संगीत- मेरा जीवन

इस दुनिया में , इस कायनात में बहुत सी चीजें ऐसी हैं जो इंसान के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बहुत उपयोगी हैं ! जैसे प्रकृति इंसान को जीवित रखने के लिए , ज्ञान पाप और पुन्य की परिभाषा के लिए ! धर्म , संस्कार और भी हैं जिनका महत्व इंसान के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है ! इन सब में संगीत का अपना ही अलग महत्त्व है ! इंसान के जीवन में संगीत का भी बहुत महत्व है ! क्योंकि संगीत से बेहतर इस दुनिया में कोई और दूसरी चीज नहीं है और ना कभी होगी ! क्योंकि संगीत सभी बन्धनों से आजाद है ! संगीत का कोई धर्म नहीं कोई मजहब नहीं है ! यह किसी जाति विशेष का गुलाम नहीं है ! संगीत का कोई रंग रूप नहीं है और ना ही कोई उसे किसी भी बंधन में बाँध सकता है ! संगीत हिन्दू का है और ना मुसलमान का , संगीत सबका प्यारा है ! इस दुनिया में संगीत का कोई सानी नहीं ! जिस तरह इन्द्रधनुष के सात रंग होते हैं , ठीक उसी प्रकार संगीत में भी सात सुरों का संगम होता है ! जिस तरह इंसान के जीवन में सात वचनों का महत्व है , ठीक उसी प्रकार सात सुरों की सरगम का इंसान के जीवन से बहुत गहरा और पुराना नाता है ! संगीत क्या है ? इसका महत्त्व हम इतिहास के पन्ने पलटकर देख सकते हैं ! सेंकडों घराने हैं संगीत के वो भी एक से बढकर एक ! "अकबर" के नौ रत्नों में एक संगीत सम्राट " तानसेन " जो अपने संगीत से पानी में आग लगा देते थे , संगीत से बारिस भी करा देते थे ! संगीत जब बजता है तो अच्छे से अच्छा और बुरे से बुरा इंसान भी एक बार थिरकने पर मजबूर हो जाता है ! इतनी ताकत होती है संगीत में ! संगीत के कई रूप है ! कभी माँ की लोरी में तो कभी पिता की थपकी में , ईश्वरके भजन में तो अल्लाह की अजान में, संगीत रोते हुए लोगों को हंसाता है तो हँसते हुए लोगों को रुलाता भी है ! संगीत इंसान खुशियों में शामिल होता है तो गम में भी साथ देता है ! संगीत की पहुँच हर जगह है ! संगीत के देवाने अपने भी हैं और पराये भी, संगीत के चाहने वालों में दोस्त भी होते हैं और दुश्मन भी होते हैं ! कभी लैला के लिए मंजनू तो कहीं सोहनी का महिवाल , हीर का रांझा है संगीत ! संगीत तो निर्जीव में जान तक डाल सकता है ! अब बताएं हुआ संगीत इस दुनिया में सबसे वेहतर ........ क्या और कोई है इससे बेहतर ! लेकिन जैसे - जैसे वक़्त बीत रहा है , संगीत की परिभाषा बदल रही हैं ! संगीत का अस्तित्व कहीं कहीं आज की आधुनिकता की चकाचौंध में खोता जा रहा है ! अब संगीत में वह दम नहीं रहा जो पहले कभी हुआ करता था ! पहले कभी संगीत को नौ रत्नों में गिना जाता था, अब बो बात नहीं हैं ! अब संगीत का निर्माण ठीक ढंग से नहीं हो रहा है ! और जिस तरह का संगीत आजकल चल रहा है , उसको देखते हुए उसके चाहने वाले भी कम होते जा रहे हैं ! आज फूहड़ संगीत की ज्यादा डिमांड है ! आज उलटे - सीधे तरीके से संगीत का निर्माण किया जा रहा है वो भी सिर्फ पैसा बनाने के लिए ! आज भद्दा संगीत लोगों की पसंद बन गया है ! इसलिए संगीतकार भी उनको बही परोस रहे हैं ! कभी " मुन्नी बदनाम " तो कभी " शीला की जवानी " आज लोगों के पसंदीदा हो गए हैं ! आज इस तरह के गाने अवार्ड जीत रहे हैं ! आज जिस तरह का संगीत बन रहा है जिस तरह के गीत लिखे जा रहे हैं सब के सब व्यावसायिक , कुछ भी बनाओ कुछ भी सुनाओ और सिर्फ पैसा बनाओ ! आज का संगीत ज्यादातर अर्थहीन और उच्चारण ऐसा की " राम " और " रम " में अंतर करना मुश्किल ! कोई ग़ज़ल पर डिस्को कर रहा है तो कोई भजन पर डांस ! चारों तरफ सब कुछ उल्टा-पुल्टा ! किन्तु आज भी कई लोग ऐसे हैं जो पुराने और अर्थ सहित संगीत को सुनना पसंद करते हैं ! " ओल्ड इस गोल्ड " आज भी सबके प्रिये है ! 
