अमिताभ बच्चन

पिछले 40 से भी ज़्यादा सालों से अपनी फिल्मों में निभाए किरदारों के जरिये करोड़ों दिलों पर छाए रहने वाले, बॉलीवुड के 'शहंशाह', और 'सुपरस्टार ऑफ द मिलेनियम' के खिताबों से नवाज़े गए अमिताभ बच्चन ने गुरुवार को ज़िन्दगी के 70 बरस पूरे कर लिए हैं...

वैसे
प्यार से 'बिग बी' कहकर पुकारे जाने वाले अमिताभ बच्चन के बारे में इतना लिखा-पढ़ा जाता है कि अब शायद ही कोई ऐसी जानकारी होगी, जिसे उनके चाहने वाले न जानते हों... लेकिन फिर भी, आज उनका जन्मदिन है, तो आइए, एक बार फिर कोशिश करते हैं, ताकि आपको कुछ नया बता सकें, आपके चहेते सुपरस्टार के बारे में...


जन्म नाम: इन्किलाब श्रीवास्तव
जन्म तिथि: 11 अक्टूबर, 1942
जन्म स्थान: इलाहबाद, उत्तर प्रदेश
कद: 6'2"
परिवार: पत्नी: जया बच्चन, बेटा: अभिषेक बच्चन ,बहु: ऐश्वर्या राय बच्चन , बेटी:श्वेता नंदा
पहली फिल्म: सात हिन्दुस्तानी
पहली सफल फिल्मजंजीर
उपनाम: बिग बी,एंग्री यंग मेन,शहेंशाह
धारावाहिक:कौन बनेगा करोड़पति
फिल्म कंपनी:ए.बी.सी.एल
बिग बी के नाम से जाने जाने वाले अमिताभ बॉलीवुड के शहेंशाह भी कहे जाते है| 40 साल बाद भी आज बॉलीवुड में उनके कद के सामने कोई नहीं है और  71विशिष्टता बनी| 40 साल के पेशे में उन्हें दर्शकों ने अनेको नाम दिए: बिग बी , शहेंशाह,  एंग्री यंग मेन आदि| अमिताभ ने न सिर्फ बड़े परदे पर खुद को साबित किया पर छोटे परदे पर भी नए आयाम स्थापित किये| धारावाहिक 'कौन बनेगा करोडपति' से उन्होंने अपनी जिंदगी की नयी पारी की शुरुआत की थी और एक के बाद एक नया उच्चमान हासिल करते गए| एक अभिनेता के आलावा, अभिताभ एक गायक, निर्माता और सांसद की भूमिका भी निभा चुके है|
की उम्र में भी आज वे बॉलीवुड के सबसे व्यस्त अभिनेताओं में गिने जाते है| शुरू में जिस बाहरी आवाज़ के कारण  निर्देशकों ने अमिताभ को अपनी फिल्मों से लेने को मना कर दिया था, वही आवाज़ आगे चलकर उनकी
पेशा(करियर)
अमिताभ ने अपनी फ़िल्मी करियर की शुरुआत सं 1969 में 'सात हिन्दुस्तानी' से की| कहा जाता है कि उन्हें इस फिल्म में काम अपने दोस्त राजीव गाँधी की बदौलत मिला जिन्होंने अमिताभ को इंदिरा गाँधी का सिफारशी ख़त दिलवाया(सूत्र:आईऍमडीबी)| इससे पहले उन्हें अपनी भारी आवाज़ और सांवले रंग की वजह से नजर अंदाज़ कर दिया गया था| उनकी भारी आवाज़ कथा विवरण के लिय इस्तेमाल होती थी और वे रेडियो पर भी आते थे| हालांकि फिल्म कुछ ख़ास कमाल नहीं कर पायी पर अमिताभ को राष्ट्रीय पुरस्कार (नवांगतुक अभिनेता) से सम्मानित किया गया|
1971 में उन्होंने उस वक़्त के सितारे राजेश खन्ना के साथ 'आनंद' में जोड़ी बनायीं| हालांकि फिल्म में राजेश खन्ना के होने कि वजह से अमिताभ का किरदार दबा हुआ रहा पर उन्हें फिल्मफेयर सह कलाकार का पुरस्कार जरुर मिला| उन्होंने आगे 'परवाना', 'रेशमा और शेरा' और 'बॉम्बे टू गोवा' जैसी फिल्में कि जो औसतन रही| 17 फिल्में करने के बाद भी अमिताभ एक बड़ी सफलता के इंतज़ार में थे जब 1973  में प्रकाश महरा ने उन्हें 'जंजीर' में न्योता दिया| अमिताभ को यह किरदार प्राण के कहने पर मिला और उन्होंने इस अवसर को दोनों हाथ से उठा लिया| न सिर्फ ये उनके पेशे कि पहली बड़ी सफल फिल्म थी, इस फिल्म से उन्हें 'एंग्री यंग मेन' का ख़िताब भी मिला| उसी साल उनकी जया भादुरी से शादी हुई और एक महीने बाद उनकी अगली फिल्म 'अभिमान' दर्शकों के सामने आई| उनकी अगली फिल्म दोस्ती पर  हृषिकेश की 'नमक हराम' आई|
