सफलता- असफलता
असफलता से परिचय कराएं.
दिक्कत क्या है जानते हैं? दिक्कत ये है कि फेलियर को, असफलता को हमने भूत बनाकर रखा हुआ है.उसको हम ट्रीट ही ऐसा करते हैं कि अगर हम असफल हो गए तो वो हमारी ज़िंदगी का "दी एंड" वाला प्वाइंट हो जाता है.उसको हम "डेड एंड" घोषित कर देते हैं और यही नहीं इसी बात को हम अपने बच्चों पर भी डाउनलोड करते हैं.
एग्जाम हो रहा है तो फर्स्ट ही आना है.दौड़ में भाग ले रहे हो तो विनर ही बनना है.ये क्यों भूलते हो कि उस दौड़ में कोई रनर अप भी होगा और कोई ऐसा भी होगा जो सबसे लास्ट आएगा और लास्ट आने वाला भी एक इंसान है और उसके अंदर भी भावनाएं है.
हो सकता है, वो बहुत अच्छा न हो, वो बहुत खराब हो, तो क्या? हो सकता है कोई पढ़ाई में अच्छा न हो, तो क्या? और ये भी हो सकता है कि वो पढ़ाई में अच्छा न होकर किसी और चीज में अच्छा हो.
मान लीजिए, वो किसी में भी अच्छा नही है, औसत है, तो भी क्या? क्या औसत लोग नही होते? क्या फेल होने वाले लोग नही होते?
सबसे पहले, बतौर पैरेंट एक बात नोट कर लीजिए, आपका बच्चा लाखों में एक है, वो जैसा भी है, वो लाखों में एक है.उसके अंदर ये भयभीत करने वाली बातें डालना बंद कीजिए, उसको कमज़ोर बनाना बंद कीजिए.वो असफल हो जाए तो उसको ये बताइए कि इसी असफलता वाले प्वाइंट से सैकड़ों संभावनाएं और द्वार खुल रहे हैं जो आपको आगे ले जा सकते हैं.
अपनी सफलता का बखान या अपनी असफलता का फ्रस्ट्रेशन उसके सामने उड़ेलना बंद कीजिए. ना आप उस जैसे हैं और ना वो आप जैसा है.वो अलग है और वो जैसा भी अपने आप में बेस्ट है.
आज एक बच्ची केवल इसलिए फांसी पर लटककर झूल गई क्योंकि दो दिन बाद उसकी परीक्षाएं थी और उसकी तैयारी नही थी.
समाज क्या कहेगा, मां बाप क्या कहेंगे ये सोचसोचकर उसने अपना जीवन समाप्त कर दिया.
अपने बच्चों को जीवन जीना सिखाइए, उसका महत्व बताइए, जीवन में आत्मसंतुष्ट होने के और खुश होने के बहानों को ढूंढना सिखाइए.
हमारे देश में बड़े बड़े मुजरिमों की फांसियां माफ हुई है और विडंबना देखिए इसी देश में मासूम बच्चे फांसी पर झूल जा रहे हैं.
अरे, मुजरिम हैं क्या ये लोग? क्यों कटघरे में खड़ा करते हो इनको?
प्रॉब्लम क्रिएटर मत बनो, सॉल्यूशन प्रोवाइडर बनो और वो सॉल्यूशन नहीं दे पा रहे हो तो उस बच्चे को उसके हाल पर छोड़ो, वो सक्षम है, अपने ज़ख्म का मरहम खुद ढूंढ लेगा..
आपका बच्चा कोई चावल नही है जिसको पकाने के लिए आपको प्रेशर कुकर में डालकर प्रेशर देकर ही पकाना है.उसको उसके हिस्से की आज़ादी दीजिए, वो अपनी उड़ान भरना जानता है.
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