क्या पाया
क्या सीखा : क्या पाया ?
देखते देखते इतना समय बीत गया !
आख़िर हमने क्या सीखा, क्या पाया !!
पूरा वर्ष सीखते ही रहे ,
और जब वर्ष का अन्त हुआ तो
अपनी झोली को ख़ाली पाया !
हाथ ख़ाली के ख़ाली रहे ।
जीवन और प्रकृति में
दिन - प्रतिदिन परिवर्तन होते रहते हैं ।
सूर्य प्रतिदिन उदय होकर अस्त हो जाता है ।
परन्तु प्रत्येक सूर्योदय
अनुपम होता है ।
इसी प्रकार हमारे जीवन के
अनुभव भी भिन्न - भिन्न होते हैं ।
और इस प्रकार समय बीत जाता है ।
सृष्टि परिवर्तन शील है ,
कुछ परिवर्तन मानव - मन पर
अमिट छाप छोड़ जाते हैं ।
गुज़रे समय की स्मृति
हमारे मन में कभी शान्ति ,
कभी क्षोभ पैदा करती है ।
और हमारे विचार उससे
प्रभावित होते रहते हैं !
समय हमें यही सिखाता है कि
हर स्थिति में सन्तुलन बनाये रखो ।
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