सुरक्षा के लिए कानून
todays
my view -- भारत में महिलाओं की सुरक्षा के लिए अनेक कानूनी प्रावधान किए
गए हैं। फिर भी आए दिन महिलाओं के साथ छेड़छाड़, भेदभाव होता रहता है।
प्रताड़ना, शोषण, बलात्कार, यौन उत्पीड़न व यौन हिंसा जैसी घटनाएं निरन्तर
बढ़ती जा रही हैं। महिलाओं की सुरक्षा का
सवाल भारत में ही नहीं है, बल्कि दुनिया के बहुत से देशों में चिंता का
विषय है.. लेकिन असल सवाल भारत या विदेश का नहीं, सभी लोगों के द्वारा खुद
को सुरक्षित महसूस करने का है हमारे देश में महिलाओं, किशोरियों के साथ
बलात्कार, छेड़छाड़, अमानुसिक उत्पीड़न की घटनाएं समय-समय पर सामने आती
रहती हैं. कोई हमें यह बताये कि भारत महिलाओं के लिए स्वर्ग है या नरक,
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. फर्क तब पड़ेगा जब आम भारतीय जनमानस ऐसी घटनाओं
के प्रति सजग होगा. वर्षो पहले ऐसी घटनाएं नहीं होती थी, यह बात कोई दावे
के साथ नहीं कह सकता था, लेकिन यह तो कहा ही जा सकता है कि ऐसी घटनाएं आम
नहीं थीं. अब लोग सीमा लांघते जा रहे हैं. हरेक समाज में, चाहे वह गांव का
समाज हो या शहर का, ऐसा लगता है कि एक तरह की असुरक्षा की भावना बढ़ी है.
इसके लिए कौन जिम्मेवार है, किसकी कितनी भूमिका है, कहां यह ज्यादा घटित हो
रहा है.. ऐसे सवालों पर विचार करने पर दिख यह रहा है कि ऐसी घटनाएं हर जगह
घटित हो रही हैं, इसके लिए हर तरह के लोग जिम्मेवार हैं, अमीर हो या गरीब
सभी जगह यह समस्या है. असुरक्षा ने अब उम्र की सीमाओं को भी तोड़ दिया है.
ऐसी घटनाओं के शिकार हर उम्र, हर वर्ग, हर जाति, हर धर्म के लोग हो रहे
हैं. ऐसे कितने मामले सामने आ रहे हैं, ऐसी घटनाओं के पीछे किस तरह की
मानसिकता काम करती है, और इनसे बचने के क्या-क्या उपाय हो सकते हैं, ऐसे
विषयों पर देश में गहन चिंतन की आवश्यकता है. ऐसी ज्यादातर घटनाएं सामने
नहीं आ पाती हैं. जो आंकड़े उपलब्ध होते भी हैं वे अपडेट नहीं होते हैं. इस
विषय पर शोध का भारी अभाव है. महिला उत्पीड़न का मतलब सिर्फ यह नहीं है कि
उसे बलात्कार का शिकार होना पड़ा. शारीरिक छेड़छाड़, घूरना, तेजाब फेंकना,
बलपूर्वक उसे अपनी तरफ लाने का प्रयास करना, ऐसे सभी मामले महिला उत्पीड़न
के दायरे में शामिल हैं. लेकिन लगता है कि उत्पीड़न की घटनाओं से निपटने
के लिए हम तैयार नहीं हैं, न सामाजिक रूप से और न ही संस्थागत रूप से. अकसर
कहा जाता है कि सिनेमा और टेलीविजन सीरियल के प्रभाव, या फिर समाज में आ
रहे बदलाव के कारण ऐसी घटनाएं हो रही हैं. हो सकता है, इसमें आंशिक सच्चई
हो, लेकिन इसके और भी कारण हो सकते हैं.
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