मोदी जी कॆ नाम खुला खत- जातिवाद

एक सामान्य वर्ग के गरीब छात्रका मोदी जी के नाम खुला ख़त....आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रमोदी जी.....मै एक सामान्य वर्ग का छात्र हूँ , मेरे पिता का देहांत हो जानेकी वजह से मेरी माँ को घर चलाने में बहुत दिक्कतेआयीं। मैंने अपने गाँव के सरकारी स्कूल फिर कॉलेजमें पढाई की। सरकारी स्कूलकी फीस तक जुटाने में हमे हमेशा दिक्कतहोती थी जबकि मैंने देखा की कुछ वर्गविशेष के बच्चो को, आर्थिक रूप से संपन्न होने बावजूद भी,फीस माफ़ थी औरवजीफा भी मिला करता था। मै पढ़ाई में अच्छा था।इंटरमीडिएट पास करने के बाद मैंने मेडिकल फील्डचुना। एंट्रेंस एग्जाम के लिए फॉर्म खरीदा 650 रुपयेका जबकि सौरभ भारतीय नाम के मेरे दोस्तको वही फॉर्म 250 का मिला। उसके पिता डॉक्टर हैं। एंट्रेंसएग्जाम का रिजल्ट आया। सौरभ भारतीय का नंबर मेरे नंबर सेकाफी कम था, पर उसे सिलेक्शन मिल गया, मुझेनहीं। अगले साल मै भी सेलेक्ट हुआ। मैंनेदेखा की बहुत से पिछड़े जाति के लोग, अनुसूचित जाति केजनजाति के लोग जो हर मामले में मुझसे कहीं ज्यादा सुविधासंपन्नहैं, उनको मुझसे बहुत कम फीस देनी पड़रही है। उनके स्कॉलरशिप्स भी मुझे मिलरही स्कालरशिप से बहुत ज्यादा है और उनका हॉस्टलफीस भी माफ़ है। इंटर्नशिप बीतने केबाद मुझे लगा की अब हम सब एक लेवल पर आ गए, अबकम्पटीशन बराबर का होगा। पर मै गलत था। पोस्टग्रेजुएशन केलिए प्रवेश परीक्षा में मेरा सहपाठी प्रकाश पासवानमुझसे काफी कम नंबर पाते हुए मुझसे बहुतअच्छी ब्रांच उठाता है।प्रधानमंत्री जी ऐसा नौकरी के वक़्तभी होगा।प्रधानमंत्री जी मैंने आजतक कोई भेदभावनहीं किया। किसी को मंदिर में जाने सेनहीं रोका, किसी को कुएं सेपानी पीने से नहीं रोका,किसी से छुआछूत नहीं की, अरे हमसब लोग तो साथ साथ खाना खाते थे , इतिहास मेंकिसने किया, क्या किया उस बात के लिए मै दोषी क्यों? मुझसे क्यूँबदला लिया जा रहा है? मै तो खुद जीवन भर सेजातीय भेदभाव का शिकार होता रहा हूँ। क्या ऐसे में मैं जातिवाद सेदूर हो पाऊंगा? ऐसा मै इसलिए पूंछ रहा हूँ की जातिवाद ख़तमकरने की बात हो रही है तो जाति के आधार पर दिएजा रहे आरक्षण के होते हुए जातिवाद ख़तम हो पायेगा? मुझे कतईबुरा नहीं लगेगा अगर किसी गरीबको इसका फायदा हो, लेकिन मैंने स्वयं देखा है की इसका 95प्रतिशत लाभ उन्ही को मिलता है जिन्हेंइसकी जरुरत नहीं है। शिक्षित वर्ग सेउम्मीद की जाती हैकी वो समाज को बटने से रोके। जातिगत आरक्षण खुद शिक्षितसमाज को दो टुकड़े में बाँट रहा है।प्रधानमंत्री जी कम से कम इस बातकी विवेचना तो होनी चाहिए की आरक्षणका कितना फायदा हुआ और किसको हुआ? अगर इसका लाभ गलतलोगों को मिला तो सही लोगों तक पहुचाया जाना चाहिए। और अगरलाभ नहीं हुआ तो इसका क्या फायदा, और अगर फायदा हुआतो फिर 67 सालों बाद भी इसकी जरुरतक्यों बनी हुयी है?प्रधानमंत्री जी 'जाति के आधार परदिया जा आरक्षण' साफ़ साफ़ योग्यता का हनन है, इससे हर वर्गकी गुणवत्ता प्रभावित हुयी है। अगर जातिगतआरक्षण इतना ही जरुरी है तो फ़ौज में, खेलों में,राजनीतिक पार्टियों के अध्यक्ष के पद में,मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के पदों के लिएआरक्षण का प्रावधान क्यों नहीं किया जा रहा है।प्रधानमंत्री जी हमने आपको बहुतही साहसिक फैसले लेते हुए देखा है। शुद्धराजनीति से प्रभावित इस मुद्दे पर भी साहसिक फैसलेकी जरुरत है। उम्मीद सिर्फ आपसे है।आशा है की ये पत्र कभी आप तक पहुचे तो आप'साहसी' बने रहेंगे।आपके देश का एक गरीब सामान्य वर्ग का छात्र..

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता है,

परफेक्शन

धर्म के नाम पर