दिव्या भारती
महज तीन वर्षो की एक्टिंग करियर में दिव्या भारती ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। उनकी आकस्मिक मौत ने भी लोगों को बड़ी हैरत में डाल दिया।
5 अप्रैल 1993 में उनकी सिर्फ 19 साल की उम्र में मौत हो गई।
शोख,चुलबुली और देहाभिनय की एक नई भाषा गढ़ने वाली दिव्या भारती की याद है
क्या आप सब को अभी भी? चलिए हम ही याद दिला देते हैं। विश्वात्मा फ़िल्म की
याद है आप को? इस फ़िल्म ने दिव्या भारती को स्टार बना दिया था। एक बार तो
लगा कि श्रीदेवी का सिंहासन अब दिव्या ही संभाल लेंगी। यह अस्सी के दशक के
आखिर की बात है। पर फ़िल्मी पंडितों का यह कयास कयास ही रह गया। दिव्या
भारती की दिव्य देह बिला गई। जो देह शोला बनना को बेताब थी, जुगनू बन कर
बिसर गई। पर वह, उन की शोखी, उन की देह की मादकता और उस का जादू मन में
जैसे अभी भी जस का तस शेष है। लेकिन वह हम से इतनी जल्दी इतनी दूर चली
जाएंगी, भला किसे मालूम था? मालूम तो बहुत सारे लोगों को उन की शादी की बात
भी नहीं थी, पर यह बेमेल शादी ही उन की जान की फांस बन गया। जिस शादी की
खातिर उन्हों ने अपना नाम तक बदल डाला था। तब क्या पता था कि यह शादी उन
के जीवन की सांसों पर लगाम लगा बैठेगी और उन के करोड़ों चहेतों का दिल बैठ
जाएगा। इस में दिव्या का युवा दिलों पर चला जादू का जज्बा न जाने कितनों पर
जानिसार था और न जाने कितने दिलों की धड़कन थी वह। यह उस की मौत के बाद
दीवानगी की हद तक हुई कुछ घटनाओं से पता चला। वैसे छन-छन कर आई खबरों का
खुलासा यह था कि दिव्या ने फ़िल्म इंडस्ट्री में पहली बार गोविंदा से दिल
लगाया।
शादी के बाद दिव्या की मां अपनी बेटी-दामाद के साथ खलनायकी करती रहीं। फ़ोन
पर गालियां, धमकियां देती रहीं और गुंडों को साजिद के पीछे लगाती रहीं।
नती्ज़तन साजिद-दिव्या का दांपत्य दरकने लगा और वह मानसिक रूप से डिस्टर्ब
रहने लगीं। शायद इस लिए दिव्या के बीमा एजेंट पिता ओम प्रकाश भारती को जब
दिव्या की मौत की खबर मिली तो उन्हों ने छूटते ही दिव्या की मौत का
ज़िम्मेदार उस की मां को बताया। दिव्या के माता-पिता का दांपत्य भी कभी
मधुर नहीं रहा, जिसके चलते दिव्या पहले ही से बिगड़ैल हो गई और शराब जैसी
चीज़ें उस के लिए ‘टैबू’ नहीं रहीं। मरने की कोशिश उस ने पहले भी एक बार नस
काट कर की थी, पर तब बच गई थी। अब की जैसे मौत उस को गोद में लेने को
तैयार बैठी थी। परेशान वह पहले से ही थी। उसकी परेशानी के फ़िलहाल अब तक
तीन कारणों का सार्वजनिक खुलासा हुआ है। एक तो यह कि मुंबई बम विस्फोट के
सूत्रधार मेमन बंधुओं की साजिद की दोस्ती है, जिस के कारण दिव्या इधर बहुत
परेशान हो कर खूब शराब पीने लगी थी। दूसरा, दिव्या के ‘दिल आशना है’
फ़िल्म में कैबरे दृश्यों से साजिद काफी नाराज थे। इसे ले कर दोनों में
बोलचाल कुछ दिनों बंद तक रही। साजिद की माली हालत इधर बहुत खस्ताहाल हो गई
थी। उस की फ़िल्में पिट रहीं थीं। नई फ़िल्म बनाने के लिए उसे कोई पैसा
नहीं दे रहा था। सो, साजिद दिव्या को बार-बार लोगों से पैसा मांगने के लिए
जोर डालता था। इस से भी दिव्या परेशान थीं। खास कर फ़िल्म निर्माता हनीफ और
समीर की फ़िल्म ‘दिल ही तो है’ में दिव्या भारती ने काम भी किया था।
इन्हीं हनीफ और समीर से दिव्या ने साजिद के कहने पर कर्ज लिया था और साजिद
फिर दिव्या पर इन से और कर्ज मांगने के लिए दबाव डाल रहा था। दिव्या उस से
कर्ज मांगने के लिए आना-कानी करने लगीं तो साजिद नाराज हो गया।
अपनी पहली हिंदी फ़िल्म ‘विश्वात्मा’ में दिव्या भारती ने अभिनय का कोई खास
धागा तो नहीं बुना, पर यह तो उन्हों ने जता ही दिया कि उन की देह में दम
है। उन की शोखी और देह लावण्य जब एक साथ झलका तो लोग उन के कायल ही नहीं,
दीवाने भी हो गए। ‘शोला और शबनम’ के बाद जब ‘दीवाना’ आई तो जैसे वह अपने
चहेतों के लिए नायिका नहीं, नशा बन गर्इं। गोविंदा के बाद शाहरुख खान के
साथ उन की जोड़ी सिर्फ फिट ही नहीं, बल्कि हिट भी हो चली थी। हालां कि वह
‘लाडला’ में अनिल कुमार के साथ भी आने वाली थीं, पर करोड़ों दिलों की लाडली
‘लाडला’ पूरी करने से पहले ही कूच कर गई। दिव्या का डंका तो बज गया था, पर
वह डंका अभी परवान चढ़ना बाकी था। वह चटक शोखी अभी और चहकनी, चमकनी बाकी
थी। वह शोखी और शरारत की सीढ़ियां जिस तेज़ी से चढ़ती हुई औचक सौंदर्य की
रेखाएं गढ़ती जा रही थीं, उन्हें देख लगता था कि श्रीदेवी के हाथ से छूटता
नंबर एक का सिंहासन दिव्या भारती ही संभालेगी। पर ऐसा भी नहीं हुआ।
आखिर ऐसा क्यों है कि शोख और चुलबुली नायिकाओं के हिस्से ऐसे दुर्निवार
संयोग पड़ जाते हैं? आप को ‘जूली’ फ़िल्म की याद है। जूली की नायिका
लक्ष्मी के साथ भी ऐसा ही हुआ था। इधर, ‘जूली लव यू’ की धूम मची और उधर
लक्ष्मी ने आत्महत्या कर ली। रेखा, हेमा मालिनी, श्रीदेवी सरीखी शोख किंतु
परेशानकुल अभिनेत्रियों की त्रासदी भी किसी से छिपी नहीं है। तब के साल
फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार समारोह में जब दिव्या भारती नहीं आई और पुरस्कार
पिता ने लिया, खटका तो तभी हो गया था। पर यह खटका भी इतनी जल्दी खड़क
जाएगा, भला किसे मालूम था?

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