खुद की कीमत
अपने सिद्धांतों पर अडिग रहो — किसी को खुश करने की कीमत मत चुकाओ।
किसी की जरूरत बन जाना गर्व की बात है, लेकिन उसे अपनी काबिलियत का प्रमाण मत समझो। किसी भी इंसान के जीवन में सबसे बड़ा धोखा तब होता है जब वह दूसरों को खुश करने की कोशिश में खुद से समझौता करने लगता है।
हर इंसान को यह समझना ज़रूरी है कि प्रोफेशनलिज़्म का मतलब केवल काम करना नहीं होता, बल्कि अपने विचारों और सिद्धांतों पर टिके रहना होता है। यही असली ताकत है। जो बार-बार झुकता है, वह केवल कमजोर नहीं होता वह धीरे-धीरे अदृश्य हो जाता है।
खुशामद एक आसान रास्ता लगता है, पर उसकी मंज़िल अपमान होती है। शुरुआत में लोग आपकी विनम्रता को पसंद करेंगे, लेकिन जब उन्हें यह दिखेगा कि आप किसी भी हद तक झुक सकते हैं, तब वे आपसे सम्मान नहीं, नियंत्रण की उम्मीद करने लगते हैं।
जो बार-बार दूसरों की हाँ में हाँ मिलाता है, वह अपनी ‘ना’ खो देता है। और जब एक इंसान अपनी असहमति जताने की ताकत खो देता है, तब वह केवल एक उपकरण बनकर रह जाता है इस्तेमाल किया जाने वाला।
जैसे-जैसे समय बीतता है, ऐसे लोगों को समझ में आता है कि उन्होंने खुद को खो दिया है — और तब वह डर उन्हें पकड़ लेता है। डर कि अब और कुछ छिन न जाए। सम्मान चला गया, आवाज़ चली गई, अब जो बचा है बस उसी को बचाने की कोशिश।
इसलिए ज़रूरी है कि हर व्यक्ति एक बात याद रखे: कुर्सी, पद, सफलता सब टिक सकते हैं अगर आपकी रीढ़ सीधी है। अगर आपके अंदर यह साहस है कि आप अपनी अंतरात्मा के सामने जवाबदेह हैं, तो कोई भी ताकत आपको गिरा नहीं सकती।
हां, यह रास्ता कठिन है। अकेलापन भी होगा, ताली बजाने वाले कम मिलेंगे। मगर जब वक्त आपका इम्तिहान लेगा, तब वही सिद्धांत आपकी ढाल बनेंगे। और जो लोग आज सबकुछ पा लेने के लिए हर तरफ सिर झुकाते हैं, उन्हें एक दिन नज़रों से गिरने की कीमत चुकानी ही पड़ती है।
यह जीवन एक क्रिकेट की पिच की तरह है। बल्ला आपका है वही रन दिलाएगा, वही विकेट बचाएगा। किसी और की गेंदबाज़ी के हिसाब से नहीं, अपने स्ट्रोक्स पर भरोसा रखो। बल्ला स्ट्रेट और सॉलिड रखो। यही असली जीत है।
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