करारा जवाब
किसी बिमारी के इलाज का सरकारी अस्पताल और प्राइवेट अस्पताल के खर्चे की तुलना किजीये पता चलेगा कितने गुणा ज्यादा है। कहाँ से लाती है सरकार गरीबों के इलाज का खर्चा?
किसी सरकारी स्कूल की पढाई का खर्चा और प्राइवेट स्कूल का खर्च देखीये। मुफ्त किताबें, मुफ्त शिक्षा, दोपहर का मुफ्त भोजना कहाँ से आता है? कहाँ से आती है शिक्षकों की सैलेरी और स्कूलों का रखरखाव?
सेना, पुलिस जो आपकी सुरक्षा में लगे हैं, उन्हें हायटेक बनाना, अत्याधुनिक हथियारों से लैस करना, देश की सरहदों को मजबूत करने के लिये दुर्गम इलाकों में सड़कें और सुरंगे बनाना इन सब पर क्या खर्च नहीं है?
क्या आप सरकार को यह सब खर्चे बंद कर अपनी और अपने देश की सुरक्षा से समझौता करने को तैयार हैं? आपकी सेवा में लगे जितने भी सरकारी अधिकारी हैं क्या उन सबको नौकरी से निकाल देना चाहीये? क्या आपकी खुद की सरकारी नौकरी की ललक खत्म हुई है?
इसके बाद आपको शानदार गली-गली में चमकदार सड़कें भी चाहीये, स्ट्रीट लाइट्स भी चाहीये, सस्ती ट्रांसपोर्ट व्यवस्था भी चाहीये, मुद्रा योजना जैसी व्यवस्था भी चाहीये, मनरेगा के लिये भी पैसा चाहीये, गरीब जनता के लिये बीमा योजनायें भी चाहीये, सब्सिडी भी चाहीये, पानी की उत्तम व्यवस्था चाहीये,तरह तरह के मुआवजे भी चाहीये, सस्ते दरों पर लोन भी चाहीये,इत्यादी मूलभूत सुविधायें भी चाहीये।
किसी अल्पबुद्धी की पोस्ट पढी जिसमें कहा गया कि जब टोल टैक्स वसुलते ही हैं तो सड़क बनाने के लिये पेट्रोल से कमाई करने की क्या जरूरत? ऐसों से मैं पुछना चाहूँगा कि जिन सड़कों पर टोल टैक्स नहीं वसुले जाते वह बनाने के लिये पैसा कहाँ से आता है? और आपसे किसने कह दिया कि पेट्रोल की कमाई से सिर्फ सड़कें ही बनती है?
भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में जब शिक्षा, स्वास्थ और सुरक्षा का पुरा बोझ सरकार पर है तो ऐसा देश हमेशा कर्जे में दबा रहेगा। उसका ब्याज चुकाते चुकाते आपकी पिढीयाँ निकल जायेगी। आज पेट्रोल अथवा टैक्स वगैरह से सारी कमाई करने के बाद भी देश चलाने के लिये कई लाख करोड़ रूपये कर्ज लेना पड़ता है। शिक्षा स्वास्थ और सुरक्षा किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का दिवाला निकाल सकते हैं।
मुझे पता है कि एक आम मुफ्तखोर और स्वार्थी भारतीय को मेरी यह सब बातें समझ नहीं आयेगी। उन्हें देश से सिर्फ लेना है देना कुछ नहीं है। लेकिन हैरान तो मैं तब हूँ जब खुद को राष्ट्रवादी कहने वाले भी पेट्रोल के दाम पर हाय तौबा मचाते हैं। यह सब के सब दिखावटी राष्ट्रवादी हैं।
मुझे पुरा यकीन है कि चुनावी वर्ष को देखते हुये सरकार जल्द ही पेट्रोल के दामों को कम करने के लिये कुछ बड़ा फैसला लेगी। हो सकता है पेट्रोल को GST में लाया जाये। इससे बेशक जनता खुश हो जाये, और चुंकि मेरे लिये अगली बार मोदी जी का पुनः प्रधानमंत्री बनता हुआ देखना ज्यादा जरूरी है तो मैं इसपर मौन समर्थन ही दूँगा। क्यूँ कि राजनैतिक मजबूरियां मैं भलीभाँति परिचित हूँ।
लेकिन विकास कार्यों बाधक ऐसे हर फैसले का मैं विरोधी हूँ।
हाँ अगर शिक्षा, स्वास्थ और सुरक्षा का इतना बड़ा बोझ सरकार पर न होता, सरकार पर इतना कर्ज न होता, सरकार को इतनी बड़ी आबादी का भरण पोषण न करना होता तो मैं भी इन पेट्रोल के बढते दामों का विरोध करता। आप की तरह ही मैं भी जमीन पर लेट पैर पटक पटक कर रोता।
कुछ राजनैतिक समझ से पुरी तरह बौने किस्म के लोगों का कहना कि जब काँग्रेस सरकार के समय पेट्रोल के दाम बढते थे तब हम विरोध क्यूँ करते थे? तो उसका जबाव यह है कि भाजपा इसलिये विरोध करती थी कारण एक राजनैतिक पार्टी का काम है विरोध करना।
हाँ लेकिन हम क्यूँ विरोध कर रहे थे?
कारण हम देख रहे थे कि दाम तो बढ रहे हैं लेकिन विकास कार्य पुरी तरह ठप्प थे, हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार था। लेकिन भाजपा के शासन में अगर मँहगा पेट्रोल बेचा रहा है तो वैसा विकास कार्य भी हो रहा है और भ्रष्टाचार भी होता नहीं दिख रहा। क्या यह अंतर छोटी बात है?
काँग्रेस मुक्त भारत अर्थात काँग्रेस पार्टी मुक्त भारत नहीं है। विपक्ष मुक्त लोकतंत्र किसे चाहीये? असल में काँग्रेस मुक्त भारत तब होगा जब देश से काँग्रेस द्वारा जनता में बनाई गयी मुफ्तखोर मानसिकता का अंत होगा। हम अन्य विकसित देशों जैसा विकास तो चाहते हैं लेकिन उसकी किमत नहीं चुकाना चाहते। हाँ लेकिन अन्य देशों से अपने देश की तुलना कर कोसेंगे जरूर।
देश वही विकसित होता है जहाँ हमारी सोच में पहले देश, फिर घर और सबसे अंत में व्यक्ति होना चाहिये, लेकिन हमारे यहाँ पहले व्यक्ति, फिर घर और अंत में देश है।
मैं स्वयं को जब राष्ट्रवादी कहता हूँ, तो मानसिकत तौर पर हूँ भी। दिखावे के लिये और स्वयं को तटस्थ सिद्ध करने के लिये मैं जायज चीजों का विरोध नहीं कर सकता। मुझे कोई भी चीज सस्ती या मँहगी नहीं बल्कि 'उचित' दाम पर चाहीये। महिने में मेरे 500 रूपये बच जाये चाहे सरकार की हजारों करोड़ की आय कम हो जाये इतना छोटा मैं नहीं सोच सकता।
माफ किजीयेगा !!
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