय दिया , वह अविस्मरणीय रहेगा। सारा विश्व उनकी सोच, उनकी कार्यशैली, उनकी उदारता और  दृढ़प्रतिज्ञता  तथा उनकी तर्कसंगत संवाद-शैली का कायल रहा। वे ऐसी नेत्री थीं जिनका विपक्ष भी आदर करता था। उनकी वाणी में माधुर्य मिश्रित ओज का वह चमत्कार था जो प्रत्येक के हृदय को बरबस आकर्षित कर लेता था। इसका मुख्य कारण उनका 'मनसा-वाचा-कर्मणा' वाला व्यक्तित्व था। जो मन में था, वही वचन में था और वही उनके कर्म में था। ऐसी त्रिवेणी किसी-किसी के जीवन में ही बहकर उसे प्रयागराज बना पाती है। सुषमा की सुषमा का स्वराज ही ऐसा था जिसने उनके सुषमा स्वराज नाम की सार्थकता को सिद्ध किया। उनकी आवाज़ आज भले ही खामोश हो गई हो किन्तु उनकी आवाज़  सदियों तक हमारे मन मे गूंजती रहेगी।.... सुषमा स्वराज जी ने राजनीति के क्षेत्...

धारा 370

कश्मीरी पिछले सत्तर साल से हमारे कानूनी भाई थे, आज हमारे सगे भाई हुए। कश्मीर जोअबतक भारत का शोपीस था, आज भारत का मुकुट बना। उम्मीद है कि कश्मीर घाटी से आतंक और अलगाववाद की दु...

जिम्मेदार

बिना हेलमेट .. जुर्माना 200 / - नो पार्किंग में पार्किंग ... जुर्माना 300 / - नो एंट्री में वाहन ...... जुर्माना 500 /- प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं ... जुर्माना 1200/ - ट्रिपल सीट ड्राइविंग ... जुर्माना 2000 / - प्लास...

दान

दान का फल!!!!! दान भी दुःख और भोग का कारण बन सकता हैं।दान देने से पहले जरा सोच लें ?* दान करना हमारे समाज में अति शुभ माना गया है। लेकिन कई बार यह दान दुःख का कारण भी बन जाता है। हमारे ...

आपका साथी

*आपका जीवन साथी कौन है?* माँ पिता बीवी बेटा पति बेटी दोस्त...!!.,?       *बिल्कुल नहीं* *आपका असली जीवन साथी* *आपका शरीर है ..* *एक बार जब आपका शरीर जवाब देना बंद कर देता है तो कोई भी आपके सा...

पता नही चला

समय चला , पर कैसे चला,  पता ही नहीं चला ,   ज़िन्दगी की आपाधापी में , कब निकली उम्र हमारी यारो , *पता ही नहीं चला ,* कंधे पर चढ़ने वाले बच्चे ,   कब कंधे तक आ गए , *पता ही नहीं चला ,* किराये के घ...

मासूम बच्ची

अलीगढ़ में एक मासूम बच्ची के साथ हुई हिर्दयविदारक घटना पल-पल नपुंसता की ओर बढ़ रहे भारतीय समाज का ही परिचायक है. आज हम एक ऐसे संवेदनहीन और नपुसंक समाज में जी रहे हैं, जहां इस त...