मेहनत
कर्म और किस्मत पर हज़ारो सालो से विद्वान और दार्शनिक लोगो के बीच मे बहस होता आई है, किसकी महत्ता ज़्यादा है और कौन ज़्यादा प्रभावशाली है इस पर अभी भी लोगो के विचार बहुत अलग है। जीवन के सिद्धांतो मे कर्म और किस्मत एक पहेली हैं जिन्हे अभी कर कोई भी हल नही कर पाया है। प्राचीन वेदो मे किस्मत और कर्म को दो अलग अलग पहलु के रुप मे बताया गया है जो कभी न कभी हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। यह विषय थोड़ा जटिल और मुश्किल है। जबसे मनुष्य इस धरती पर आया है तबसे लेकर आज तक उसकी ज्ञान, सत्य और सुख पाने की जिज्ञासा अभी तक शांत नही ही है अभी भी वह सुख समृद्धि पाने के लिए व्याकुल है। कर्म एक क्रिया है जिसमे आप अपने स्वभाव के अनुसार कार्य करते है, कर्म किसी इच्छा को पाने के लिया किया गया प्रयास है। कर्म क्या है ? वेदो और पुराणो मे कर्म को मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म माना गया है। ईश्वर की परम कृपा पाने और जीवन को सफल बनाने के सिर्फ एक ही मार्ग है कर्म का मार्ग। ऐसा माना जाता है कि अपने जीवन मे हम जो भी कार्य करते उसका अच्छा या बुरा परिणाम हमे अवश्य मिलता है। जो भी सुख या दुख हम भोगते है वें कही न कह...