पॆसे का रंग
स्वयं विचार कीजिये....!Title - इतना कुछ होते हुए भी !जब पैसा नहीं होता है तो सब्जियां पका के खाता हैऔर जब पैसा आ जाता है तो सब्जियां कच्ची खाता है।.जब पैसा नहीं होता है तो मंदिर में भगवान के दर्शन करने जाता है और जब पैसा आ जाता है तो इंसान भगवान को दर्शन देने जाता है।जब पैसा नहीं होता है तो नींद से जगाना पड़ता हैऔर जब पैसा आ जाता है तो नींद की गोली देके सुलाना पड़ता है।जब पैसा नहीं होता है तो अपनी बीवी को सेक्रेट्री समझता हैलेकिन जब पैसा आ जाता है तो सेक्रेट्री को बीवी बना लेता है।ऐसा है ये पैसा अजीब है ये पैसा...???छोटा सा जीवन है, लगभग 80 वर्ष।उसमें से आधा =40 वर्ष तो रात कोबीत जाता है।उसका आधा=20 वर्षबचपन और बुढ़ापे मे बीत जाता है।बचा 20 वर्ष। उसमें भी कभी योग,कभी वियोग, कभी पढ़ाई,कभी परीक्षा,नौकरी, व्यापार और अनेक चिन्ताएँव्यक्ति को घेरे रखती हैँ।अब बचा ही कितना ?8/10 वर्ष।उसमें भी हमशान्ति से नहीं जी सकते ?यदि हम थोड़ी सी सम्पत्ति के लिए झगड़ा करें,और फिर भी सारी सम्पत्ति यहीं छोड़जाएँ, तो इतना मूल्यवान मनुष्य जीवनप्राप्त करने का क्या लाभ हुआ ???स्वयं विचार कीजिय
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