स्मिता पाटिल
फिल्म
“मंथन” को हिन्दी सिनेमा जगत की एक कालजयी फिल्म जाता है. गुजरात के दूध
व्यापारियों पर आधारित यह फिल्म जब बनी तो इसको बनाने के लिए गुजरात के
लगभग पांच लाख किसानों ने अपनी प्रति दिन की मिलने वाली मजदूरी में से
दो-दो रूपये फिल्म निर्माताओं को दिए और बाद में जब यह फिल्म प्रदर्शित हुई
तो यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई. इस फिल्म को हिट कराने में
जितना हाथ निर्माता, निर्देशक का रहा उतना ही योगदान अभिनेत्री स्मिता
पाटिल(Smita Patil) का भी रहा.
Smita Patil Biography
बॉलिवुड
में जब भी आर्ट कलाकारों की बात की बाती है तो शबाना आजमी, ओम पुरी,
नसीरुद्दीन शाह जैसे सितारों का नाम सामने आते हैं पर इन सभी की श्रेणी में
ही एक नाम स्मिता पाटिल का भी है जिन्हें यह सिने जगत कभी नहीं भूल सकता.
सब कहते हैं कि हिट अभिनेत्री बनने के लिए आपकी रंगत अच्छी होनी चाहिए फिर
चाहे आपका अभिनय उन्नीस-बीस ही क्यूं ना हो लेकिन स्मिता पाटिल ने अपने
सशक्त अभिनय से इस बात को झुठला दिया और साबित कर दिया कि बॉलिवुड में अगर
आपके पास बेहतरीन हुनर है तो आपको किसी रंग-रूप की जरूरत नहीं.
Smita Patil Death
स्मिता पाटिल
ने अपने सशक्त अभिनय से समानांतर सिनेमा के साथ-साथ व्यावसायिक सिनेमा में
भी खास पहचान बनाई. भारतीय सिनेमा में अमूल्य योगदान के लिए उन्हें दो बार
राष्ट्रीय पुरस्कार और पदमश्री से भी सम्मानित किया गया. यह अभिनेत्री महज
31 वर्ष की उम्र में 13 दिसंबर, 1986 को इस दुनिया को अलविदा कह गई. आइए
आज इनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ विशेष बातों पर प्रकाश डालें:
स्मिता पाटिल की
निजी जिंदगी हमेशा सवालों में ही बंधकर रह गई. फिल्मों पर बेहद बोल्ड से
बोल्ड दृश्य देने में संकोच ना करने वाली स्मिता पाटिल असल जिंदगी में एक
बेहद शांत महिला थीं. लेकिन राज बब्बर के साथ उनके संबंधों ने उन्हें
दुनिया की निगाहों में एक घर तोड़ने वाली महिला का नाम थमा दिया. राज बब्बर
ने स्मिता पाटिल के साथ शादी करने के लिए अपनी पहली पत्नी को भी छोड़ दिया
था लेकिन शायद भगवान को कुछ और ही मंजूर था.
शादी के कुछ समय बाद ही पुत्र प्रतीक बब्बर को जन्म देने के बाद 13 दिसंबर, 1986 को उनका निधन हो गया
उनकी मौत
का रहस्य भी काफी गहरा है. कुछ मानते हैं कि वह राज बब्बर की बेरुखी से
बुरी तरह निराश थीं तो वहीं उनके बेहद करीबी रहे मृणाल सेन मानते हैं कि
दवाइयों की अनदेखी करने की वजह से उनकी मृत्यु हुई. फिल्मी पर्दे पर सशक्त
महिला के किरदार को जीवंत करने वाली स्मिता की निजी जिंदगी बेहद अकेली और
तन्हां थी.
Smita Patil Biography in Hindi
17
अक्टूबर 1955 को पुणे शहर में जन्मी स्मिता पाटिल ने अपनी स्कूल की पढ़ाई
महाराष्ट्र से पूरी की. उनके पिता शिवाजी राय पाटिल महाराष्ट्र सरकार में
मंत्री थे, जबकि उनकी मां समाज सेविका थीं. कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के
बाद वह मराठी टेलीविजन में बतौर समाचार वाचिका काम करने लगीं. इसी दौरान
उनकी मुलाकात जाने माने निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल से हुई. श्याम
बेनेगल उन दिनों अपनी फिल्म ‘चरण दास चोर’ बनाने की तैयारी में थे. श्याम
बेनेगल को स्मिता पाटिल में एक उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया और अपनी फिल्म चरण दास चोर में स्मिता पाटिल को एक छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर दिया.
Smita Patil’s Career
भारतीय
सिनेमा जगत में चरण दास चोर को ऐतिहासिक फिल्म के तौर पर याद किया जाता है,
क्योंकि इसी फिल्म के माध्यम से श्याम बेनेगल और स्मिता पाटिल के रूप में
कलात्मक फिल्मों के दो दिग्गजों का आगमन हुआ. इसके बाद वर्ष 1975 में श्याम
बेनेगल द्वारा ही निर्मित फिल्म निशांत में स्मिता को काम करने का मौका
मिला.
Smita Patil in Manthan
वर्ष 1977 स्मिता पाटिल के सिने कॅरियर में अहम पड़ाव साबित हुआ. इस वर्ष उनकी भूमिका और मंथन
जैसी सफल फिल्मे प्रदर्शित हुईं. फिल्म भूमिका में दमदार अभिनय के लिए
उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. मंथन और भूमिका जैसी
फिल्मों में उन्होनें कलात्मक फिल्मों के महारथी नसीरूदीन शाह, शबाना आजमी,
अमोल पालेकर और अमरीश पुरी जैसे कलाकारों के साथ काम किया और अपनी अदाकारी
का जौहर दिखाकर अपना सिक्का जमाने मे कामयाब हुईं.
Smita Patil in Chakra
फिल्म भूमिका से स्मिता पाटिल का जो सफर शुरू हुआ, वह चक्र, निशांत, आक्रोश, गिद्ध, अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है और मिर्च-मसाला जैसी फिल्मों तक जारी रहा. वर्ष 1980 में प्रदर्शित फिल्म चक्र में स्मिता पाटिल ने झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाली महिला के किरदार को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया. इसके साथ ही फिल्म चक्र के लिए वह दूसरी बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित की गईं.
आर्ट
फिल्मों के अलावा अस्सी के दशक में स्मिता पाटिल ने कई व्यावसायिक फिल्में
भी कीं जिनमें नमक हलाल और शक्ति जैसी फिल्में शामिल हैं.
स्मिता
पाटिल जैसी अभिनेत्रियां बार-बार सिनेमा जगत में नहीं आतीं. 31 साल की उम्र
में ही दुनिया को अलविदा कहने वाली स्मिता पाटिल की कमी आज भी महसूस होती
है.
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