एक था बचपन .....

     ( 1 )     बचपन एक ऐसी उम्र होती है, जब बगैर किसी तनाव के मस्ती से जिंदगी का आनन्द लिया जाता है। नन्हे होंठों पर फूलों सी खिलती हँसी, वो मुस्कुराहट,वो शरारत, रूठना, मनाना, जिद पर अड़ जाना ये सब बचपन की पहचान होती है। सच कहें तो बचपन ही वह वक्त होता है, जब हम दुनियादारी के झमेलों से दूर अपनी ही मस्ती में मस्त रहते हैं।क्या कभी आपने सोचा है कि आज बच्चों का वो बेखौफ बचपन कहीं खो गया है? आज मुस्कुराहट के बजाय इन नन्हे चेहरों पर उदासी व तनाव क्यों छाया रहता है? अपनी छोटी सी उम्र में पापा और दादा के कंधों की सवारी करने वाले बच्चेआज कंधों पर भारी बस्ता टाँगे बच्चों से खचाखच भरी स्कूल बस की सवारी करते हैं। छोटी सी उम्र में ही इन नन्हो को प्रतिस्पर्धा की दौड़ में शामिल कर दिया जाता है और इसी प्रतिस्पर्धा के चलते उन्हें स्वयं को दूसरों से बेहतर साबित करना होता है।इसी बेहतरी व प्रतिस्पर्धा की कश्मकश में बच्चों का बचपन कहीं खो सा जाता है।इस पर भी माँ-बाप उन्हें गिल्ली-डंडे, लट्टू, कैरम व बेट-बॉल की जगह वीडियोगेम थमा देते हैं, जो उनके स्वभाव को ओर अधिक उग्र बना देते हैं। अक्सर यहदेखा जाता है कि दिनभर वीडियोगेम से चिपके रहने वाले बच्चों में सामान्यबच्चों की अपेक्षा चिड़चिड़ापन व गुस्सैल प्रवृत्ति अधिक पाई जाती है।आजकल होने वाले रियलिटी शो भी बच्चों के कोमल मन में प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ा रहे हैं। नन्हे बच्चे जिन पर पहले से ही पढाई का तनाव रहता है।उसके बाद कॉम्पीटिशन में जीत का दबाव इनबच्चों को कम उम्र में ही बड़ा व गंभीर बना देता है।अब उन्हें अपने बचपन का हर साथी अपना प्रतिस्पर्धी नजर आता है,जिसका बुरा से बुरा करने को वे हरदम तैयार रहते हैं।क्या आप जानते हैं कि एनिमिनेशन के द्वारा बच्चों को प्रतियोगिता से अचानक उठाकर बाहर कर देना उनके कोमल मन पर क्या प्रभाव डालता होगा?नौकरीपेशा माता-पिता के लिए अपने बच्चों को दिनभर व्यस्त रखना या किसी के भरोसेछोड़ना एक फायदे का सौदा होता है क्योंकि उनके पास तो अपने बच्चों के लिए खाली वक्त ही नहीं होता है इसलिए वे बच्चों के बचपनको छीनकर उन्हें स्कूल, ट्यूशन, डांस क्लासेस,वीडियोगेम आदि में व्यस्त रखते हैं, जिससे कि बच्चा घर के अंदर दुबककर अपना बचपन ही भूल जाए।बाहर की हवा, बाग-बगीचे, दोस्तों के साथ मौज-मस्ती यह सब क्या होता है, उन्हें नहीं पाता।हाँ नया वीडियोगेम कौन सा है या कौन सी नईएक्शन मूवी आई है, ये इन बच्चों को बखूबी पता होता है। पढ़ाई-लिखाई अपनी जगह है, आज के दौर में उसकी अहमियत को नजर अंदाजनहीं किया जा सकता है परंतु बच्चों का बचपन भी दोबारा लौटकर नहीं आता है। कम से कम इस उम्रमें तो उन्हें खुला दें और उन्हें बचपन का पूरा लुत्फ उठाने दें।                    ( 2 )   जब बचपन था, तो जवानी एक ड्रीम था...
जब जवान हुए, तो बचपन एक ज़माना था... !!

जब घर में रहते थे, आज़ादी अच्छी लगती थी...

आज आज़ादी है, फिर भी घर जाने की जल्दी रहती है... !!

कभी होटल में जाना पिज़्ज़ा, बर्गर खाना पसंद था...

 आज घर पर आना और माँ के हाथ का खाना पसंद है... !!!

स्कूल में जिनके साथ ज़गड़ते थे, आज उनको ही इंटरनेट पे तलाशते है... !!

ख़ुशी किसमे होतीं है, ये पता अब चला है...
बचपन क्या था, इसका एहसास अब हुआ है...

काश बदल सकते हम ज़िंदगी के कुछ साल..

.काश जी सकते हम, ज़िंदगी फिर एक बार...!!


 जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे
और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने
अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए
|

✏जब हमारे पास चार रंगों से लिखने
वाली एक पेन हुआ करती थी और हम
सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |

 जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे
ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके..👥


जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |


सोचा करते थे की ये चाँद
हमारी साइकिल के पीछे पीछे
क्यों चल रहा हैं |


🔦On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |


🍏🍑🍈 फल के बीज को इस डर से नहीं खाते
थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |


 बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |

🔆फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने
की कोशिश करते थे की इसकी लाइट
कब बंद होती हैं |


🎭 सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?


और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?


ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो💕


भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...

मगर मुझको लौटा दो बचपन
का सावन ....

वो कागज़
की कश्ती वो बारिश का पानी..
..............

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