स्वतन्त्रता दिवस
आज
15 अगस्त है.भारत का 67 वा स्वतन्त्रता दिवस. आज के दिन भारत को
अंग्रेजों से आज़ादी मिली थी. आज़ादी के इतने सालों बाद भी क्या हम इस
आजादी से खुश हैं ? आज़ाद भारत में रहते हुए, आज़ाद भारत में सांस लेते हुए
भी क्या आप खुद को आज़ाद महसूस करते हैं ?
अगर हम गौर करें तो ये पायेंगे कि हमने अपने देश को तो अंग्रेजों से आज़ाद
करवा लिया, मगर यहाँ के लोग और उनकी सोच को हम अंग्रेजीपन से आजाद नहीं
करवा पाए. आज भी हम उसी अंग्रेजीपन के गुलाम हैं. अपने स्कूल, ऑफिस, या
सोसाइटी में तिरंगा फेहरा के हम अगर ये समझते हैं कि हमने आज़ादी हासिल कर
ली है तो ये गलत है.
देश के आज़ाद होने के बाद भी हम यहाँ कि प्रशासनिक प्रणाली और शिक्षा प्रणाली में उनके बनाये हुए नियमों को ही मानते आ रहे हैं. इस आज़ाद भारत कि हर चीज़ में आपको उस अंग्रेजीपन कि झलक दिखाई देगी. यहाँ के लोग, उनकी सोच, उनका रहन सहन सभी उस अंग्रेजीपन के गुलाम हैं. हमें क्यों विदेशी चीजों से इतना लगाव है ? हम विदेशी चीजों से इतने आकर्षित क्यों होते हैं. क्यों हमें हर विदेशी चीज़ कि कामना रहती है जैसे विदेशी कपडे, विदेशी ब्रांड, टीवी, विदेशी खान पान इत्यादि. हमारी नौजवान पीढी का तो सपना ही है विदेश जा कर बस जाना. फिर भले ही वहां जा कर कोई भी छोटे से छोटा काम क्यों न करना पड़े. वहां हमारी कोई इज्ज़त हो न हो. हमारा मीडिया जो कि हर बात में उन अंग्रेजों कि नक़ल करता है. हम खुद को, अपने इतिहास को, अपने राष्ट्र को भुला कर हर चीज़ में उनकी नक़ल कर रहे हैं. हम एक ऐसी अंधी दौड़ में भागे जा रहे हैं जिसका कोई अंत नहीं है. यहाँ टीवी मैं दिखाए जाने वाले समाचार हों या फिर रियलिटी शोस सब के सब सिर्फ विदेशों की नक़ल हैं. आज आप समाचार देखें तो कुछ चैनल टी आर पि रतिंग्स बटोरने के लिए छोटी से छोटी खबर को सनसनीखेज़ बना के पेश करने की कोशिश करते हैं. फिर ये मायने नहीं रखता की उस छोटी सी खबर में कितने मसाले लगाये गए हैं, बड़े शर्म की बात है, कि अपने चैनल की लोकप्रियता बढ़ने के लिए किसी भी बकवास खबर को सनसनी खेज और डरावना बना कर प्रर्दशित किया जाता है. ये समझने की कोशिश कभी नहीं की जाती की ये नकारात्मक खबरें लोगों के मन और मस्तिष्क पर क्या प्रभाव दाल रही हैं. हमारा मीडिया इतना नकारात्मक क्यों है, हमारा मीडिया भारत की शक्तीयों और उपलब्धियों को क्यों नहीं प्रर्दशित करता है. हमारा भारत एक महान देश है, हमारा देश सफलताओं और उपलब्धियों की कहानियों से भरा पड़ा है, फिर भी ऐसी खबरें जिनसे लोगों का आत्मविश्वास और मनोबल बढे, वो प्रर्दशित नहीं की जाती.
देश के आज़ाद होने के बाद भी हम यहाँ कि प्रशासनिक प्रणाली और शिक्षा प्रणाली में उनके बनाये हुए नियमों को ही मानते आ रहे हैं. इस आज़ाद भारत कि हर चीज़ में आपको उस अंग्रेजीपन कि झलक दिखाई देगी. यहाँ के लोग, उनकी सोच, उनका रहन सहन सभी उस अंग्रेजीपन के गुलाम हैं. हमें क्यों विदेशी चीजों से इतना लगाव है ? हम विदेशी चीजों से इतने आकर्षित क्यों होते हैं. क्यों हमें हर विदेशी चीज़ कि कामना रहती है जैसे विदेशी कपडे, विदेशी ब्रांड, टीवी, विदेशी खान पान इत्यादि. हमारी नौजवान पीढी का तो सपना ही है विदेश जा कर बस जाना. फिर भले ही वहां जा कर कोई भी छोटे से छोटा काम क्यों न करना पड़े. वहां हमारी कोई इज्ज़त हो न हो. हमारा मीडिया जो कि हर बात में उन अंग्रेजों कि नक़ल करता है. हम खुद को, अपने इतिहास को, अपने राष्ट्र को भुला कर हर चीज़ में उनकी नक़ल कर रहे हैं. हम एक ऐसी अंधी दौड़ में भागे जा रहे हैं जिसका कोई अंत नहीं है. यहाँ टीवी मैं दिखाए जाने वाले समाचार हों या फिर रियलिटी शोस सब के सब सिर्फ विदेशों की नक़ल हैं. आज आप समाचार देखें तो कुछ चैनल टी आर पि रतिंग्स बटोरने के लिए छोटी से छोटी खबर को सनसनीखेज़ बना के पेश करने की कोशिश करते हैं. फिर ये मायने नहीं रखता की उस छोटी सी खबर में कितने मसाले लगाये गए हैं, बड़े शर्म की बात है, कि अपने चैनल की लोकप्रियता बढ़ने के लिए किसी भी बकवास खबर को सनसनी खेज और डरावना बना कर प्रर्दशित किया जाता है. ये समझने की कोशिश कभी नहीं की जाती की ये नकारात्मक खबरें लोगों के मन और मस्तिष्क पर क्या प्रभाव दाल रही हैं. हमारा मीडिया इतना नकारात्मक क्यों है, हमारा मीडिया भारत की शक्तीयों और उपलब्धियों को क्यों नहीं प्रर्दशित करता है. हमारा भारत एक महान देश है, हमारा देश सफलताओं और उपलब्धियों की कहानियों से भरा पड़ा है, फिर भी ऐसी खबरें जिनसे लोगों का आत्मविश्वास और मनोबल बढे, वो प्रर्दशित नहीं की जाती.
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