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स्त्री-पुरुष

..कोमलता को स्त्री_से_उत्पन्न हुआ माना गया है.. और इंसान की ज्यादातर मूलभूत भावनायें कोमल मानी जा सकती हैं,तो कहा जा सकता है कि ज्यादातर मूलभूत भावनायें स्त्री से उत्पन्न है...

जिंदगी ये है ।

जीवन बहुत जटिल है. लेकिन दुनिया हमें जिंदगी जीने के  अनंत मौके प्रदान करती है जो हमारे जीवन को सुखी बनाने में मदद करते हैं. यह हैं शीर्ष 50 उपाय जो आप अपनी जिंदगी में हमेशा खुश औ...

परीक्षा

जब से परीक्षा वाली जिंदगी पूरी हुई है, तब से जिंदगी की परीक्षा शुरु हो गई है.. आज मुझे एक नया अनुभव हुआ अपने मोबाइल से अपना ही नंबर लगाकर देखा, आवाज आयी The Number You Have Call Is Busy..... फिर ध्यान आया किस...

सिर्फ सोचिये

सोचिये क्योकि इसे पढ़ कर हम बस सोच सकते है कर कुछ नही सकते .. सिर्फ सोचिये सुबह से संदेशे तो बहुत आये, लेकिन मेहमान कोई नही आया,, सोचता हूँ ड्राइंग रूम से सोफा हटा दूं या ड्राइंग र...

जिंदगी की फिलासफी

क्या हम *बिल्डर्स, इंटीरियर डिजाइनर्स, केटरर्स और डेकोरेटर्स के लिए कमा रहे हैं ???* *हम बड़े बड़े क़ीमती मकानों और बेहद खर्चीली शादियों से* किसे इम्प्रेस करना चाहते हैं ??? क्या आपक...

दशहरा

कल दशहरा था। सब लोग रावण मारने में लगे थे अरे पहले राम तो बनो फिर रावण को भी मार लेना रावण बनने के लिए जितना समय लगेगा उतना ही समय राम बनने के लिए लगेगा राम ने लाखों वर्ष तपस्य...

समय और शब्द

!!! *समय और शब्द* !!! *दोनो का उपयोग* *लापरवाही के*  *साथ न करें!*          *कयोंकि* *ये दोनो """ दुबारा """ न *आते हैं*               *न  मौका देते हैं*!!!     

नोटबंदी की कहानी

ये पोस्ट जिसने भी लिखी है मे उसका सम्मान करता हू समर्थन करता हू ओर ओर तहेदिल से उसका स्वागत करता हू और साथ ही उसकी अक्ल ओर हिम्मत की दाद देता हू । 1... नोटबंदी पर RBI के आए आंकड़ों पर ब...

ओरत ...........

वो घर की लक्ष्मी है, शरीके हयात है,घर की इज्जत है । 'पुरुष' नाम का शख्स अक्सर ये बातें करता है,बस बातें करता है वरना रखना तो घरों में बंद करके है.. बाहर निकले तो पर्दा,बुर्का,घूंघट.. ...

हे राम जी.....

हमारे देश में कितने हजार धार्मिक डेरे होंगे कई हजार धर्म गुरु होंगे, अनगिनत धर्म स्थल और अनगिनत पुजारी। वे दावा करते हैं कि हम समाज को दिशा दे रहे हैं। शान्ति और भाईचारे का ...

आजादी के मायने

हमारा देश अंग्रेजों की राजनीतिक दासता से तो मुक्त हो गया पर जीवनशैली, भाषा, रहन सहन तथा वैचारिक शैली की दृष्टि से हमारा पूरा समाज आज भी उनका गुलाम है। स्थिति यह है कि हिन्दी ...