वाह रे राजनीति
नेताओं के आचरण से देश शर्मशार है…। कहने को जनसेवक हैं हमारे नेता, मगर
हैं कामचोर—वोट लेने के समय जनता के हितैसी बन बैठगे हैं..जनता के लिए
घड़ियालू आंसू को पूछिए मत.. ऐसा ही वाकया उत्तराखंड की तबाही के बाद देखने
को मिला। उत्तराखंड के चारधाम गए श्रद्धालुओं को राहत और बचाव के नाम
नेताओं ने खूब शोर मचावा…। लेकिन उखाड़ कुछ नही पाए…..सेना के जवानों ने
दिन-रात कठिन मेहनत करके हजारों श्रद्धालुओं को बचाया…जो मर गए उनके अंतिम
संस्कार भी करवाए .। मेरे कहने का मतलब त्रासदी में लोगों की मदद जो भी
किया सेना के जवानों ने किया..।
नेता जो ठहरे सियासतबाज ..उन्हें तो हर काम में राजनीति दिखती है…चाहे दुख हो या सुख सभी में राजनीति करना नेताओं का खानदानी पेशा है..। उत्तराखंड में तबाही से सारा देश शोकाकुल है..चारधाम यात्रा पर गए श्रद्धालुओं के परिजनों को अपनों के आने का इंतजार है…इस मुश्किल की घड़ी में देशभर के कई लोग राहत सामाग्री उत्तराखंड भेज रहे हैं.. लेकिन राजनेताओं को राजनीति के अलावा और कुछ दिखती भी नही..। नेता लोगों के रिलीफ के लिए राजनीति करने पर उतारु हो गए…। कई बड़े नेता तबाही प्रभावित इलाके में हवाई मुआयना कर रहे हैं..नेताओं को कौन समझाए श्रद्धालुओं बचाने और उनकी मदद के लिए सेना लगाई है… क्रेडिड लेने की होड़ में नैतिकता को तिलांजलि दे रहे हैं नेता..। श्रद्धालुओं को वापस और भेजने और फंसे लोगों की मदद के नाम पर टी.वी चैनलों पर नेताओं की क्रिडिट लेने की होड़ मची है. इसी प्रकार राहत सामाग्री लेकर उत्तराखंड जा रहे ट्रकों का डीजल खत्म होने से ट्रक बीच में अटक गया…ये वो ट्रक हैं जिसे सोनिया और राहुल गांधी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था…..इऩ नेताओं के संवेदनशीलता का पता इसी बातों से लगता है…कि ट्रक बीच में अटक जाने की खबर भी उन्हें नही है…. वाह रे नेता..कितनी गंदी राजनीति …कौन कहे सेना के जज्बे को सलाम करने को और उनकी साहस बढ़ाने को …देश की जनता को समझना चाहिए नेता इतने ही संवेदनशील होते तो पहले पही उत्तराखंड में इंतजाम कर लिया गया होता..लेकिन ऐसा होता नही..। विकास की अंधी दौड़ में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ अगर नहीं की जाती तो शायद ही ऐसी तबाही देखने की मिलती…।
उत्तराखंड में तबाही का मंजर सभी ने देखा …ये तो मात्र नजारा भऱ मात्र था…अगर ऐसी ही प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नही रुकेगी तो आने वाले समय में नजीते अभी भी गंभीर होगें….। नेताओं के लिए शख्त हिदायत उत्तराखंड की तबाही ने दिखा ..कि अगर वे नही चेते तो उन्हें भी नतीजे भुगतने पड़ेगे..। इस तबाही में कई नेताओं के भी परिजन या तो लापता हो गए या फिर तबाही के मंजर में समा गये..। बिहार के पूर्व मंत्री अश्विनी चौबे और हरियाणा के पूर्व मंत्री तेजिदर पाल सिंह मान के परिवार भी उत्तराखंड की तबाही से बच नही पाए……
नेता जो ठहरे सियासतबाज ..उन्हें तो हर काम में राजनीति दिखती है…चाहे दुख हो या सुख सभी में राजनीति करना नेताओं का खानदानी पेशा है..। उत्तराखंड में तबाही से सारा देश शोकाकुल है..चारधाम यात्रा पर गए श्रद्धालुओं के परिजनों को अपनों के आने का इंतजार है…इस मुश्किल की घड़ी में देशभर के कई लोग राहत सामाग्री उत्तराखंड भेज रहे हैं.. लेकिन राजनेताओं को राजनीति के अलावा और कुछ दिखती भी नही..। नेता लोगों के रिलीफ के लिए राजनीति करने पर उतारु हो गए…। कई बड़े नेता तबाही प्रभावित इलाके में हवाई मुआयना कर रहे हैं..नेताओं को कौन समझाए श्रद्धालुओं बचाने और उनकी मदद के लिए सेना लगाई है… क्रेडिड लेने की होड़ में नैतिकता को तिलांजलि दे रहे हैं नेता..। श्रद्धालुओं को वापस और भेजने और फंसे लोगों की मदद के नाम पर टी.वी चैनलों पर नेताओं की क्रिडिट लेने की होड़ मची है. इसी प्रकार राहत सामाग्री लेकर उत्तराखंड जा रहे ट्रकों का डीजल खत्म होने से ट्रक बीच में अटक गया…ये वो ट्रक हैं जिसे सोनिया और राहुल गांधी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था…..इऩ नेताओं के संवेदनशीलता का पता इसी बातों से लगता है…कि ट्रक बीच में अटक जाने की खबर भी उन्हें नही है…. वाह रे नेता..कितनी गंदी राजनीति …कौन कहे सेना के जज्बे को सलाम करने को और उनकी साहस बढ़ाने को …देश की जनता को समझना चाहिए नेता इतने ही संवेदनशील होते तो पहले पही उत्तराखंड में इंतजाम कर लिया गया होता..लेकिन ऐसा होता नही..। विकास की अंधी दौड़ में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ अगर नहीं की जाती तो शायद ही ऐसी तबाही देखने की मिलती…।
उत्तराखंड में तबाही का मंजर सभी ने देखा …ये तो मात्र नजारा भऱ मात्र था…अगर ऐसी ही प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नही रुकेगी तो आने वाले समय में नजीते अभी भी गंभीर होगें….। नेताओं के लिए शख्त हिदायत उत्तराखंड की तबाही ने दिखा ..कि अगर वे नही चेते तो उन्हें भी नतीजे भुगतने पड़ेगे..। इस तबाही में कई नेताओं के भी परिजन या तो लापता हो गए या फिर तबाही के मंजर में समा गये..। बिहार के पूर्व मंत्री अश्विनी चौबे और हरियाणा के पूर्व मंत्री तेजिदर पाल सिंह मान के परिवार भी उत्तराखंड की तबाही से बच नही पाए……
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