हे राम जी.....
हमारे देश में कितने हजार धार्मिक डेरे होंगे कई हजार धर्म गुरु होंगे, अनगिनत धर्म स्थल और अनगिनत पुजारी। वे दावा करते हैं कि हम समाज को दिशा दे रहे हैं। शान्ति और भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। मगर दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसी समाज में शांति कायम रखने के लिए पुलिस-फोर्स की जरूरत पड़ती है। कानूनी डंडा चलाना पड़ता है। यहां धर्मों की विश्वसनीयता पर सवाल है। सच तो ये है कि धर्मों ने मिलकर देश को खोखला किया है। वे देश की एकता में अड़चन हैं। हमें चीन और पाकिस्तान से खतरा नहीं। असली खतरा धर्मों से है। धर्म देश की आंतरिक सुरक्षा में बाधा हैं। सरकारी तंत्र धर्मों के आगे कमजोर पड़ जाता है। पहले बाबाओं की सुरक्षा में पुलिस लगाओ। उनका रुतबा बढ़ जाएगा। वे गलत काम करेंगे। फिर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस दौड़ाओ। अजीब हालात हैं। संत समाज खुद भटका नजर आता है। वरना गुरुनानक देव, कबीर, फ़रीद, महात्मा बुद्ध को जेड सिक्योरिटी की जरुरत नहीं पड़ी। इसमें कसूर बाबाओं का नहीं, बल्कि हमारी अपनी कमजोरियां हैं। क्योंकि हमारी अपनी बुद्धि गिरवी है। धर्मों ने अंधा इतना बना दिया कि हम ठीक से सोच ही नहीं पा रहे। अहंकारी इतना बन दिया कि अपने खिलाफ भी नहीं सुन सकते।
2..
👉बाबा जी को किसी भगवान पे विश्वास नहीं होता.. बाबा जी Z सिक्योरिटी में बैठकर कहते हैं कि," जीवन-मरण ऊपर वाले के हाथ में है "
अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, वे सोचते नहीं हैं....
👉बाबा जी दौलत के ढेर पे बैठकर बोलते हैं कि," मोह-माया छोड़ दो "
लेकिन उत्तराधिकारी अपने बेटे को ही बनायेंगे.. अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, वे सोचते नहीं हैं.....
👉भक्तों को लगता है कि उनके सारे मसले बाबा जी हल करते हैं, लेकिन जब बाबा जी मसलों में फंसते हैं, तब बाबा जी बड़े वकीलों की मदद लेते हैं.. अंधभक्त बाबा जी के लिये दुखी होते हैं, लेकिन सोचते नहीं हैं.....
👉भक्त बीमार होते हैं..डॉक्टर से दवा लेते हैं.. जब ठीक हो जाते हैं तो कहते हैं, " बाबा जी ने बचा लिया " बाबा जी बीमार होते हैं तो बड़े डॉक्टरों से महंगे हस्पतालों में इलाज़ करवाते हैं. अंधभक्त उनके ठीक होने की दुआ करते हैं लेकिन सोचते नहीं हैं.....
👉अंधभक्त अपने बाबा को भगवान समझते हैं...उनके चमत्कारों की सौ-सौ कहानियां सुनाते हैं.
👉लेकिन जब बाबा किसी अपराध में जेल जाते हैं, तब वे कोई चमत्कार नहीं दिखाते.. तब अंधभक्त बाबा के लिये लड़ते-मरते हैं, लेकिन वे कुछ सोचते नहीं हैं.....
👉इन्सान आंखों से अंधा हो तो उसकी बाकी ज्ञान इन्द्रियाँ ज़्यादा काम करने लगती हैं,लेकिन अक्ल के अंधों की कोई भी ज्ञान इंद्री काम नहीं करती...
*अतः तार्किक बनें❗अक्ल के अंधे नहीं
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें