कुमार विस्वास
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डॉ. कुमार विश्वास जिन्होंने हिंदी कविता और गीतों को न सिर्फ देश में लोकप्रिय बनाया बल्कि सात समंदर पार लोगों को हिंदी गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया। ढाई दशक पहले तक कवियों की जो दशा थी, वह किसी से छिपी नहीं है। आज हजारों कवि ऐसे हैं जो लाखों रुपये तो इनकम टैक्स दे रहे हैं। मैं मानता हूं कि इसका 90 फीसदी श्रेय डॉ. कुमार विश्वास को जाता है। आज उनका जन्मदिन है। और संयोग की बात है कि आज महाप्राण निराला का भी जन्मदिन है। निराला ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस संसार ने उन्हें कविता लिखने के अपराध में भूखा रखा, वही संसार आज कवियों को महंगी कारों और हवाई जहाज से घूमने, देश-विदेश की यात्रायें करने का सुख प्रदान करेगा। निश्चित तौर पर आज के युग में कवियों की समृद्धि पर महाप्राण निराला की आत्मा प्रसन्न हो रही होगी और कुमार भइया को अपना आशीष दे रही होगी। आज की युवा पीढ़ी और न जाने कितने नवोदित कवियों के लिए कुमार भइया प्रेरणाश्रोत हैं। गीतों के राजकुमार पद्मश्री स्व. गोपालदास नीरज जी के बाद कुमार ही ऐसे कवि हैं जिन्होंने युवाओं के दिल पर सबसे ज्यादा राज किया। राजनीति में आकर भी वे राजनीति के न हो सके। वो जब मंच पर होते हैं तो श्रोता सिर्फ उन्हें ही सुनना चाहते हैं, फिर चाहे कविताएं हों या राजनीति पर उनके कटाक्ष। सोशल मीडिया से लेकर यू ट्यूब तक लाखों लोग कविता कर रहे हैं। सभी के मन में कहीं न कहीं कुमार विश्वास सा बनने की लालसा होती है। ...लेकिन कुमार विश्वास बनना इतना आसान नहीं है। क्योंकि कुमार बनने का मतलब है घुलना, पानी में शक्कर की तरह। कुमार का मतलब है पिघलना, विशाल हिमखंड की तरह। कुमार का मतलब है आंसुओं को आंसुओं से पी जाना। कुमार का मतलब है अपनी बात पर अडिग रहना, हिमालय की तरह और झरने की रफ़्तार से बहना बिना किसी की परवाह किए। ख़ास बात तो यह है कि जिस युग में आज के ही कवि, साहित्यकार नहीं बल्कि इससे पहले भी कवियों, साहित्यकारों की योग्यता व लोकप्रियता उनको मिलने वाले पुरस्कारों से आंकी जाती थी, वहां कुमार अपवाद हैं। कुमार को इतनी योग्यता और लोकप्रियता के बावजूद अब तक पद्म पुरस्कार तो दूर, सरकार से कोई बड़ा पुरस्कार तक नहीं मिला। बावजूद इसके लोग उन्हें अपने दिल में बसाये और उनके गीतों को होंठों से लगाये फिरते हैं। यश भारती रेवड़ी की तरह बांटे गए, जरा सोचिए जिन्हें ये पुरस्कार मिले, क्या वे लोग कुमार से ज्यादा योग्य या लोकप्रिय थे? फिर भी कुमार जिस तरह से लोगों के दिल पर राज कर रहे हैं,उसके आगे ऐसे लाखों सरकारी पुरस्कार महज मिट्टी समान हैं। पुरस्कार पाने के लिए जिस तरह से आज के तथाकथित साहित्यकार, कवि राजनीतिक पार्टियों की गोद में बैठ जाते हैं, उससे तो लाख गुना बेहतर है, कुमार विश्वास बनकर अमर हो जाना।
हां, एक बात जो महाप्राण, कुमार भइया और मुझे आपस में जोड़ती है, वो है हम तीनों का जन्मदिन। वसंत पंचमी के दिन कुमार भइया का जन्मदिन होता है और निराला अपना जन्मदिन भी वसंत पंचमी को ही मनाते थे। जबकि तारीख के हिसाब से महाप्राण का जन्मदिवस 21 फरवरी होता है ।
कुमार भइया को उनके जन्मदिन पर आकाशभर बधाई और मनभर शुभकामनायें। आप पर इसी तरह मां शारदे की कृपा हमेशा बनी रहे।
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