हादसे जिंदगी के

दुःख और तकलीफ हर इंसान के जीवन का हिस्सा होता है। किसी अपने की मृत्यु पर हम शोक मनाते हैं, कुछ अहम खो जाता है, तो हम उस नुकसान पर दुःख प्रकट करते हैं। दुःख या शोक तो आएगा जरूर, इससे कोई बच नहीं सकता। लेकिन कभी कभी अज्ञानतावश या अनजाने में हमारे पास उस शोक को समझने का वक़्त नहीं होता, जिसके कारण हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
आइये जानते हैं कि कौन से वो चरण हैं जिन्हे जानना हम सबके लिए बेहद जरूरी है ।
1. Denial-यानी दुःख को नकारना। किसी भी दुखद घटना के बाद हम गहरे सदमे में होते हैं, और सच को स्वीकार नहीं कर पातें। हम गुमसुम हो जाते हैं, चुप्पी साध लेते है, यकीन नहीं होता कि घटना घटी है। इस स्थिति में हम सबसे खुद को दूर कर लेते हैं, ताकि कोई हमें हमारे नुकसान की याद ना दिला पाये।
2. Anger-यानी गुस्सा। ये दूसरा पहलू है, जब हमें परिस्थिति पर गुस्सा आता है। हम नाकाम हैं, इस बात पर गुस्सा आता है, अब नुकसान कभी भी पूर्ण नहीं हो सकता, गयी हुयी चीज़ वापस नहीं आ सकती इस बात पर क्रोध होता है। पर यह चरण ज़रूरी है। गुस्से के बाहर आने से जज़्बाती विकास होता है, और मन थोड़ा हल्का होता है। गुस्से को दबाने से बाद में गहरी मानसिक समस्या हो सकती है।
3. Bargaining-सौदेबाजी- जब कोई हमसे बिछड़ने वाला होता है, तब हम भगवन से सौदा करते हैं। "हे भगवन अब मैं कभी भी गुस्सा नहीं करूँगा, किसी से नहीं लड़ूंगा, प्लीज मेरी पत्नी को अच्छा कर दीजिये", लेकिन जब कोई भयानक नुकसान हो ही जाता है, तब हम खुद को सच्चाई से दूर रखने के लिए सौदा करते हैं, "हे भगवन मैं आपकी हर बात मानूंगा, ये सब एक बुरा सपना हो यही कामना करता हूँ" इससे मन को कुछ देर के लिए आशा मिलती है, जो असल में एक झूठ होता है।
4. Depression- निराश के इस क्षण में इंसान को मालूम होता है की अब कुछ ठीक नहीं हो सकता, और हार मान कर वह गम में डूब जाता है। सब कुछ उसे खाली सा लगता है, अब जीने का कोई मतलब नहीं ऐसा सोचने लगता है। खाना छोड़ देता है, सोने जाता है तो उठना नहीं चाहता। खालीपन ही ज़िन्दगी हो जाती है।
5. Acceptance- इस चरण में इंसान सच्चाई को स्वीकार लेता है। एक दुखद घटना घटी है, वह इंसान या चीज़ अब वापस नहीं आएगी, हम इस बात को मान लेता है। इसका या मतलब नहीं की वह ठीक है। अभी तो सिर्फ ठीक होने के लक्षण नज़र आते हैं। दिल्ली अभी दूर है। सच को मान कर आगे बढ़ने की कोशिश जारी रहती है।
तो शोक का पालन करने में कोई कमज़ोरी नहीं। इन 5 चरण से गुज़र कर ही आप स्वस्थ हो सकते हैं। अभी कमज़ोर पड़िए, जी भर के रो लीजिए, ताकि भविष्य में आप मन से और ज्यादा मज़बूत हो पाएं।

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