बेबसी

हर घड़ी चुभती है एक फांस सी सीने में ....
देखकर लोगों की स्वार्थी आँखे ....दिलों में भावशुन्यता ,..और खत्म होती इंसानियत की उम्र ...
हर घड़ी पलको में झूल उठता है एक आँसू .....
देख कर सडको पर बिकता बचपन ...मतलबी होते रीश्ते और ...दम तोडती आपसी प्रेमं की मियाद .,...हर घडी चुभती है एक फांस सी सीने में

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