महात्मा गाँधी
आज की शिक्षा-प्रणाली और गाँधी के विचार विश्व शिक्षक, अक्षर के उपासक, युग विचारक, ब्रह्म के ग्याता, अमरलोक के संदेशवाहक, असत से सत, मृत्यु से अमृत की ओर ले जानेवाला, पर पीड़ा से पीड़ित,देश के सच्चे भक्त,हमारे राष्ट्रपिता, महात्मा गाँधी, अमृतत्व का उपदेशक बनकर, यहाँ जनम लिये । उन्होंने विश्व के जन-समुदाय से कहा,’ प्रेम , ग्यान के ग्रंथ को खोलने से नहीं , बल्कि हृदय- ग्रांथि को खोलने से होता है, और वहीं आदमी छोटे-छोटे जीव-जन्तुओं से लेकर बड़े से बड़े प्राणियों के प्रति दया भाव रख सकता है , अन्यथा किसी और के लिए यह संभव नहीं । हमारे राष्ट्रपिता, महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों ही आदर्शवादी रहा है । उनका मानना था, ’ किसी भी देश और समाज की उन्नति और अवनति, उस देश के प्रयोजनवादी विचारधारा पर आधारित, शिक्षा पर निर्भर करता है । गाँधीजी के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य, महज साक्षर होना नहीं बल्कि शिक्षा का उद्देश्य, आर्थिक आवश्यकता की पूर्त्ति का जरिया होना चाहिये । यह तभी संभव है, जब शिक्षा प्रयोजनवादी विचारधारा पर आधारित होगी । गाँधीजी वर्तमान ...