ओरत ...........
वो घर की लक्ष्मी है, शरीके हयात है,घर की इज्जत है ।
'पुरुष' नाम का शख्स अक्सर ये बातें करता है,बस बातें करता है वरना रखना तो घरों में बंद करके है.. बाहर निकले तो पर्दा,बुर्का,घूंघट.. बाहर कुछ हो जाए तो उसी से सवाल,ये कपड़े क्यों,उसके साथ क्यों,वहाँ क्यों ।
बस बातें करता है,वरना सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए है औरत,दिन को घर काम करे,नौकरी करना चाहे सौ पाबंदी,रात को बिछ जाए बस चादर की तरह ।
बस बातें करता है,वरना उसे मार तो गर्भ में ही देना है,या कच्ची उम्र में शादी कर देनी है,वो पराया धन भी तो है,उस पर भी बेटी,बहू में फर्क ।
बस बातें करता है,और कभी-कभी तो ऐसी कि वो जो कयामत का दिन निश्चित है,वो आज ही हो जाए,तो अच्छा हो |
वो मेरे बच्चे की माँ है.. हाँ बच्चा तेरा है, उसका तो जिस्म किराये का था ? उस पर भी कभी उसके मुँह से ये नहीं निकलता "वो मेरी बच्ची की माँ है" ।
बस बातें करता है.. वरना द्रौपदी का चीरहरण रोकने तो कृष्ण को ही आना होगा |
धर्म और परंपरा के नाम पर तो जितना कुछ ढोया जाता है,उसका तो कोई हिसाब भी नहीं है.. मध्य काल का इतिहास अगर पढ़ ले औरत,तो किसी धर्म के बचने के कोई आसार नहीं.. डायन कह कर जला दी गई, या सती हुई औरतों पर कभी बहस नहीं की औरत ने ।
इस मंदिर,उस मज़ार मत जाओ,उन दिनों में रसोई में मत जाओ,तुम काला लिबास पहनों, तुम पहनो सफेद,ये ढको वो ढको.. फिर भी अगर औरत को मौका दिया जाए पुरुष से बदला लेने का,तो वो उसे माफ ही करेगी,क्योंकि औरत होना आसान नहीं ।
आपके आस पास भी आपको ऐसी "बस बातें" करता,'पुरुष' नाम का शख्स मिल जाएगा,उससे सावधान रहिये,वो शख्स हज़ारों साल से वैसा ही है,ना बूढ़ा होता है,ना मरता है,ना सड़ता है,कमबख्त ।
#बस_बातें_करता_है ।
जिस दिन औरत उस हज़ार साल की उम्र वाले 'पुरुष' नाम के शख्स का गिरेबान पकड़ कर ज़ोर से चीख कर कहेगी,तुम्हारी ज़ायदाद नहीं हूँ मैं.. उस दिन असल में आज़ाद होगी आधी आबादी ।
या जिन धार्मिक किताबों में उससे दूसरे दर्जे का व्यवहार किया गया है, जिस दिन उन्हें जला देगी औरत तब उसे सुकून मिलेगा ।
(लेख से जिनकी भावनायें आहत हुई हैं,उनको विनम्र सलाह ,ये आप ही के लिए लिखा गया है,इसे रोज पढ़ें ।)
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