1975 में उन्होंने कई तरह की फिल्मों में काम किया  जिनमे 'चुपके चुपके' बेहद लोकप्रिय रही| 1975 में उन्होंने यश चोपरा की फिल्म 'दीवार' में काम किया और ये अब तक की उनकी सबसे सफल फिल्म रही| इस फिल्म के संवाद, जैसे "मेरा बाप चोर है", "मेरे पास माँ है", आज भी दर्शकों के जहन में बैठे है| उनकी अगली फिल्म आई "शोले" जिसने बॉलीवुड के सारे उच्चमान तोड़ दिए और अमिताभ को बॉलीवुड के शीर्ष अभिनेताओं में ला खड़ा किया| बच्चन ने फिल्म जगत के कुछ शीर्ष के कलाकारों जैसे धर्मेन्‍द्र, हेमा मालिनी, संजीव कुमार, जया बच्चन और अमजद खान के साथ जयदेव की भूमिका अदा की थी। 1999 में बीबीसी ने 'शोले' को इस शताब्दी की सबसे बेहतरीन फिल्म बताया और दीवार की तरह इसे इंडियाटाइम्‍ज़ मूवियों में बालीवुड की शीर्ष 25 फिल्‍मों में शामिल किया। उसी साल 50 वें वार्षिक फिल्म फेयर पुरस्कार के निर्णायकों ने एक विशेष पुरस्कार दिया जिसका नाम 50 सालों की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म फिल्मफेयर पुरूस्कार था। बॉक्स ऑफिस पर शोले जैसी फिल्मों की जबरदस्त सफलता के बाद बच्चन ने अब तक अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया था और 1976 से 1984 तक उन्हें अनेक सर्वश्रेष्ठ कलाकार वाले फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार और अन्य पुरस्कार एवं ख्याति मिली। उनका सुनहरा दौर आगे बढा और  उन्होंने 'कभी कभी' और 'अमर अकबर एंथनी' जैसे सफल फिल्में दी| 'अमर अकबर एंथनी' के लिय उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी मिला| 1978 में उन्होंने उस साल की 4 सबसे बड़ी फिल्मों में काम किया - 'कसमे वादे', 'डॉन', 'त्रिशूल'  और ' मुक़द्दर का सिकंदर' | डॉन में उन्होंने एक कुख्यात सरगना का किरदार निभाया और उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला| फिल्म 'त्रिशूल' और 'मुक़द्दर का सिकंदर' से उन्होंने माँ-बेटे  के प्रेम पर बनने वाली थीम  को आगे बढाया जो दर्शकों को बेहद पसंद आई और इन फिल्मों के संवादों ने इतिहास में अपनी जगह बना ली| उनकी अगली फिल्में, 'नटवरलाल', 'काला पत्थर', 'दोस्ताना', 'सिलसिला' उनकी सफल फिल्मों की सूची को बड़ा करती गयी|
1982 - कुली चोट
1982 में कुली  फिल्म में बच्चन ने अपने सह कलाकार पुनीत इस्सर के साथ एक लड़ाई की शूटिंग के दौरान अपनी आंतों को लगभग घायल कर लिया था। बच्चन ने इस फिल्म में स्टंट अपनी मर्जी से करने की छूट ले ली थी जिसके एक सीन में इन्हें मेज पर गिरना था और उसके बाद जमीन पर गिरना था। हालांकि जैसे ही ये मेज की ओर कूदे तब मेज का कोना इनके पेट से टकराया जिससे इनके आंतों को चोट पहुंची और इनके शरीर से काफी खून बह निकला था। इन्हें जहाज से फोरन स्पलेनक्टोमी के उपचार हेतु अस्पताल ले जाया गया और वहां ये कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहे और कई बार मौत के मुंह में जाते जाते बचे। यह अफ़वाह भी फैल गई थी, कि वे एक दुर्घटना में मर गए हैं और संपूर्ण देश में इनके चाहने वालों की भारी भीड इनकी रक्षा के लिए दुआएं करने में जुट गयी थी| इस दुर्घटना की खबर दूर दूर तक फैल गई और यूके के अखबारों की सुर्खियों में छपने लगी जिसके बारे में कभी किसने सुना भी नहीं होगा। बहुत से भारतीयों ने मंदिरों में पूजा अर्चनाएं की और इन्हें बचाने के लिए अपने अंग अर्पण किए और बाद में जहां इनका उपचार किया जा रहा था उस अस्पताल के बाहर इनके चाहने वालों की मीलों लंबी कतारें दिखाई देती थी. इन्होने  ठीक होने में कई महीने ले लिए और उस साल के अंत में एक लंबे अरसे के बाद पुन: काम करना आरंभ किया। यह फिल्म 1983 में रिलीज हुई और आंशिक तौर पर बच्चन की दुर्घटना के असीम प्रचार के कारण बॉक्स ऑफिस पर सफल रही।
निर्देशक मनमोहन देसाई  ने कुली फिल्म में बच्चन की दुर्घटना के बाद फ़िल्म के कहानी का अंत बदल दिया था। इस फिल्म में बच्चन के चरित्र को वास्तव में मृत्यु प्राप्त होनी थी लेकिन बाद में कहानी में परिवर्तन करने के बाद उसे अंत में जीवित दिखाया गया। देसाई ने इनके बारे में कहा था कि ऐसे आदमी के लिए यह कहना बिल्‍कुल अनुपयुक्त होगा कि जो असली जीवन में मौत से लड़कर जीता हो उसे परदे पर मौत अपना ग्रास बना ले। इस रिलीज फिल्म में पहले सीन के अंत को जटिल मोड़ पर रोक दिया गया था और उसके नीचे एक केप्‍शन प्रकट होने लगा जिसमें अभिनेता के घायल होने की बात लिखी गई थी और इसमें दुर्घटना के प्रचार को सुनिश्चित किया गया था।