आज संगीत अपनी पुरानी ताक़त और पुराना नाम लगभग मिटाता जा रहा है ! कृपया इसे बचाएं यह हमारी और आपकी धरोहर है ! इसके महत्व को जानें और समझें ! इसलिए मैं कहता हूँ की 
संगीत से बेहतर कोई नहीं है ............... संगीत सदा अमर रहेगा 
क्या आप भी इसके दीवाने हैं ?
सा रे गा माँ पा धा नी सा ...…   संगीत की सहजता, सरलता और उसकी अपार शक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हमारे यहाँ देवी-देवता भी बिना,मुरली, डमरू तथा वीणा के पुरे नहीं समझे गए हैं, मानव का तो प्रशन ही क्या है | संगीत मानव को ही नहीं अपितु अन्य प्राणियों को भीअपने वश में करने की विशेषता रखता है | संगीत मन को एकाग्र करने में भी बड़ा सहायक शिद्ध होता है | संगीत के माध्यम से आपअपने ईष्ट में बड़ी जल्दी और सुगमता से तन्मय हो सकते है | योगी जन जीवात्मा और परब्रम्ह में की जिस एकता के लिए अपनासम्पूर्ण जीवन सुखा देता है वह संगीत के माध्यम से सहज ही प्राप्त हो जाता है| क्या जड़ और क्या चेतन संगीत सब पर अपना समानअधिकार रखता है | संगीत की विशेताओं का वर्णन करते हुए कारलाइन ने एक स्थान पर लिखा है कि Music is well said to be speech of angels अर्थात् संगीत को फरिश्तों कि भाषा ठीक ही कहा गया हैसृष्टि के प्रारम्भ से संगीत हमारे जीवन का अभिन्न अंग रहा है | अगर देखा जाये तो प्रकृति का प्रत्येक तत्व संगीतमय है| कलकल करती नदियां हो या फिर सन्तूर की तान छोड़ते झरने, हवा के संग संग मद मस्त झूमते बाग वन हो या फूलों की खुसबू से मदहोश भवरें और तितलियां, ये सभी संगीत की स्वछंद स्फ्रुतिट स्वर लहरियों पर इतराते नजर आते है| कुछ वैज्ञानिको ने तो यहाँ तक कहा है कि संगीत ही वो विधा है जो हमारे मन मस्तिष्क पर सीधा असर डालती है| संगीत की अब तक की यात्रा पर दृष्टिपात करने से ये बात पूणतः सत्य लगती है|  …..  आज जिस तरह का संगीत बन रहा है जिस तरह के गीत लिखे जा रहे हैं सब के सब व्यावसायिक , कुछ भी बनाओ कुछ भी सुनाओ और सिर्फ पैसा बनाओ ! आज का संगीत ज्यादातर अर्थहीन और उच्चारण ऐसा की " राम " और " रम " में अंतर करना मुश्किल
 

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