जिन्दगी वास्तविकता से परे लग रही है .इतने झूट मिलते है की लगता है सच्चाई कुछ समय बाद सिर्फ किताबों में हे मिलेगी .भविष्य में बच्चों को बताया जायेगा की झूट बोलना हमारा जन्मसिद्य अधिकार है और उन्हें अपने इस अधिकार का हमेशा पालन करना चाहिए .तब खुच लोगों को बीमार बताया जायेगा और बताया जायेगा की इन्हे सच बोलने की बीमारी है .कुछ लोग अपनों के सामने इतने सलीके से झूट बोलते है,ये जानते हुए की उनका अपना जन रहा है की बो झूट बोल रहे है,की सक होगा की इन्होने अपने जीवन में कभी भी झूट नहीं बोल होगा .जिन्दगी हकीकत से बहुत दूर चली गए है और अब बापस आ पाना बहुत ही कठिन लगता है .इस झूट की आदत लोगों को इतनी हो गए है की बो अव अपने आप से भे आसानी से झूट बोल लेते है और बैसे ही जैसे की किसी और से बोल रहे हों .अगर बो खुद से झूट न बोल पायें तो सायद बो दुनियां से भी न बोल पायेगें क्योंकि उनकी अंतरात्मा उनकी जुबान बंद कर देगी और बो झूट बोलने में असफल हो जायेंगे .कितना अजीब लगता है जब किसी को झूट बोलते हुए देखता हूँ .बो मुझसे नहीं अपने आप से झूट बोल रहे होते है . और गम इस बात का होतक है की बो जन कर भे नहीं जन पता की बो झूट बोल रहा है .जुट ने जिन्दगी में इतने गहरी पैठ बना राखी है आप अगर इसे खत्म कर दें तो कई जिंदगियां अपने आप खत्म हो जायेगीं ठीक वैसे ही जैसे जैसे बिना हवा के हम .कई लोगों के जीवन का आधार तो झूट ही है .जहाँ जीवन का आधार ही झूट हो वहां आप कुछ भे गलत या सही नहीं कह सकते क्योंकि आप गलत दिशा की गाड़ी पर सफ़र कर रहे हैं अब आप अपना घर 10 मील बताएं या 20 मील दोनों ही सही और गलत है क्योंकि आप सही हो सकते है की आपका घर 10 मील पर है पर वो आने वाला नहीं है और आप गलत हो जाते है।हे भगवन अगर आप मानव जाती का लिए कुछ करना चाहते है तो इस आधार को बदल दीजिये वरना कल क्या होनेवाला है ये आप भे देख कर अपने सबसे अच्छी खोज के ऊपर आंसू बहाने के लिए हो जाइये .
ऎ खुद यूँ अगर है ,तो सच की रोशनी कर दे ,\
झूट से दर गए दुनियां ,अब हमारे अन्दर रोशनी भर दे
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