श्रद्धांजलि

श्रद्धांजलि_उन्हें_जिन्हें_हमने_खो_दिया.

एक सहानुभूति हम सभी के लिए जिन्होंने अपने किसी न किसी दोस्त, रिश्तेदार, क़रीबी या पहचान वाले को असमय ही खो दिया COVID के कारण.

हम कुछ चीज़ें बदल नहीं सकते, और न ही होने से रोक सकते हैं, बस प्रयास कर सकते हैं कि नुकसान कम से कम हो. प्रकृति कभी-कभी बहुत क्रूर हो जाती है, और शायद इसलिए भी कि इंसान संतुलन को बिगाड़ने लगा है. 

दुनिया की कुछेक प्रतिशत लालची उद्यमी, व्यवसायियों, और सरकारों की करनी प्रकृति को मजबूर कर देती है संतुलन बनाए रखने और इंसान को ये एहसास कराने को भी कि वो इस ब्रह्मांड का कण भर भी नहीं है, लेकिन अधिकांशतः ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ता है उस आबादी को जिसका कोई कसूर भी नहीं.

वो लोग जो बस अपनी दिनचर्या, दोस्तों और परिवार के साथ ज़िंदगी को जी रहे होते हैं, सरकार और प्रकृति के बनाए नियमों का पालन करते हुए. सबसे पहले यही लोग परेशानी और मुसीबत झेलते हैं, चाहे भूकंप हो, बाढ़ हो, सूखा हो, महामारी हो, या कोई युद्ध. ज़िंदगी भर नियमों और क़ायदों को ढोते रहने का बावजूद भी यही सबसे पहले शिकार बनते हैं. 

बस एक श्रद्धांजलि उन सभी को, जिन्हें हमने खो दिया इस महामारी में, जो हमारे साथ हो सकते थे लेकिन असमय ही कहीं बहुत दूर चले गए; तमाम कोशिशों के बावजूद हम चाह कर भी उन्हें बचा न सके. 

बस एक उम्मीद है, कि वो शायद कहीं एक बेहतर जगह पर हैं. वहाँ, जहाँ कोई बड़ा-छोटा, अमीर-ग़रीब, आदमी-औरत, काला-गोरा नहीं है, बल्कि सब एक समान हैं. प्रार्थना है, दुआ है, अरदास है कि वो उस जहां में सुक़ून और शांति से हों. 🙏

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