बाद में ये मियासथीनिया ग्रेविस में उलझ गए जो या कुली में दुर्घटना के चलते या तो भारीमात्रा में दवाई लेने से हुआ या इन्हें जो बाहर से अतिरिक्त रक्त दिया गया था इसके कारण हुआ। उनकी बीमारी ने उन्हें मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से कमजोर महसूस करने पर मजबूर कर दिया और उन्होंने फिल्मों में काम करने से सदा के लिए छुट्टी लेने और राजनीति में शामिल होने का निर्णय किया। यही वह समय था जब उनके मन में फिल्म कैरियर के संबंध में निराशावादी विचारधारा का जन्म हुआ और प्रत्येक शुक्रवार को रिलीज होने वाली नई फिल्म के प्रत्युत्तर के बारे में चिंतित रहते थे। प्रत्येक रिलीज से पहले वह नकारात्मक रवैये में जवाब देते थे कि यह फिल्म तो फ्लाप होगी
राजनीति
1984 में अमिताभ ने अभिनय से कुछ समय के लिए विश्राम ले लिया और अपने पुराने मित्र राजीव गांधी के सहयोग में राजनीति में कूद पड़े। उन्होंने इलाहाबाद लोक सभा सीट से उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एच.एन. बहुगुणा  को इन्होंने आम चुनाव  के इतिहास में (68.2 %) के मार्जिन से विजय दर्ज करते हुए चुनाव में हराया था। हालांकि इनका राजनैतिक कैरियर कुछ अवधि के लिए ही था, जिसके तीन साल बाद इन्होंने अपनी राजनैतिक अवधि को पूरा किए बिना त्याग दिया। इस त्यागपत्र के पीछे इनके भाई का बोफोर्स विवाद में अखबार में नाम आना था, जिसके लिए इन्हें अदालत में जाना पड़ा। इस मामले में बच्चन को दोषी नहीं पाया गया।
उनके पुराने मित्र अमरसिंह ने इनकी कंपनी एबीसीएल के दिवालिया हो जाने के कारण आर्थिक संकट के समय इनकी मदद कीं। इसके बाद बच्चन ने अमरसिंह की राजनैतिक पाटी समाजवादी पार्टी को सहयोग देना शुरू कर दिया। जया बच्चन समाजवादी पार्टी से जुडी और राज्यसभा की सदस्या बन गई। बच्चन ने समाजवादी पार्टी के लिए अपना समर्थन देना जारी रखा जिसमें राजनैतिक अभियान अर्थात प्रचार प्रसार करना शामिल था। इनकी इन गतिविधियों ने एक बार फिर मुसीबत में डाल दिया और इन्हें झूठे दावों के सिलसिलों में कि वे एक किसान हैं के संबंध में कानूनी कागजात जमा करने के लिए अदालत जाना पड़ा I
बहुत कम लोग ऐसे हैं जो ये जानते हैं कि स्‍वयंभू प्रैस ने अमिताभ बच्‍चन पर प्रतिबंध लगा दिया था। स्‍टारडस्‍ट और कुछ अन्य पत्रिकाओं ने मिलकर एक संघ बनाया, जिसमें अमिताभ के शीर्ष पर रहते समय 15 वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया। इन्होंने अपने प्रकाशनों में अमिताभ के बारे में कुछ भी न छापने का निर्णय लिया। 1989 के अंत तक बच्चन ने उनके सैटों पर प्रेस के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था। लेकिन, वे किसी विशेष पत्रिका के खिलाफ़ नहीं थे। ऐसा कहा गया है कि बच्चन ने कुछ पत्रिकाओं को प्रतिबंधित कर रखा था क्योंकि उनके बारे में इनमें जो कुछ प्रकाशित होता रहता था उसे वे पसंद नहीं करते थे और इसी के चलते एक बार उन्हें इसका अनुपालन करने के लिए अपने विशेषाधिकार का भी प्रयोग करना पड़ा।
सेवानिवृत्ति
1988 में बच्चन फिल्मों में तीन साल की छोटी सी राजनैतिक अवधि के बाद वापस लौट आए और शहंशाह में शीर्षक भूमिका की जो बच्चन की वापसी के चलते बॉक्स आफिस पर सफल रही। इस वापसी वाली फिल्म के बाद इनकी स्टार पावर क्षीण होती चली गई क्योंकि इनकी आने वाली सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल होती रहीं। 1991 की सफल फिल्म हम से ऐसा लगा कि यह वर्तमान प्रवृति को बदल देगी किंतु इनकी बॉक्स आफिस पर लगातार असफलता के चलते सफलता का यह क्रम कुछ पल का ही था। उल्लेखनीय है कि सफलता की कमी के बावजूद यह वह समय था जब अमिताभ बच्चन ने 1991 की फिल्‍म अग्निपथ में माफिया सरगना की यादगार भूमिका के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार, जीते। ऐसा लगता था कि अब ये वर्ष इनके अंतिम वर्ष होंगे क्योंकि अब इन्हें केवल कुछ समय के लिए ही परदे पर देखा जा सकेगा| 1992 में खुदागवाह के रिलीज होने के बाद बच्चन ने अगले पांच वर्षों के लिए फिल्मों से तौबा कर ली|
