सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज जी ने राजनीति का चुनाव केवल राजनीति के लिए नहीं, वरन देश और सम्पूर्ण समाज की सेवा के लिए किया था। उन्होंने जो भी पदभार सँभाला उसको पूरी निष्ठा, ईमानदारी और कौशल से परिपूर्ण किया। विशेष रूप से उन्होंने विदेश मंत्री की भूमिका निभाने में जिस संवेदनशीलता, मानवीयता और राष्ट्र-गौरव का परिचय दिया , वह अविस्मरणीय रहेगा। सारा विश्व उनकी सोच, उनकी कार्यशैली, उनकी उदारता और दृढ़प्रतिज्ञता तथा उनकी तर्कसंगत संवाद-शैली का कायल रहा। वे ऐसी नेत्री थीं जिनका विपक्ष भी आदर करता था। उनकी वाणी में माधुर्य मिश्रित ओज का वह चमत्कार था जो प्रत्येक के हृदय को बरबस आकर्षित कर लेता था। इसका मुख्य कारण उनका 'मनसा-वाचा-कर्मणा' वाला व्यक्तित्व था। जो मन में था, वही वचन में था और वही उनके कर्म में था। ऐसी त्रिवेणी किसी-किसी के जीवन में ही बहकर उसे प्रयागराज बना पाती है। सुषमा की सुषमा का स्वराज ही ऐसा था जिसने उनके सुषमा स्वराज नाम की सार्थकता को सिद्ध किया। उनकी आवाज़ आज भले ही खामोश हो गई हो किन्तु उनकी आवाज़ सदियों तक हमारे मन मे गूंजती रहेगी।....
सुषमा स्वराज जी ने राजनीति के क्षेत्र में ऐसे महत्वपूर्ण कार्य किये जो अद्वितीय हैं और इसलिए वे हमसे, जब अब हमेशा को विदा ले गई हैं, तब पूरे देश के जन-मानस को रुला गईं। देश की स्वच्छ राजनीति के क्षेत्र में उनके जाने से अपूरणीय क्षति तो हुई ही है, साथ में मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि उनके जाने से हमारे साहित्य के क्षेत्र में भी एक अजब सा खालीपन आ गया है। उनका हिंदी भाषा के प्रति प्रेम और साहित्य के प्रति अनुराग हमें भी सदैव याद रहेगा। भारत का साहित्य-जगत और विश्व-साहित्य-जगत उनके निधन से बहुत दुखी है।
हम सब इस पवित्र दिवंगत आत्मा को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि समस्त देशवासियों को और पूरी दुनिया के स्नेहीजनों को इस महान दुख को सहन करने की शक्ति दे।
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