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जुलाई, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मोहम्मद रफ़ी

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मोहम्मद रफ़ी पूरा नाम मुहम्मद रफ़ी जन्म 24 दिसम्बर , 1924 जन्म भूमि अमृतसर , पंजाब मृत्यु 31 जुलाई , 1980 मृत्यु स्थान मुंबई , महाराष्ट्र अविभावक हाज़ी अली मुहम्मद पति/पत्नी बेगम विक़लिस संतान सात (चार पुत्र और तीन पुत्रियाँ) कर्म भूमि मुंबई कर्म-क्षेत्र पार्श्वगायक पुरस्कार-उपाधि 1965 में पद्मश्री , 6 बार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार, 1 बार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार नागरिकता भारतीय मुख्य गीत चौदहवीं का चांद हो, छू लेने दो नाजुक होठों को, दिल के झरोखे में, खिलौना जानकर, याद ना जाए आदि अन्य जानकारी क़रीब 40 साल के फ़िल्मी गायन में 25 हज़ार से अधिक गाने रिकॉर्ड करवाए।                                                        ...

समाज

बहुत कुछ करने की तमन्ना दिल में रखते है, पर क्या करें, कभी अपने मन का डर, कभी समाज की बंदिशे कदमों को रोक देती है। इतना तो जानते है कि जिंदगी मौत का दरिया है, और इस मौत के दरिया से होकर गुजरना ही है, लाख कोशिशे कर लें, इस दरिया में बहने से तो कोई रोक नहीं सकता है। हां इतनी बात समझ में आती है कि अगर अपने बाजुओं में ताकत और दिल में हौसला है, तो इस दरिया में बहादुरी के साथ तैर कर अपनी सुनिश्चित मंजिल पर पहुंचा जा सकता है, नहीं तो खुद को इस दरिया में बहने दो, कहीं न कहीं किनारा तो मिल ही जाएगा। सदियों से ऐसा ही होता आया है कि जिनके पास दृढ इच्छा शक्ति होती है वह अपनी मंजिल पर अवश्य ही पहुंचते है, भले ही उनके रास्ते में कितनी भी मुसीबतें आई हो, समाज की बंदिशे भी उनके बढते कदमों को नहीं रोक पाई। एक नहीं, हजारों-लाखों उदाहरण हमारे सामने मौजूद है, बिल्कुल निम्न स्तर से अपनी जिंदगी का सफर शुरू करने वालों ने समाज द्वारा स्थापित व मान्य बुलंदियों को छुआ है। और दूसरी ओर सितारों सी चमक बिखरेने वाले जमीं पर टूट कर बिखर गए। समझने वालों के लिए इशारा ही बहुत होता है, और न समझने वालों ...

वाह रे राजनीति

नेताओं के आचरण से देश शर्मशार है…। कहने को जनसेवक हैं हमारे नेता, मगर हैं कामचोर—वोट लेने के समय जनता के हितैसी बन बैठगे हैं..जनता के लिए घड़ियालू आंसू को पूछिए मत.. ऐसा ही वाकया उत्तराखंड की तबाही के बाद देखने को मिला।  उत्तराखंड के चारधाम गए श्रद्धालुओं को राहत और बचाव के नाम नेताओं ने खूब शोर मचावा…। लेकिन उखाड़ कुछ नही पाए…..सेना के जवानों ने दिन-रात कठिन मेहनत करके हजारों श्रद्धालुओं को बचाया…जो मर गए उनके अंतिम  संस्कार भी करवाए .। मेरे कहने का मतलब त्रासदी में लोगों की मदद जो भी किया सेना के जवानों ने किया..। नेता जो ठहरे सियासतबाज ..उन्हें तो हर काम में राजनीति दिखती है…चाहे दुख हो या सुख सभी में राजनीति करना नेताओं का खानदानी पेशा है..। उत्तराखंड में तबाही से सारा देश शोकाकुल है..चारधाम यात्रा पर गए श्रद्धालुओं के परिजनों को अपनों के आने का इंतजार है…इस मुश्किल की घड़ी में देशभर के कई लोग राहत सामाग्री उत्तराखंड भेज रहे हैं.. लेकिन राजनेताओं को राजनीति के अलावा और कुछ दिखती भी नही..। नेता लोगों के रिलीफ के लिए राजनीति करने पर उतारु हो गए…। कई बड़े नेता...

मुकेश

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एक महान गायक की याद में.... मुकेश चंद्र माथुर  एक दिन बिक जायेगा,माटी के मोल.... जग में रह जायेगें प्यारे तेरे बोल.... हिन्दी फिल्म जगत के उस महान गायक जो अपनी अलग तरह की आवाज के लिए याद किए जाते हैं और याद किये जाते रहेंगे | हम बात कर रहे हैं,फिल्म जगत में शो मैन राज कपूर की आवाज बनने वाले गायक मुकेश की,जिन्हें गायकी में फिल्म फेअर का सबसे पहला अवार्ड मिला था | उनका पूरा नाम 'मुकेश चंद्र माथुर' था,लोकप्रिय तौर पर मुकेश | वो भी यहीं चाहते थे कि उन्हें 'मुकेश' कहकर बुलाया जाए | 22जुलाई 1923 को लुधियाना के एक कायस्थ परिवार में इनका जन्म हुआ | पिता जोरावर चंद्र माथुर जो कि पेशे से एक इंजीनीयर थे और माता  चाँद रानी |10 बच्चों में मुकेश उनकी 6ठी संतान थे |उन्होंने दसवीं तक पढाई की और बाद में दिल्ली में सात महीने तक एक सरकारी नौकरी भी किया | एक म्यूजिक टीचर जो उनकी बहन 'सुन्दर प्यारी' को गाना सिखाने आते थे,पर साथ-साथ मुकेश भी पास वाले कमरे में सीखते थे | मुकेश की आवाज की खूबी,दूर के रिश्तेदार- 'मोतीलाल' ने तब पहचाना जब उन्होंने मुक...

नसीरूद्दीन शाह

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नसीरुद्दीन शाह भारतीय फिल्म उद्योग के प्रतिभाशाली कलाकारों में से एक हैं। मुख्यधारा की व्यावसायिक सिनेमा से लेकर कला फिल्मों और नाटकों तक उन्होंने अपने अभिनय की बहुमुखी प्रतिभा का परिचय दिया है। नसीरुद्दीन शाह के नाम का जिक्र होते ही एक ऐसे साधारण पर आकर्षक व्यक्तित्व की छवि सामने आती है, जिसकी अभिनय-प्रतिभा अतुलनीय है। जिनके चेहरे का तेज असाधारण है और हिंदी सिनेमा में जिनके योगदान को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है। जन्म और परिवार नसीरुद्दीन शाह का जन्म 20 जुलाई, 1950 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम रत्ना और बेटे का नाम इमाद शाह है। एक ऐसा एक्टर, जिसे बॉलीवुड में हैंडसम नहीं कहा जाता. एक एक्टर, जिसे रोमांटिक नहीं माना जाता. एक एक्टर जिसके स्टाइल में ग्लैमर नहीं. बड़े-बड़े सितारों से भरी फिल्मी दुनिया में उसके लिए कोई जगह नहीं थी, तो उसने बॉलीवुड के अंदर ही बना ली अपनी एक अलग दुनिया और बन गया अदाकारी की उस दुनिया का हीरो हीरालाल. ऐसा हीरो, जिसके पास बॉलीवुड के लार्जर देन लाइफ हीरोज़ जैसी कोई भी खासियत नहीं. ना हैंडसम पर्सनैलिटी, ना भारीभरकम ...