निर्माता अमिताभ और अभिनय में वापसी
अस्थायी सेवानिवृत्ति की अवधि के दौरान बच्चन निर्माता बने और अमिताभ बच्चन कारपोरेशन लिमिटेड की स्थापना की।  अमिताभ ने 1996 में वर्ष 2000 तक 10 बिलियन रूपए (लगभग २५० मिलियन अमरीकी डॉलर) वाली मनोरंजन की एक प्रमुख कंपनी बनने का सपना देखा। एबीसीएल की रणनीति में भारत के मनोरंजन उद्योग के सभी वर्गों के लिए उत्पाद एवं सेवाएं प्रचलित करना था। इसके ऑपरेशन में मुख्य धारा की व्यावसायिक फ़िल्म उत्पादन और वितरण, ऑडियो और वीडियो कैसेट डिस्क , उत्पादन और विपणन के टेलीविजन सॉफ्टवेयर , हस्ती और इवेन्ट प्रबंधन शामिल था। 1996 में कंपनी के आरंभ होने के तुरंत बाद कंपनी द्वारा उत्पादित पहली फिल्म तेरे मेरे सपने  थी जो बॉक्स ऑफिस पर विफल रही | एबीसीएल ने कुछ फिल्में बनाई लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म कमाल नहीं दिखा सकी।
1997 में, एबीसीएल द्वारा निर्मित मृत्युदाता, फिल्म से बच्चन ने अपने अभिनय में वापसी का प्रयास किया। यद्यपि मृत्युदाता ने बच्चन की पूर्व एक्शन हीरो वाली छवि को वापस लाने की कोशिश की लेकिन फिल्म औंधे मूह गिरी और एबीसीएल को भरी नुक्सान हुआ | एबीसीएल 1997 में बंगलौर में आयोजित 1996 की मिस वर्ल्ड सौंदर्य प्रतियोगिता का प्रमुख प्रायोजक था और इसके खराब प्रबंधन के कारण इसे करोड़ों रूपए का नुकसान उठाना पड़ा था। इस घटनाक्रम और एबीसीएल के चारों ओर कानूनी लड़ाइयों और इस कार्यक्रम के विभिन्न गठबंधनों के परिणामस्वरूप यह तथ्य प्रकट हुआ कि एबीसीएल ने अपने अधिकांश उच्च स्तरीय प्रबंधकों को जरूरत से ज्यादा भुगतान किया है जिसके कारण वर्ष 1997 में वह वित्तीय और क्रियाशील दोनों तरीके से ध्वस्त हो गई| कंपनी प्रशासन के हाथों में चली गई और बाद में इसे भारतीय उद्योग मंडल द्वारा असफल करार दे दिया गया। अप्रेल 1999 में मुबंई उच्च न्यायालय ने बच्चन को अपने मुंबई वाले बंग्ला प्रतीक्षा और दो फ्लेटों को बेचने पर तब तक रोक लगा दी जब तक कैनरा बैंक की राशि के लौटाए जाने वाले मुकदमे का फैसला न हो जाए। बच्चन ने हालांकि दलील दी कि उन्होंने अपना बंग्ला सहारा इंडिया फाइनेंस के पास अपनी कंपनी के लिए कोष बढाने के लिए गिरवी रख दिया है।
बाद में बच्चन ने अपने अभिनय के कैरियर को संवारने का प्रयास किया जिसमें उसे बड़े मियाँ छोटे मियाँ  से औसत सफलता मिली और सूर्यावंशम, से सकारात्मक समीक्षा प्राप्त हुई लेकिन ये मान लिया गया कि बच्चन की महिमा के दिन अब समाप्त हुए चूंकि उनके बाकी सभी फिल्में जैसे 'लाल बादशाह' और 'हिंदुस्तान की कसम'  बॉक्स ऑफिस पर विफल रही हैं।
दूरदर्शन
वर्ष 2000 में , बच्चन ने अंग्रेजी धारावाहिक, कौन बनेगा करोड़पति ? को भारत में अनुकूलन हेतु कदम बढाया। शीर्ष‍क कौन बनेगा करोड़पति  जैसा कि इसने अधिकांशत: अन्य देशों में अपना कार्य किया था जहां इसे अपनाया गया था वहां इस कार्यक्रम को तत्काल और गहरी सफलता मिली जिसमें बच्चन के करिश्मे भी छोटे रूप में योगदान देते थे। यह माना जाता है कि बच्चन ने इस कार्यक्रम के संचालन के लिए साप्ताहिक प्रकरण के लिए अत्यधिक 25 लाख रुपए  लिए थे, जिसके कारण बच्चन और उनके परिवार को नैतिक और आर्थिक दोनों रूप से बल मिला। इससे पहले एबीसीएल के बुरी तरह असफल हो जाने से अमिताभ को गहरे झटके लगे थे। नवंबर 2000 में केनरा बैंक ने भी इनके खिलाफ अपने मुकदमे को वापस ले लिया। बच्चन ने केबीसी का आयोजन नवंबर 2005 तक किया और इसकी सफलता ने फिल्म की लोकप्रियता के प्रति इनके द्वार फिर से खोल दिए।
