साहस
जब आप स्वयं की ओर देखते हैं तब क्या देख सकते हैं? क्या आपको कोई ऐसा दिखाई देता है जो आपकी अपनी क्षमता से कम अच्छे से रह रहा है? या आप किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जो हर किसी से इस लिए दब जाता है और भय के कारण उनकी हर बात मान लेता है, कि कहीं वह उसका तिरस्कार न करें? या फिर आप किसी ऐसे व्यक्ति को देख सकते हैं जो स्वयं साहस के साथ हर बात का सामना कर सकता है?
कठिन समय और परिस्थितियों में साहस त्याग कर हार मान लेना बहुत ही आसान होता है। यह सोच लेना कि “यह मेरे लिए नहीं है, यह भी सोच लेना बहुत आसान होता है कि दूसरे एक अच्छा जीवन जी सकते हैं परन्तु मैं नहीं।” जो कुछ हो रहा है उसे आराम से लेट कर देखते रहना बहुत ही आसान है पर समय बीतने के साथ-साथ समझ में आने लगता है इस तरह का आराम बाद में हमें पश्चाताप् की एक लम्बी सूची देता है। तब आप कहने लगते हैं, “काश मैं ने ऐसा किया होता या फिर काश मैं यह कह पाता आदि।”
क्या आप अपने जीवन की चालक सीट पर बैठे हैं? क्या आपने यह सौभाग्य पाया है कि आप अपने जीवन का निर्णय ले सकतें हैं या फिर किसी और को अपने जीवन का निर्णय लेने दिया है? क्या आप उन बातों से सहमत हैं जिन के लिए आप दृड़ता के साथ खड़े हैं? क्या आप केवल उन्हीं मूल्यों का सम्मान करते हैं जिन से आपने विवाह के समान जीवन भर का सम्बन्ध बनाया है? यदि आपने इन सब प्रश्नों के उत्तर में न कहा है तो आप को साहस की ज़रूरत है।
साहस क्या है? साहस मन और आत्मा की वह क्षमता है जिसके द्वारा आप निडर होकर जीवन की कठिनाईयों और पीड़ाओं का सामना कर सकते हैं। एडवर्ड वर्नन बेक्कर ने कहा था, “साहस उस काम को करना है जिसे करने से
आप डरते हैं। इस लिए जब तक आपको किसी प्रकार का भय नहीं है तब तक साहस भी नहीं होता है।”
हम ऐसे संसार में रह रहे हैं जहाँ पर सब कुछ बद से बद्तर होता जा रहा है। हम हर तरफ भ्रष्टाचार के समाचार सुनते हैं। और हर दिन हम उसका सामना भी करते हैं। हमारे अन्दर से एक छोटी आवाज़ उठती है और हम से कहती है तुम कुछ अलग बन जाओ। वही करो जो सही है और सदा सच बोलो। जब हम इस आवाज़ कको सुनते हैं तब हम क्या करते हैं? क्या हम उससे कहते हैं, “चुप रह या शान्त हो जा?” या क्या हम उसे गम्भीरता से लेते हैं और एक ऐसा कदम उठाते हैं जिसके लिए शायद हमें एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है?
आप जिसे सही समझते हैं उसके लिए दृड़ता से खड़ा होना या उसे कर गुज़रना ही साहस है। वही करते रहना जो दूसरे करते हैं उसके लिए साहस की ज़रूरत नहीं होती है। यह तो एक ऐसा जीवन होगा जिसके लिए आप कभी भी गर्व अनुभव नहीं करेंगे। कुछ चीज़ें ऐसी होती है जो हमारे आराम और सुविधा से कहीं ऊँची और मूल्यवान होती हैं। कुछ सिद्धान्तों की बातें होती हैं जिन पर हम विश्वास करते हैं और जो हमारे जीवन का आधार हैं और हमारे लिए बहुत ही मूल्यवान है तथा उन के विषय में हम कोई भी समझौता नहीं करना चाहते हैं। एक साहसी महिला या पुरुष ऐसे मामलों मे कभी भी समझौता नहीं करेगा।
साहस का अर्थ है दुख उठा कर भी सच बोलना। साहस का अर्थ यह भी है कि जानने के बाद किसी गलत के खिलाफ कदम बढ़ाना। इसका अर्थ यह भी है कि आप उन लोगों से अलग हो जाएँ जो महत्त्वपूर्ण विषयों पर आप से सहमत नहीं हैं। इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि आप उस सब को खो दें जिस के आप आदी हैं।
किसी विषय के लिए दृड़ता से खड़े होने का अर्थ है कि जैसे-जैसे वर्ष बीतते जाते हैं आप अपने मन में शान्ति से रहेंगे। दोष भावना के साथ जीना आसान नहीं होता है। यदि आप किसी और को कुछ गलत करते देखते हैं और होने देते हैं तब भी आप को अपनी अन्तर आत्मा को भी हिसाब देना होगा। और सबसे बड़ी बात यह है कि आपको परमेश्वर के सामने हर विचार, हर शब्द और हर प्रक्रिया का हिसाब देना होगा। क्या यह भला नहीं होगा कि हम साहस कर के परमेश्वर के सामने अपनी भूल को सुधार लें बजाए इसके कि हम कुछ गलत करके बाकी के सारे जीवन दोष भावना से पीड़ित रहें? सो साहस जुटाएँ!!!
