खर्च

वक्त - जिंदगी - पैसा और रिश्ते ? ये सब खर्च होने के लिये ही बने हैं .. इनको जिसने स्थाई माना वो परेशान ही रहा .. वक्त कभी बदलता नहीं बस गुजर जाता है .. जिंदगी कभी रुकती नहीं आगे बढ़ जाती है , पैसे का मूल उद्देश्य खर्च होना ही है , बस रिश्ते में मेरा थोड़ा कंफूजन है . ये खर्च होता है - स्थाई होता है या बदल जाता है ? रिश्ते क्या जरूरत के हिसाब से बनते हैं ..
कोई बतायेगा क्या ?

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता है,

परफेक्शन

धर्म के नाम पर