ज़िन्दगी रे
शोक_संदेश_ट्रेंड
* जिंदगी इस तरह चलती है कि किसी के जाने से कोई काम नहीं रुकता. हाँ जाने वाले के करीबी लोग ज़रूर प्रभावित होते हैं पर वक़्त के वे भी साथ सामान्य हो जाते हैं
* दुनिया सूनी हो गई, कला या साहित्य जगत की अपूर्ण क्षति हो गई, संगीत गूंगा हो गया, इस तरह के वाक्य अतिशयोक्ति लगते हैं क्योंकि जिसको जितना योगदान करना होता है वो अपने जीवनकाल में कर चुका होता है. यही कुदरत का नियम है. कितने राजे, महाराजे, संत, राक्षस आये गए दुनिया में रौनक कायम रही.
* सोशल मीडिया के इंस्टेंट दौर में शोक भी क्षणिक हो गया है किसी की मृत्यु पर 500 शब्दों का शोक संदेश लगाने वाले दस मिनट बाद ही अपनी सेल्फ़ी, घर में बनी कोई स्पेशल डिश, कविता, घर का कोई रचनात्मक कोना आदि बीसियों #️⃣hashtag के साथ लगा देते हैं.
* एक और बात मुझे मजेदार लगती है वो ये कि "ऐसे भी कोई जाता है, गलत बात"
तो क्या कोई विधिवत घोषणा करके जायेगा?
मृत्यु छिपी हुई है इसलिए शायद हम सब आनंद से जी पाते हैं.
* जाने वाले के साथ अपनी तस्वीर लगा कर अपना गुणगान करने लगना या जाने वाले की कमियां गिनाने लगना, दोनों में अपार सुख मिलता है कुछ लोगों को, जबकि ये हल्कापन है.
* असल में matter ये करता है कि जीते जी हमने किसी को कितना याद किया, उम्मीदें दीं, आदर दिया, मदद की, जीवन आसान बनाया या फूल भिजवाए.
* जो है आपके जीने और दूसरे के जीने तक ही है. वो कहते हैं न कि लोग मरे हुए लोगों को कितना जल्दी भुला देते हैं जिस दिन आप समझ जायेंगे, लोगों को impress करने की फालतू कोशिशें छोड़ देंगे.
PS - बातें कड़वी लग सकती हैं, चीनी साथ रखें 😅
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