शहेंशाह की वापसी
अमिताभ ने यश चोपरा की फिल्म 'मोहब्बतें' के साथ धमाकेदार वापसी की| इस फिल्म में वे बॉलीवुड के बादशाह शाह रुख खान  के साथ नजर आये| फिल्म दर्शकों को बेहद पसंद आई और उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता का पुरस्कार मिला| 'मोहब्बतें की सफलता को देखते हुए अमिताभ अपने उम्र के किरदार निभाने लगे जिससे वे फिर से दर्शकों के चहेते बनने लगे| इन्ही किरदारों में उनकी फिल्में 'कभी खुशी कभी गम' और 'बागबान' दर्शकों को बेहद पसंद आई| संजय लीला भंसाली की फिल्म 'ब्लैक' में उन्हें एक अलग ही तरह का किरदार करने का मौका मिला जो उन्होंने आज तक पहले नहीं किया था| फिल्म कहानी थी एक बूढ़े अध्यापक और उसके अंधी-बहरी शिष्या रानी मुख़र्जी की| इस फिल्म के लिय उन्हें न सिर्फ फिल्मफेयर पुरस्कार मिला, उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया| अपनी फिल्मों की सफलता को देखते हुए, अमिताभ ने ढेरो विज्ञापनों में आना शुरू किया| 2006 में वे बेटे अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय  के साथ गाना 'कजरा रे'(फिल्म: बंटी और बबली) में दिखाई दिए जो बेहद लोकप्रिय हुआ|
बच्चन की सफल फिल्मों का दौर जारी रहा और उन्होंने 'सरकार', 'कभी अलविदा ना कहना' और 'सरकार राज'' जैसी सफल फिल्में दी|  2009  में उन्होंने एक और चुनातिपूर्ण किरदार निभाया फिल्म 'पा' में| इस फिल्म में उन्होंने प्रोजेरिया से पीड़ित 13 साल के बच्चे का  किरदार निभाया| फिल्म में वे अभिषेक बच्चन के बेटे बने और उन्हें फिम्फेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया| 
निजी जिंदगी
अमिताभ बच्चन प्रसिद्ध कवी हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के बेटे है| उनका एक भाई अजिताभ बच्चन है| उनका जन्म इलाहाबाद,उत्तर प्रदेश में हुआ| उन्होंने शेरवूड कॉलेज, नैनीताल और किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली विश्वविध्यालय से पढाई पूरी की और कलकत्ता की 'शो एंड वाल्लेस' में काम किया| आगे चलकर वे बम्बई आ गए फिल्मों में किस्मत आजमाने पर अपनी भारी आवाज़ के चलते निर्देशकों ने उन्हें अपनी फिल्मों में लेने से इनकार कर दिया| हालांकि उनकी भारी आवाज़ को पृष्ठभूमि में इस्तेमाल किया गया और उन्होंने रेडियो में भी काम किया|
दिलचस्प बातें
  • भारतीय सिनेमा के सबसे बेहतरीन कलाकार|
  • अमिताभ और राजीव गाँधी गहरे दोस्त थे और इंदिरा गाँधी की मदद से उन्हें उनकी पहली फिल्म मिली|
  • राजीव गाँधी के कहने पर अमिताभ राजनीति में कूदे और इलाहाबाद से सांसद बने|
  • फिल्म 'कुली' में काम करते वक़्त उन्हें आँतों में गहरी चोट लगी और वे मौत के मूंह में जाते जाते बाल बाल बचे| उन्हें लिय हजारो करोडो दर्शकों ने मन्नतें मांगी|
  • रेखा और अमिताभ की जोड़ी दर्शकों को बेहद पसंद आई|
  • उन्होंने कई सारी फिल्मों में गानें भी गाए है|
  • उनका फिल्मों में मनपसंद नाम विजय रहा और 20 से ज्यादा फिल्मों में ये नाम इस्तेमाल किया|
  • अभिनेत्री 'निरूपा रॉय' ने अधिकतम फिल्मों में उनकी माँ का किरदार निभाया|
  • 58 साल की उम्र में उन्होंने 30 फीट की ईमारत से छलांग लगायी|
  • 1996 में उन्होंने संगीत एल्बम 'एबी बेबी' रिलीज़ किया|
  • 1984 में उन्हें पदमा श्री से नवाजा गया|
  • वे ही एक अभिनेता है जिन्होंने लगातार 15 साल तक हर साल कम से कम एक सफल फिल्म दी|
पुरस्कार
1969 राष्ट्रीय पुरस्कार: सात हिन्दुस्तानी 
1971 फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ  सह-कलाकार पुरस्कार: आनंद
1973 फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ  सह-कलाकार पुरस्कार: नमक हराम
