पढ़ाई की चिंता

मार्च-अप्रैल का महीना विद्यार्थी जगत के लिए कठिन दौर से गुजरने वाला सिद्ध होता रहा है। माता पिता और बड़े भाई बहन छोटो की परीक्षा के इन महीनों में सभी प्रकार से उनके लिए पढ़ाई का वातावरण निर्मित करने में माथापच्ची करते देखे जाते है, तो वहीं दूसरी ओर अपनी पढ़ाई की चिंता करते हुए विद्यार्थी भी अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या में परिवर्तन करने की चिंता में दिखाई पड़ते है। यह एक ऐसी अवस्था होती है जब विद्यार्थी जगत को सकारात्मक दिशा निर्देश की महती जरूरत गंगा पार उतरने की राह से कम नहीं लगती है। इन्हीं सब गंभीर चिंता वाली परिस्थितियों में विद्यार्थियों की सबसे बड़ी समस्या याददाश्त को अपने चेतन मन में स्थायी स्थान प्रदान करना ही होता है। हम यह भली भांति जानते है कि जिनकी याददाश्त तीव्र होती है, वे परीक्षाओं में बेहतर नतीजे प्राप्त कर दिखाते है। यदि आपकी याददाश्त अच्छी और पुख्ता है, तो आप एक समय में प्राप्त की गयी शैक्षणिक जानकारी को आसानी से पुन: स्मरण कर सकते है। इस समय विद्यार्थियों को अपना दिमाग पूरी तरह स्वच्छ रखते हुए उसे कम्प्यूटर की सीपीयू मशीन कर तरह एक बार फॉर्मेट कर लेनी चाहिये, ताकि किसी प्रकार का वॉयरस परीक्षा के समय आपको विचलित न कर सकें।
विद्यालयीन और महाविद्यालयीन परीक्षाओं में बैठने वाले अधिकांश लोगों को परीक्षा जीवन और मृत्यु का प्रश्न लगती है। गहरी चिंता और परीक्षा का भय उन्हें नीरसता से साक्षात्कार कराता प्रतीत होने लगता है। यही कारण है कि विद्यार्थियों की याददाश्त की क्षमता और तार्किक सोच का पक्ष अंदर ही अंदर दफन होने लगता है। यहीं से विद्यार्थियों का आत्म विश्वास डगमगाने लगता है और उनकी चेतन और अचेतन मन की स्मृतियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। अधिक समय तक इस स्थिति से न उबर पाने के कारण उन्हें मिलने वाला नतीजा खराब भूमिका के रूप में सामने आता है। विद्यार्थियों को यह याद रखना चाहिए कि यदि वे अपने विषय की अच्छी जानकारी और ज्ञान रखते है, तो भी मानसिक असंतुलन के कारण वे अपने लक्ष्य में सफलता नहीं पा सकते है। किसी भी परीक्षा में बेहतर करने के लिए जरूरी है कि हम अपना आत्म विश्वास सदैव ऊंचा रखें। किसी भी विषय की परीक्षा बला के रूप में नहीं वरन् मजा लेते हुए दी जानी चाहिये। यही किसी भी शैक्षणिक कदम का जरूरी भाग हुआ करता है।
अक्सर यह देखा जाता है कि कुछ जरूरी बातें याद रखने के चक्कर में अनेक बातें विद्यार्थी भूल जाते है। पढ़ते समय पाठ के मूल पर ध्यानाकर्षण होना चाहिये। अपने मस्तिष्क को यहां वहां भटकने न दें। नाम और नंबरों पर विशेष ध्यान केंद्रित करें। पढ़े गये अंश को याद रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास अथवा बार-बार उन्हें फेरना अत्यंत जरूरी है। प्रयास कहीं से भी अधूरा नहीं होना चाहिये। याद करने के बाद पाठ को दहरायें अन्यथा याददाश्त आपको धोखा दे जायेगी। हमें अपने मस्तिष्क को इस तरह सेट करना चाहिये कि हम परीक्षाओं को सुचारू ज्ञानार्जन प्रक्रिया और अतिरिक्त शैक्षणिक योग्यता के तौर पर देख सकें। आखिरकार जो लोग बड़ी से बड़ी परीक्षायें उत्तीर्ण करते है वे तुम जैसे ही विद्यार्थी हुआ करते है। दीर्घ कालिक समझ के रूप में सबसे पहले इम्तिहान से डरना छोड़े देना चाहिये। अपने आत्म विश्वास को ऊंचाई पर रखते हुए मात्राओं की त्रुटियों को सुधारात्मक रूप प्रदान करते हुए भाषायी कौशल को सुधारने का प्रयास बार-बार लिखकर करना चाहिये। पढ़ने की सही विधि का चयन करते हुए मुख्य बिंदुओं को एक स्थान पर लिखने की शुरूआत करें। पाठयक्रम और पिछले प्रश्न पत्रों का उपयोग करते हुए उन्हें हल करें। परीक्षा कक्ष के हालात का अनुशरण करते हुए पिछले प्रश्न पत्र में पूछे गये प्रश्नों का हल समय सीमा में देने, समय प्रबंधन पर ध्यान दें। इस हेतु शालाओं में होने वाली प्री-बोर्ड परीक्षा को अपनी आंकलन परीक्षा के तौर पर लेते हुए पूरी गंभीरता से उसमें शामिल हों।
परीक्षा कक्ष में प्रवेश करने से पूर्व जरूरी तैयारी को अंतिम रूप देने के बाद परीक्षा तिथि और समय का विशेष ध्यान रखा जाना भी जरूरी है। प्रत्येक विद्यार्थी को अपना अध्ययन पाठयक्रम तक सीमित रखना चाहिये। परीक्षा के दिनों में बहकाने वाले और प्रश्न पत्र फुटने जैसी खबरों पर ध्यान न देते हुए एकाग्रता बनाये रखना चाहिये। किसी भी प्रकार के तनाव देने वाले कारणों अथवा अवसाद (डिप्रेशन) उत्पन्न करने वाली स्थितियों से स्वयं को बचाने का प्रयास करना चाहिये। प्राय: यह देखा जा रहा है कि परीक्षा के दिनों में विद्यार्थी रात-रात भर जागकर पढ़ाई करते है, इसे तुरंत अपनी आदत से दूर कर देना चाहिये। परीक्षा के दिनों में पूरी नींद लेते हुए रात्रि में जल्दी सोकर सुबह जल्दी उठना टाईम-टेबल में शामिल किया जाना चाहिये। परीक्षा केंद्र में समय से 15 मिनट पूर्व पहुंचने के साथ इस बात पर भी पर्याप्त ध्यान देना चाहिये कि साथी परीक्षार्थियाें से अधिक बातें न करें। प्रश् पत्र हाथ में आने से पहले और परीक्षा कक्ष में प्रवेश करने से पूर्व आत्म विश्वास को ऊंचा रखते हुए अपने सीट पर पहुंचे। साथ ही अब केवल उन प्रश्नों के विषय में ही सोचें जो आपको आते हो। जो न आते हों अथवा जिन्हें न पढ़े हो, उनके विषय में बिल्कुल भी विचार न करें। जहां तक हो सके उन्हें भूलने का प्रयास करें।

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