आत्महत्या

कोई सेलिब्रिटी अगर खुद्खुशी करना चाहेगा तो वो करोड़ों क्यूँ कमाएगा, और इतना जिंदादिल कैसे होगा..

इसका जवाब हर इंसान खुद जानता है, कि भीतर कितना भी डिप्रेशन भरा पड़ा हो, चेहरे पे तो मुस्कुराहट रखनी ही पड़ती है..और डिप्रेशन कोई ऐसी चीज़ भी नहीं कि चेहरा देखकर आपको समझ आ जाये..

कितने ही लोग अपनी-अपनी तमाम वजहों से स्ट्रेस्ड होते हैं, लेकिन मजाल है कि आप अंदाज़ा भी लगा पायें.. ये तो वही व्यक्ति समझ सकता है जो इससे गुज़र रहा हो..

मैं कोई मनोवैज्ञानिक नहीं हूँ, लेकिन हमेशा पहले भी कई पोस्ट्स में लिख चुका हूँ, कि भले ही कितनी भी ऊँचाई क्यूँ न पा लें, उस ऊँचाई को या उस लाइफ़स्टाइल को अपनी आदत कतई न बनायें.. कब ज़िंदगी नीचे धकेल दे आप समझ भी नहीं सकेंगे..

उम्मीदें रखिये, मेहनत करिए, अपना बेस्ट दीजिये..लेकिन जीतने की शर्त मत रखिये, और जीत जायें तो इतनी समझ ज़रूरी है कि जीत और उसके बाद का नशा बहुत क्षणिक है, और आप जिस दिन उसे शाश्वत समझ लेंगे, बस उसी पल से आप ख़ुद को एक धोखे में रखना शुरू कर देंगे..

मैं देखता हूँ कई लोगों को जो अपनी हाई-प्रोफाइल ज़िंदगी और लाइफ़स्टाइल के इतने अभ्यस्त हो चुके होते हैं कि उसके बिना रहने की कल्पना करना भी उन्हें मुश्किल लगता है..बुराई कुछ नहीं, लेकिन इतना ज़रूरी है कि आप ये समझें कि हर स्थिति ज़रूरी नहीं कि हमेशा के लिए हो इसलिए उसके बिना कभी रहना पड़े तो भी आप एकदम सामान्य रहें..

दरअसल आपको हार नहीं तोड़ती, आपको तोड़ देता है कि लोग आपको हारते हुए देख रहे हैं..जिस दिन आपने ये समझ लिया कि आप हार रहे थे यानी आपने कुछेक कोशिशें कीं जो अच्छी बात है, और दूसरों के नज़रिए का कोई मतलब नहीं कि वो क्या सोचते हैं, बस उस दिन से आप उस शांति को महसूस कर सकेंगे जो असल में मायने रखती है..

एक इंसान ख़ुदकुशी कर लेता है, चैनल वाले अपना एजेंडा लेकर कमाई में लग जाते हैं, और आप पागल एंकरों की चीख-चिल्लाहट को सच मान लेते हैं, क्यूँकि आपकी सहानुभूति उस विक्टिम के साथ है, और चीखते-चिल्लाते एंकर्स जिस किसी की भी तरफ़ इशारा करके उसका क़ातिल बता देते हैं, आप मान लेते हैं और उस भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं जिसका ब्रेन-वाश करके इस्तेमाल किया जा सकता है..

बस इतना ही, कि अपने विवेक का इस्तेमाल कीजिये और अंधे होकर मत फॉलो कीजिये कुछ..बस अपने दिमाग, और समझ का इस्तेमाल कीजिये..इन एंकर्स और इन चैनल्स से दूर रहिये जो आपके भीतर भरी आपकी अपनी हारों के फ्रस्ट्रेशन का इस्तेमाल करके बिना दिमाग वाले जॉम्बीज़ बनाना चाहते हैं आपको..

ख़ुश रहिये, आँखें खुली रखिये, दिमाग को सतर्क रखिये, तो पता चलेगा कि कितना कुछ जो दिखता है वो सिर्फ़ बेचने के लिए वैसा दिखता है, और असल खेल कहीं और चल रहा होता है..आप इंसान हैं, आपके पास तर्क करने और सोचने की क्षमता है, उसका इस्तेमाल कीजिये.
 😊 (सौरभ राठौर)

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