सावन का मौसम

सावन का तो मौसम ही ऐसा है जो चारों तरफ हरियाली ला देता है  बच्चे, बड़े सभी इस दौरान खुद को तरोताजा महसूस करने लगते हैं.  सावन के महीने में तो यहां कई बार दिन रात बारिश होती रहती है.  हम खुश होते थे, जब बारिश की वजह से हमें स्कूल नहीं जाना पड़ता था. माँ  गरमागरम पकौड़े बनातीं और हम सब दिन भर बारिश में मौज मस्ती करते रहते. सावन में मज़े करने का इससे बेहतर तरीका और कौन सा हो सकता है? बारिश के मौसम में खानपान, पहनावा, दिनचर्या सब कुछ बदल जाता है.  सावन न होता, तो बारिश कैसे होती? गर्मी से राहत कैसे मिलती? रिमझिम फुहारों के बीच झमाझम फुहारों के बीच में अपनों के साथ भुट्टा खाने का आनंद कैसे उठाते? ऐसे कई कारण है, जिनकी वजह से सावन है मेरा मनपसंद  मौसम.हर नुक्कड़ पर कच्चे कोयलों के लाल सुर्ख अंगारों पर लोहे की जाली के ऊपर उलट पलट कर भुनते हुए भुट्टे . आहा ! यह दृश्य, और भुनते भुट्टे की सुगंध ; मन ही नहीं आत्मा तक को परम आनन्द में आप्लावित कर देती है . जब उस गर्मागर्म भुट्टे पर मसाला और नीम्बू लगवाकर भीगी बरसात में खाने का मज़ा लिया जाता है ; तो कहना ही क्या ! 
जब प्रकृति ने हरी साड़ी पहन ली हो तो किसका मन नहीं मचल उठेगा।सभी बरसात में प्रसन्न होते हैं  और हरियाली देखने के लिए ही  सावन की आस होती है। आजकल वैसे भी हरियाली खत्म होती जा रही है। सावन में हरी-हरी मेंहदी इस हरियाली में मिल जाती है। पेड़ों पर झूले और पेंग भरती महिलाएं तो अब कम दिखती हैं, लेकिन सावन के आते ही उनकी छवि जरूर उभर आती है .मन में. इस मौसम की अगुवाई करते हैं फूल. रंग-बिरंगी दुनिया सज जाती है फूलों की। शुरू से ही मैं फूलों की दीवानी हूं और इस महकते मौसम में खिलते फूलों को देखने के लिए मैं सावन की राह देखती हूं.  तेज गर्मी के बाद सुहावने मौसम में पकौड़ों का स्वाद दोगुना हो जाता है.  सकारात्मक ऊर्जा आती हैं इस मनभावन सावन में .

घनघोर घटाओं के बीच जब बिजली चमकती है और बारिश की फुहार तन-मन भिगो देती है, तब लगता है कि सावन आया.  इसी मस्ती के मौसम के लिए मुझे पूरे साल सावन का इंतजार रहता है.  रिमझिम बूंदों का महीना है सावन। आसमान सें बरसता पानी बहुत रोमांचित करता है . आज सुबह सुबह ये गाना सुना " सावन का महिना पवन करे शोर मोरा जियरा ऐसे नाचे जैसे नाचे मोर " तो यह पुराना गाना सुनकर तबियत खुश हो गई की सावन तो आ गया है . पर तबके सावन और अबके सावन के विषय में सोचने को मजबूर हो गया की तबके सावनो में जोरदार बारिश होती थी और तेज हवाए चलती थी और सररर सररर सन्न्न करती हुई खूब शोर किया करती थी . तेज बारिश के बीच झूला झूलने का आनंद ही कुछ और होता था . समय बदलने के साथ साथ लगता है की सावन भी बदल गया है न तेज जोरदार हवाए चलती है और न जोरदार बारिश होती है . अब तो ऐसा आभास होता है की सावन बारिश के वगैर सूना सूना सा है . भविष्य में सावन के महीने में हरियाली का वातावरण बनाने के लिए और जियरा को खुश करने के लिए और मनवा को मोर जैसे नचाने के लिए कहीं कृत्रिम बारिश का सहारा न लेना पड़े. इस सप्ताह कुछ अच्छे चिठ्ठे पढ़ने का मौका मिला जिनका सार इस चर्चा में शामिल कर प्रस्तुत कर रहा हूँ .

कुछ तो समझो दुनिया वालो.
फूलों से खुशबू मत छीनो.
जो गुलशन के हैं मतवाले.
उनको मधुबन से मत छीनो.

मानव नरभक्षी दानव क्यों.
जीने वालों को जीने दो.
शिव देख रहे दो नैनों से.
मत आंख तीसरी खुलने दो.

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