..कभी खुद से दूर

..कभी खुद से बहुत दूर नही जाना चाहिए.. एक वक्त के बाद, एक दिन.. लौट आने का मन करता है.. और हम वापसी का रास्ता भूल चुके होते है.. ।।..और फिर हम थकने लगते है.. हम जिन्दगी को जीना छोङ कर, उसे बर्दास्त करने लगते है.. ।।..थोङा ठहर जाना अच्छा होता है दोस्तो.. छोटी छोटी खुशियाँ जिन्दगी मे बहुत मायने रखती है, यकीन करे.. ।।..तो थोङा ठहर जाये, और सोचे के पिछली बार आपने पत्नि या प्रेमिका को गुलाब कब दिया था.. सोचेके पिछली बार परिवार के साथ किसी हिल स्टेशन पर कब गये थे आप.. स्कूल या कालेज के दोस्तो से कितने वक्त से नही मिले आप, सोचे.. अपने माता पिता के साथ एक पूरा दिन बिताये कितना वक्त हुआ आपको.. सोचे के पिछली बार आपने दुआ कब की थी, किसी जरूरतमंद की मदद कब की थी.. सोचे के आज आपने अच्छे काम ज्यादा किये या बुरे.. सोचे के क्या आप दिल से, तबीयत से मुस्कुराते है.. ।।..तो इससे पहले के आप बहुत थक जाये, अच्छा होगा थोङा ठहर जाये.. और थोङा वक्त निकाले अपने लिए, अपनो के लिए.. क्योकि जिन्दगी का मतलब सिर्फ साँस लेना भर नही है, ये उससे थोङा ज्यादा कीहकदार है.. ।।

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