1975 फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ  कलाकार पुरस्कार:दीवार
1977 फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ  कलाकार पुरस्कार: अमर अकबर एंथनी
1978 फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ  कलाकार पुरस्कार: डॉन
1990 राष्ट्रीय पुरस्कार: अग्निपथ
1991 फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ  कलाकार पुरस्कार:हम
2000 फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ  सह कलाकार पुरस्कार:मोहब्बतें
2001 फिल्मफेयर समीक्षक पुरस्कार: अक्स
2005 फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ कलाकार पुरस्कार:ब्लैक
फिल्मफेयर समीक्षक पुरस्कार:ब्लैक
राष्ट्रीय पुरस्कार: ब्लैक
2009 फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार, राष्ट्रीय पुरस्कार: पा
साल फिल्म भूमिका नोट्स
१९६९ सात हिंदुस्तानी अनवर अली विजेता, सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार
भुवन सोम (Bhuvan Shome) कमेन्टेटर ( स्वर )
१९७१ परवाना (Parwaana) कुमार सेन
आनंद डॉ. कुमार भास्करबनर्जी / बाबू मोशाय विजेता, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार
रेश्मा और शेरा छोटू
गुड्डी (Guddi) खुद
प्यार की कहानी (Pyar Ki Kahani) राम चन्द्र
१९७२ संजोग (Sanjog) मोहन
बंसी बिरजू (Bansi Birju) बिरजू
पिया का घर (Piya Ka Ghar)
अतिथि उपस्थिति
एक नज़र (Ek Nazar) मनमोहन आकाश त्यागी
बावर्ची (Bawarchi) वर्णन करने वाला
रास्ते का पत्थर (Raaste Ka Patthar) जय शंकर राय
बॉम्बे टू गोवा (Bombay to Goa) रवि कुमार
१९७३ बड़ा कबूतर (Bada Kabootar)
अतिथि उपस्थिति
बंधे हाथ (Bandhe Haath) शामू और दीपक दोहरी भूमिका
ज़ंजीर (Zanjeer) इंस्पेक्टर विजय खन्ना मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
गहरी चाल (Gehri Chaal) रतन
अभिमान (Abhimaan) सुबीर कुमार
सौदागर (Saudagar) मोती
नमक हराम (Namak Haraam) विक्रम (विक्की) विजेता, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार
१९७४ कुँवारा बाप (Kunwara Baap) ऍगस्टीन अतिथि उपस्थिति
दोस्त (Dost) आनंद अतिथि उपस्थिति
कसौटी (Kasauti) अमिताभ शर्मा ( अमित )
बेनाम (Benaam) अमित श्रीवास्तव
रोटी कपड़ा और मकान (Roti Kapda Aur Makaan) विजय
मजबूर (Majboor) रवि खन्ना
१९७५ चुपके चुपके सुकुमार सिन्हा / परिमल त्रिपाठी
फरार (Faraar) राजेश ( राज )
मिली (Mili) शेखर दयाल
दीवार (Deewar) विजय वर्मा मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
ज़मीर (Zameer) बादल / चिम्पू
शोले (Sholay) जय ( जयदेव )
१९७६ दो अनजाने (Do Anjaane) अमित रॉय / नरेश दत्त
छोटी सी बात (Chhoti Si Baat)
विशेष उपस्थिति
कभी कभी (Kabhi Kabhie) अमित मल्होत्रा मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
हेराफेरी (Hera Pheri) विजय / इंस्पेक्टर हीराचंद
१९७७ आलाप (Alaap) आलोक प्रसाद
चरणदास (Charandas) कव्वाली गायक विशेष उपस्थिति
अमर अकबर एंथोनी (Amar Akbar Anthony) एंथोनी गॉन्सॉल्वेज़ विजेता, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
शतरंज के खिलाड़ी वर्णन करने वाला
अदालत (Adalat) धर्म / व राजू मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार.
दोहरी भूमिका
इमान धर्म (Imaan Dharam) अहमद रज़ा
खून पसीना (Khoon Pasina) शिवा/टाइगर
परवरिश (Parvarish) अमित
१९७८ बेशरम (Besharam) राम चन्द्र कुमार/
प्रिंस चंदशेखर

गंगा की सौगंध (Ganga Ki Saugandh) जीवा
कसमें वादे (Kasme Vaade) अमित / शंकर दोहरी भूमिका
त्रिशूल (Trishul) विजय कुमार मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
डॉन (Don) डॉन / विजय विजेता, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार.
