तमाशा

कब तक हमलोग ये सब देखते और सुनते रहेगें,जब सरकार हर मुद्दे पर कड़ा कानून बना सकती है तो ये रेपिस्ट लोगों पे कड़ा कानून क्यों नही बना रही है,
जब भी कुछ इस तरह की घटना होती है तो लोंगो में आक्रोश होता है वे क्रोधित होते हैं लेकिन कुछ कर नही पाते है, क्योंकि हमलोंगों की आवाज सुनने वाला कोई नही है,धीरे-धीरे ये गुस्सा खत्म हो जाता है और बात आई गई हों जाती हैं।
अगर कोई दोषी कभी पकड़ा जाता है तो उसपे दोष सिद्ध होने में सालों लग जाते हैं।
 ये कैसा कानून है ? 
और हमलोग बस अपने स्टेटस और स्टोरी में बस RIP लगा के रह जाते है !
आख़िर उन बेरहमियो के लिए कानून क्यों नही बना रही है सरकार ।
 हमलोग सिर्फ अफसोस करते रहते हैं और उसे भूलने की कोशिश करते हैं लेकिन फिर से कुछ नए ऐसी घटना सुनने को मिल जाती है जिससे रूह कांप जाती है !
आज देश मे मानवाधिकार, महिलाआयोग , हिन्दुत्व के सारे ठेकेदार व पत्रकारिता , पुलिस, सरकार व अदालत  सब निष्क्रिय हो चुका है ।। 
दुर्गा काली बनने का तो पता नही लेकीन हा 
आज जरूरत है देश की हर इक बेटी को  फूलन देवी बनने की ।।
जो सीधे बलात्कारियो के सीने मे गोली मार मौत के घाट उतार दे ।

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