मोह को छोडे़

एक छोटा सा प्रयोग करें। अपने जीवन में पकड़ को छोड़ने की। जो भी चीज, कोई भी वस्तु व्यक्ति या कुछ भी, जिसे आप जोर से पकड़ कर बैठे हुए हैं, एक क्षण के लिए उसे जाने दीजिए। उस पर से पकड़ छोड़ दीजिए। फिर देखिए कैसी अद्भुत शांति आपको मिलती है। एक पल को उस पर से मोह छोड़िए। चाहे वह कितना ही महत्वपूर्ण आपके मस्तिष्क को लग रहा हो, लेकिन बिल्कुल एक बार हिम्मत कीजिए, उसे छोड़ने का साहस कीजिए। अपने हृदय की पुकार एक बार सुनिए, फिर देखिए आपको एक नई दुनिया दिखाई देगी। जितना कस के, मजबूती से आप किसी भी चीज को पकड़ते हैं, उतनी ही मजबूती से, जोर से, कस के वह चीज आपको पकड़ लेती है। उतने आप भारी हो जाते हैं। आप जमीन में गड़ते चले जाते हैं। और जितना ही ज्यादा आप पकड़ छोड़ कर चले जाते हैं, उतना ही ज्यादा आप हल्के होते चले जाते हैं और आसमान में स्वच्छंद पंछी की तरह असीम ऊंचाइयों पर उड़ने का परमानंद पाते हैं। इसलिए पुराने सारे कूड़े कचरे को ( चाहे वह आपकी पुरानी यादें हों, आपके फोन में मौजूद कचरा हो गए फालतू के कॉन्टेक्ट्स, मीडिया हो , फालतू के ऐप्स या आपके घर में मौजूद ऐसी वस्तुएं जिसका इस्तेमाल नहीं करते हैं , लेकिन मोह वश उसे वर्षों से पकड़ कर बैठे हुए हैं ) छोड़िए। साहस कीजिए। हिम्मत कीजिए। खुद को निर्भार बनाइए और बढ़े चलिए एक नए रास्ते पर, आनंद के रास्ते पर।

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