मैं एक इंसान हूँ
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मैं एक बहुत ही सरल और विनम्र इंसान हूँ। अपने देश, परिवार और धर्म को विशेष एहमियत देता हूँ।
मेरी सोच पूर्णतः भारतीय और हिंदूवादी है, और मैं बस यही सोचता हूँ कि सबसे पहले भारत उसके बाद अपना परिवार, फिर धर्म।
मेरा कट्टरपंथ को किसी भी तरह का समर्थन नहीं है। मेरा मानना है कि जब किसी मनुष्य में धर्म को लेकर कट्टरपंथी विचारधारा बन जाये तो वो मनुष्य अपने धर्म और परिवार के साथ विनाश की तरफ बढ़ रहा होता है।
इंसान को सबसे पहले इंसान बन जाना चाहिए फिर धर्म और जाति की कोई जरूरत ही नहीं रहेगी।
जिन्दगी की आधी शिकायत तो ऐसे ही दूर हो जाये, अगर लोग एक दुसरे से बोलना सीख़ जाएँ। अगर खुश होना है तो साथ रहना सीखना होगा।
हमारा सबका यही मानना है कि ईश्वर ने मनुष्य को बनाया है, अगर हम ईश्वर को सर्वोच्च शक्ति मानते हैं तो हम होते कौन है ईश्वर के बारे में कुछ भी तय करने वाले।
समय-समय पर कुछ गिने चुने कट्टरपंथियों ने मजहबी शागुफे छेड देश की एकता और अखंडता पर कठोर, क्रूर, आघात किये हैं। चाहे वो अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद ध्वस्तीकरण हो या गुजरात में गोधरा काण्ड, इसके अलावा मालेगांव ब्लास्ट, कोशिकला (मथुरा) के दंगे, संसद पे हमला, मुंबई पे आतंकवादी हमला या कश्मीर में सैनिकों पे हमले इत्यादि।
अगर ये देखा जाए तो ये सिर्फ एक कट्टरवाद, साम्प्रदायिकता और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली साजिश हैं, जो कभी न मिटने वाली कालिख और शर्मनाक राष्ट्रिय दुर्घटना हैं।
जरा सोचीय क्या कभी कोई धर्म, कोई धर्मवाद क्या उपदेश देता है की अपनी संप्रभुता और अपनी संस्कृति के बचाव के लिए उसके अनुयायी, मासूम निर्दोष लोगो की न्रशंश: ह्त्या का स्वांग रचें?
क्या इन शर्मनाक घटनाओं के द्वारा किसी धर्म और देश की रक्षा की जा सकती है या वे लोग ये कह सकते हैं कि जो कुछ वो कर रहे है वो धर्म और देश हित में कर रहे हैं?
ये और कुछ नहीं बल्कि सिर्फ अपने देश और धर्म को बर्बाद करने की साजिश मात्र है। जिनका हम लोगो को पुरजोर विरोध करना होगा, और समाज में पनप रही ऐसी कुरीतियों को दूर करना ही होगा।
भारत को देश के युवाओं की उनकी सोच की जरुरत है, देश के हालत बहुत अच्छे नहीं है यहाँ की गन्दी राजनीति की वजह से अस्थिरता फैलती जा रही है, लोग मर रहे हैं या मार रहे हैं, किसी को देश की नहीं पड़ी है।
भारत माता रो रही है, देश मर रहा है, अगर बचाना है तो बचा लो अब वक़्त नहीं बचा है।
जी लो इस वक़्त को देश के नाम पे, फिर ना कहना हम भी कुर्बानी दे सकते थे...
जय हिन्द, जय भारत
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