दोहरी भूमिका
मुकद्दर का सिकंदर (Muqaddar Ka Sikandar) सिकंदर मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
१९७९ द ग्रेट गैम्बलर (The Great Gambler) जय / इंस्पेक्टर विजय दोहरी भूमिका
गोलमाल (Golmaal) खुद विशेष उपस्थिति
जुर्माना (Jurmana) इन्दर सक्सेना
मंज़िल (Manzil) अजय चन्द्र
मि० नटवरलाल (Mr. Natwarlal) नटवरलाल / अवतार सिंह मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार और पुरुष पार्श्वगायक का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार (Filmfare Best Male Playback Award)
काला पत्थर (Kaala Patthar) विजय पाल सिंह मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
सुहाग (Suhaag) अमित कपूर
१९८० दो और दो पाँच (Do Aur Do Paanch) विजय / राम
दोस्ताना (Dostana) विजय वर्मा मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
राम बलराम (Ram Balram) इंस्पेक्टर बलराम सिंह
शान (Shaan) विजय कुमार
१९८१ चश्मेबद्दूर (Chashme Buddoor)
विशेष उपस्थिति
कमांडर (Commander)
अतिथि उपस्थिति
नसीब (Naseeb) जॉन जॉनी जनार्दन
बरसात की एक रात (Barsaat Ki Ek Raat) एसीपी अभिजीत राय
लावारिस (Lawaaris) हीरा मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
सिलसिला ( फिल्म ) अमित मल्होत्रा मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
याराना (Yaraana) किशन कुमार
कालिया (Kaalia) कल्लू / कालिया
१९८२ सत्ते पे सत्ता (Satte Pe Satta) रवि आनंद और बाबू दोहरी भूमिका
बेमिसाल (Bemisaal) डॉ. सुधीर रॉय और अधीर राय मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार.
दोहरी भूमिका
देश प्रेमी (Desh Premee) मास्टर दीनानाथ और राजू दोहरी भूमिका
नमक हलाल (Namak Halaal) अर्जुन सिंह मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
खुद्दार (Khud-Daar) गोविंद श्रीवास्तव / छोटू उस्ताद
शक्ति (Shakti) विजय कुमार मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
१९८३ नास्तिक (Nastik) शंकर ( शेरू ) / भोला
अंधा क़ानून (Andha Kanoon) जान निसार अख़्तर खान मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार.
अतिथि उपस्थिति
महान (Mahaan) राणा रनवीर, गुरु , और इंस्पेक्टर शंकर ट्रिपल भूमिका
पुकार (Pukar) रामदास / रोनी
कुली (Coolie) इकबाल ए .खान
१९८४ इंकलाब (Inquilaab) अमरनाथ
शराबी (Sharaabi) विक्की कपूर मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
१९८५ गिरफ्तार (Giraftaar) इंस्पेक्टर करण कुमार खन्ना
मर्द (Mard) राजू " मर्द " तांगेवाला मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
१९८६ एक रूका हुआ फैसला (Ek Ruka Hua Faisla)
अतिथि उपस्थिति
आखिरी रास्ता (Aakhree Raasta) डेविड / विजय दोहरी भूमिका
१९८७ जलवा (Jalwa) खुद विशेष उपस्थिति
कौन जीता कौन हारा (Kaun Jeeta Kaun Haara) खुद अतिथि उपस्थिति
१९८८ सूरमा भोपाली (Soorma Bhopali)
अतिथि उपस्थिति
शहंशाह (Shahenshah) इंस्पेक्टर विजय कुमार श्रीवास्तव
/ शहंशाह
मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
हीरो हीरालाल (Hero Hiralal) खुद विशेष उपस्थिति
गंगा जमुना सरस्वती (Ganga Jamuna Saraswati) गंगा प्रसाद
१९८९ बंटवारा (Batwara) वर्णन करने वाला
तूफान (Toofan) तूफान और श्याम दोहरी भूमिका
जादूगर (Jaadugar) गोगा गोगेश्‍वर
मैं आज़ाद हूँ (Main Azaad Hoon) आज़ाद
१९९० अग्निपथ (Agneepath) विजय दीनानाथ चौहान विजेता,सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (National Film Award for Best Actor) और मनोनीत फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार,
क्रोध (Krodh)
विशेष उपस्थिति
आज का अर्जुन (Aaj Ka Arjun) भीमा
१९९१ हम (Hum) टाइगर / शेखर विजेता, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
अजूबा (Ajooba) अजूबा / अली
इन्द्रजीत (Indrajeet) इन्द्रजीत
अकेला (Akayla) इंस्पेक्टर विजय वर्मा
१९९२ खुदागवाह (Khuda Gawah) बादशाह खान मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
१९९४ इन्सानियत (Insaniyat) इंस्पेक्टर अमर
१९९६ तेरे मेरे सपने (Tere Mere Sapne) वर्णन करने वाला
१९९७ मृत्युदाता (Mrityudata) डॉ. राम प्रसाद घायल
१९९८ मेजर साब (Major Saab) मेजर जसबीर सिंह राणा
बड़े मियाँ छोटे मियाँ (Bade Miyan Chhote Miyan) इंस्पेक्टर अर्जुन सिंह और बड़े मियाँ दोहरी भूमिका
१९९९ लाल बादशाह (Lal Baadshah) लाल " बादशाह " सिंह और रणबीर सिंह दोहरी भूमिका
सूर्यवंशम (Sooryavansham) भानु प्रताप सिंह ठाकुर और हीरा सिंह दोहरी भूमिका