कठिन समय और परिस्थितियों में साहस त्याग कर हार मान लेना बहुत ही आसान होता है। यह सोच लेना कि “यह मेरे लिए नहीं है, यह भी सोच लेना बहुत आसान होता है कि दूसरे एक अच्छा जीवन जी सकते हैं परन्तु मैं नहीं।” जो कुछ हो रहा है उसे आराम से लेट कर देखते रहना बहुत ही आसान है पर समय बीतने के साथ-साथ समझ में आने लगता है इस तरह का आराम बाद में हमें पश्चाताप् की एक लम्बी सूची देता है। तब आप कहने लगते हैं, “काश मैं ने ऐसा किया होता या फिर काश मैं यह कह पाता आदि।”
क्या आप अपने जीवन की चालक सीट पर बैठे हैं? क्या आपने यह सौभाग्य पाया है कि आप अपने जीवन का निर्णय ले सकतें हैं या फिर किसी और को अपने जीवन का निर्णय लेने दिया है? क्या आप उन बातों से सहमत हैं जिन के लिए आप दृड़ता के साथ खड़े हैं? क्या आप केवल उन्हीं मूल्यों का सम्मान करते हैं जिन से आपने विवाह के समान जीवन भर का सम्बन्ध बनाया है? यदि आपने इन सब प्रश्नों के उत्तर में न कहा है तो आप को साहस की ज़रूरत है।
साहस क्या है? साहस मन और आत्मा की वह क्षमता है जिसके द्वारा आप निडर होकर जीवन की कठिनाईयों और पीड़ाओं का सामना कर सकते हैं। एडवर्ड वर्नन बेक्कर ने कहा था, “साहस उस काम को करना है जिसे करने से
हम ऐसे संसार में रह रहे हैं जहाँ पर सब कुछ बद से बद्तर होता जा रहा है। हम हर तरफ भ्रष्टाचार के समाचार सुनते हैं। और हर दिन हम उसका सामना भी करते हैं। हमारे अन्दर से एक छोटी आवाज़ उठती है और हम से कहती है तुम कुछ अलग बन जाओ। वही करो जो सही है और सदा सच बोलो। जब हम इस आवाज़ कको सुनते हैं तब हम क्या करते हैं? क्या हम उससे कहते हैं, “चुप रह या शान्त हो जा?” या क्या हम उसे गम्भीरता से लेते हैं और एक ऐसा कदम उठाते हैं जिसके लिए शायद हमें एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है?
आप जिसे सही समझते हैं उसके लिए दृड़ता से खड़ा होना या उसे कर गुज़रना ही साहस है। वही करते रहना जो दूसरे करते हैं उसके लिए साहस की ज़रूरत नहीं होती है। यह तो एक ऐसा जीवन होगा जिसके लिए आप कभी भी गर्व अनुभव नहीं करेंगे। कुछ चीज़ें ऐसी होती है जो हमारे आराम और सुविधा से कहीं ऊँची और मूल्यवान होती हैं। कुछ सिद्धान्तों की बातें होती हैं जिन पर हम विश्वास करते हैं और जो हमारे जीवन का आधार हैं और हमारे लिए बहुत ही मूल्यवान है तथा उन के विषय में हम कोई भी समझौता नहीं करना चाहते हैं। एक साहसी महिला या पुरुष ऐसे मामलों मे कभी भी समझौता नहीं करेगा।
साहस का अर्थ है दुख उठा कर भी सच बोलना। साहस का अर्थ यह भी है कि जानने के बाद किसी गलत के खिलाफ कदम बढ़ाना। इसका अर्थ यह भी है कि आप उन लोगों से अलग हो जाएँ जो महत्त्वपूर्ण विषयों पर आप से सहमत नहीं हैं। इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि आप उस सब को खो दें जिस के आप आदी हैं।
किसी विषय के लिए दृड़ता से खड़े होने का अर्थ है कि जैसे-जैसे वर्ष बीतते जाते हैं आप अपने मन में शान्ति से रहेंगे। दोष भावना के साथ जीना आसान नहीं होता है। यदि आप किसी और को कुछ गलत करते देखते हैं और होने देते हैं तब भी आप को अपनी अन्तर आत्मा को भी हिसाब देना होगा। और सबसे बड़ी बात यह है कि आपको परमेश्वर के सामने हर विचार, हर शब्द और हर प्रक्रिया का हिसाब देना होगा। क्या यह भला नहीं होगा कि हम साहस कर के परमेश्वर के सामने अपनी भूल को सुधार लें बजाए इसके कि हम कुछ गलत करके बाकी के सारे जीवन दोष भावना से पीड़ित रहें? सो साहस जुटाएँ!!!
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