अब्दुल कलाम साहब - सलाम, सलाम, सलाम
जयसिँह शेखावत बबाई·
वो ज्ञान थे विज्ञानं थे ,हर दिल की वो जान थे। कैसे भूलेंगे उनको ,ऐसे वो इन्सान थे ,न वो हिन्दू थे न वो 'मुसलमान थे ,वो तो सिर्फ और सिर्फ महान थे !!
वो फ़क़त आदमी नहीं एक नेक दिल इंसान था ,भारत माँ का बेटा था वो सच्चा मुसलमान था जातपात ना जानी उसने ना धर्मो में भेद किया मेहनत ही उसकी पूजा थी मजहब हिंदुस्तान था ।
आधुनिक भारत के भगवान चले गए। इस देश के असली स्वाभिमान चले गए।।धर्म को अकेला छोड़ विज्ञान चलेगए। एक साथ गीता और कुरान चले गए।। मानवता के एकल प्रतिष्ठान चले गए। धर्मनिरपेक्षता के मूल संविधान चले गए।। इस सदी के श्रेष्ठ ऋषि महान चले गए। कलयुग के इकलौते इंसान चले गए।। ज्ञान राशि के अमित निधान चले गए।। सबके प्यारे अब्दुल कलाम चले गए।।
शत नमन.....मिसाइल मैन हमारे बीच नहीं रहे ............“सपने वे नहीं होते जो आपको रात में सोते समय नींद में आयेँ बल्कि सपने वे होते हैं जो रात में आपको सोने न दें।“ (डॉ॰ कलाम)डॉ. अवुल पकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम भारत के ऐसे पहले वैज्ञानिक थे , जो देश के राष्ट्रपति के पद पर भी आसीन हुए। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम कस्बे में हुआ। उनके पिता जैनुल आब्दीन नाविक थे। वे प्रतिदिन सुबह चार बजे उठ कर गणित का ट्यूशन पढ़ने जाया करते थे, फिर घर से तीन किलोमीटर दूर स्थित रेलवे स्टेशन से अखबार लाते और पैदल घूम-घूम कर बेचते। उन्होंने अपने सपनों को आकार देने के लिए एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का चयन किया। उन्होंने रक्षा मंत्रालय में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक का कार्यभार संभाला। वहाँ पहले ही साल में एक पराध्वनिक लक्ष्यभेदी विमान की डिजाइन तैयार करके अपने स्वर्णिम सफर की शुरूआत की। 1962 में वे ISRO से जुड़े। जुलाई 1980 में ‘रोहिणी’ उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित करके भारत को ‘अंतर्राष्ट्रीयअंतरिक्ष क्लब’ के सदस्य के रूप में स्थापित कर दिया। ‘त्रिशूल’, ‘पृथ्वी’, ‘आकाश’, ‘नाग’ ‘अग्नि’ एवं ‘ब्रह्मोस’ जैसी मिसाइलें विकसित करके मिसाइल मैन बन गए । उन्होंने भारत को ‘सुपर पॉवर’ बनाने के लिए 11 मई और 13 मई 1998 को सफल परमाणु परीक्षण किया। नवम्बर 2001 में प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार का पद छोड़ने के बाद उन्होंने अन्ना विश्वविद्यालयमें प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं।डॉ. कलाम 25 जुलाई 2002 को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए। उनकी पुस्तक 'इण्डिया 2020' में उनका देश के विकास का समग्र दृष्टिकोण देखा जा सकता है। वे कहते हैं कि भारत को कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, ऊर्जा, शिक्षा व स्वास्थ्य , सूचना प्रौद्योगिकी, परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास पर ध्यान देना होगा। अरूण तिवारी लिखित उनकी जीवनी 'विंग्स ऑफ़ फायर' (Wings of Fire) भारतीय युवाओं मे बेहद लोकप्रिय है। डॉ. कलाम ने तमिल भाषा में कविताएँ भी लिखी हैं, जो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। उन्हे 1997 मे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से विभूषित किया गया। वे पूर्णत: शाकाहारी और मद्यत्यागी थे । वे पर्यावरण की चिंता भी खूब करते थे , साहित्य में रूचि रखते थे, कविता लिखते थे, वीणा बजाते थे, तथा अध्यात्म से बहुत गहरे जुड़े हुए थे । 84 वर्ष की उम्र में भी उनकी अकादमिक सक्रियता देखने लायक थी ।आज शिलोंग के एक कार्यक्रम में भाषण देते हुए उन्हें दिल का दौरा पड़ा और 7.45 पर उनकी मृत्यु की आधिकारिक घोषणा सरकार द्वारा की गयी । युगपुरुष डॉ॰ कलाम को श्रद्धांजलि ! कलाम को सलाम……उस ऊर्जा को सलाम ,उस सितारे को सलाम जिसने करोड़ों सपनों को दिशा दी ! मैं धन्य हूँ जो कलाम के युग को जी सका #अलविदा_मिसाइल_मैन ।


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