हिंदुस्तान की कसम (Hindustan Ki Kasam) कबीरा
कोहराम (Kohram) कर्नलबलबीर सिंह सोढी ( देवराज हथौड़ा)
और दादा भाई

हैलो ब्रदर (Hello Brother) व्हाइस ऑफ गोड
२००० मोहब्बतें नारायण शंकर विजेता, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार
२००१ एक रिश्ता (Ek Rishtaa) विजय कपूर
लगान वर्णन करने वाला
अक्स (Aks) मनु वर्मा विजेता, फ़िल्म समीक्षक पुरस्कार के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (Filmfare Critics Award for Best Performance) और मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
कभी ख़ुशी कभी ग़म यशवर्धन यश रायचंद मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार
२००२ आंखें (Aankhen) विजय सिंह राजपूत मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार
हम किसी से कम नहीं (Hum Kisise Kum Nahi) डॉ. रस्तोगी
अग्नि वर्षा (Agni Varsha) इंद्र ( परमेश्वर ) विशेष उपस्थिति
कांटे (Kaante) यशवर्धन रामपाल / " मेजर " मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
२००३ खुशी (Khushi) वर्णन करने वाला
अरमान (Armaan) डॉ. सिद्धार्थ सिन्हा
मुंबई से आया मेरा दोस्त (Mumbai Se Aaya Mera Dost) वर्णन करने वाला
बूम बड़े मिया
बागबान (Baghban) राज मल्होत्रा मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
फ़नटूश (Fun2shh) वर्णन करने वाला
२००४ खाकी (Khakee) डीसीपीअनंत कुमार श्रीवास्तव मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
एतबार (Aetbaar) डॉ.रनवीर मल्होत्रा
रूद्राक्ष (Rudraksh) वर्णन करने वाला
इंसाफ (Insaaf) वर्णन करने वाला
देव डीसीपीदेव प्रताप सिंह
लक्ष्य (Lakshya) कर्नलसुनील दामले
दीवार (Deewaar) मेजर रणवीर कौल
क्यूं...!हो गया ना (Kyun...! Ho Gaya Na) राज चौहान
हम कौन है (Hum Kaun Hai) जॉन मेजर विलियम्स और
फ्रैंक जेम्स विलियम्स
दोहरी भूमिका
वीर - जारा (Veer-Zaara) सुमेर सिंह चौधरी मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार.
विशेष उपस्थिति
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो (Ab Tumhare Hawale Watan Saathiyo) मेजर जनरल अमरजीत सिंह
२००५ ब्लेक (Black) देवराज सहाय दोहरे विजेता, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार & फ़िल्म समीक्षक पुरस्कार के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (Filmfare Critics Award for Best Performance).
विजेता, राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (National Film Award for Best Actor)
वक़्त (Waqt) ईश्‍वरचंद्र शरावत
बंटी और बबली (Bunty Aur Babli) डीसीपीदशरथ सिंह मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार
परिणीता (Parineeta) वर्णन करने वाला
पहेली (Paheli) गड़रिया विशेष उपस्थिति
सरकार (Sarkar) सुभाष नागरे / " सरकार " मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
विरूद्ध (Viruddh) विद्याधर पटवर्धन
रामजी लंदनवाले (Ramji Londonwaley) खुद विशेष उपस्थिति
दिल जो भी कहे (Dil Jo Bhi Kahey...) शेखर सिन्हा
एक अजनबी सूर्यवीर सिंह
अमृतधारा खुद विशेष उपस्थिति कन्नड़ फिल्म
२००६ परिवार (Family) वीरेन साही
डरना जरूरी है (Darna Zaroori Hai) प्रोफेसर
कभी अलविदा न कहना (Kabhi Alvida Naa Kehna) समरजित सिंह तलवार ( आका.सेक्सी सैम ) मनोनीत , फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार
बाबुल (Baabul) बलराज कपूर
२००७ Eklavya: The Royal Guard एकलव्य
निशब्द (Nishabd) विजय
चीनी कम बुद्धदेव गुप्ता
शूटआऊट ऍट लोखंडवाला (Shootout at Lokhandwala) डिंगरा विशेष उपस्थिति
झूम बराबर झूम (Jhoom Barabar Jhoom) सूत्रधार विशेष उपस्थिति
राम गोपाल वर्मा की आग (Ram Gopal Varma Ki Aag) बब्बन सिंह
ओम शांति ओम (Om Shanti Om) खुद विशेष उपस्थिति
द लास्ट लियऱ (The Last Lear) हरीश मिश्रा
२००८ यार मेरी जिंदगी (Yaar Meri Zindagi)
४ अप्रैल, २००८ को रिलीज
भूतनाथ (Bhoothnath) भूतनाथ ( कैलाश नाथ )
सरकार राज (Sarkar Raj) सुभाष नाग्रे / " सरकार " रिलीज हो गई
गोड तुस्सी ग्रेट हो (God Tussi Great Ho) सर्वशक्तिमान ईश्वर १५ अगस्त, २००८ को रिलीज हो रही है।
जमानत (Zamaanat) शिव शंकर उत्पादन के बाद
अलादीन (Aladin) जिन (Jin) फिल्मांकन समाप्त
तालिसमान (Talismaan)
फिल्मांकन
अपवर्जन (Exclusion)
फिल्मांकन
शांताराम[54] खादर भाई पूर्व उत्पादन
2013 बॉम्बे टॉकीज़ स्वयं अतिथि उपस्थिति

निर्माता

पार्श्व गायक


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