पानी रे पानी

जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन की कल्पना अधूरी है। हम सब जानते हैं हमारे लिए जल कितना महत्त्वपूर्ण है। लेकिन यह सब बातें हम तब भूल जाते हैं जब अपनी टंकी के सामने मुंह धोते हुए पानी को बर्बाद करते रहते हैं और तब जब हम कई लीटर मूल्यवान पानी अपनी कीमती कार को नहलाने में बर्बाद कर देते हैं। किताबी दुनिया और किताबी ज्ञान को हममें से बहुत कम ही असल जिंदगी में उतार पाते हैं और इसी का नतीजा है कि आज भारत और विश्व के सामने पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है।
धरातल पर तीन चौथाई पानी होने के बाद भी पीने योग्य पानी एक सीमित मात्रा में ही है। उस सीमित मात्रा के पानी का इंसान ने अंधाधुध दोहन किया है। नदी, तालाबों और झरनों को पहले ही हम कैमिकल की भेंट चढ़ा चुके हैं, जो बचा खुचा है उसे अब हम अपनी अमानत समझ कर अंधाधुंध खर्च कर रहे हैं। और लोगों को पानी खर्च करने में कोई हर्ज भी नहीं क्यूंकि अगर घर के नल में पानी नहीं आता तो वह पानी का टैंकर मंगवा लेते हैं। सीधी सी बात है पानी की कीमत को आज भी आदमी नहीं समझ पाया है क्यूंकि सबको लगता है आज अगर यह नहीं है तो कल तो मिल ही जाएगा।
पर हालात हर जगह एक जैसे कहां होते हैं? अगर हम भारत की बात करें तो देखेंगे कि एक तरफ दिल्ली, मुंबई जैसे महानगर हैं जहां पानी की किल्लत तो है पर फिर भी यहां पानी की समस्या विकराल रुप में नहीं है। यहां पानी के लिए जिंदगी दांव पर नहीं लगती पर देश के कुछ ऐसे राज्य भी हैं जहां आज तक जिंदगियां पानी की वजह से दम तोड़ती नजर आती हैं। राजस्थान, जैसलमेर और अन्य रेगिस्तानी इलाकों में पानी आदमी की जान से भी ज़्यादा कीमती है। पीने का पानी इन इलाकों में बड़ी कठिनाई से मिलता है। कई कई किलोमीटर चल कर इन प्रदेशों की महिलाएं पीने का पानी लाती हैं। इनकी जिंदगी का एक अहम समय पानी की जद्दोजहद में ही बीत जाता है।
समय आ गया है जब हम वर्षा का पानी अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करें। बारिश की एक-एक बूँद कीमती है। इन्हें सहेजना बहुत ही आवश्यक है। यदि अभी पानी नहीं सहेजा गया, तो संभव है पानी केवल हमारी आँखों में ही बच पाएगा। पहले कहा गया था कि हमारा देश वह देश है जिसकी गोदी में हज़ारों नदियाँ खेलती थी, आज वे नदियाँ हज़ारों में से केवल सैकड़ों में ही बची हैं। कहाँ गई वे नदियाँ, कोई नहीं बता सकता। नदियों की बात छोड़ दो, हमारे गाँव-मोहल्लों से तालाब आज गायब हो गए हैं, इनके रख-रखाव और संरक्षण के विषय में बहुत कम कार्य किया गया है।
पानी का महत्व भारत के लिए कितना है यह हम इसी बात से जान सकते हैं कि हमारी भाषा में पानी के कितने अधिक मुहावरे हैं। आज पानी की स्थिति देखकर हमारे चेहरों का पानी तो उतर ही गया है, मरने के लिए भी अब चुल्लू भर पानी भी नहीं बचा, अब तो शर्म से चेहरा भी पानी-पानी नहीं होता, हमने बहुतों को पानी पिलाया, पर अब पानी हमें रुलाएगा, यह तय है। सोचो तो वह रोना कैसा होगा, जब हमारी आँखों में ही पानी नहीं रहेगा? वह दिन दूर नहीं, जब सारा पानी हमारी आँखों के सामने से बह जाएगा और हम कुछ नहीं कर पाएँगे।
लेकिन कहा है ना कि आस का दामन कभी नहीं छूटना चाहिए तो ईश्वर से यही कामना है कि वह दिन कभी न आए जब इंसान को पानी की कमी हो।
लेकिन कहा है ना कि आस का दामन कभी नहीं छूटना चाहिए तो ईश्वर से यही कामना है कि वह दिन कभी न आए जब इंसान को पानी की कमी हो। विज्ञान और पर्यावरण के ज्ञान से मानव ने जो प्रगति की है उसे प्रकृति संरक्षण में लगाना भी ज़रूरी है। पिछले सालों में तमिलनाडु ने वर्षाजल संरक्षण कर जो मिसाल कायम की है उसे सारे देश में विकसित करने की आवश्यकता है।
ऐसा नहीं है कि पानी की समस्या से हम जीत नहीं सकते। अगर सही ढ़ंग से पानी का सरंक्षण किया जाए और जितना हो सके पानी को बर्बाद करने से रोका जाए तो इस समस्या का समाधान बेहद आसान हो जाएगा। लेकिन इसके लिए जरुरत है जागरुकता की। एक ऐसी जागरुकता की जिसमें छोटे से छोटे बच्चे से लेकर बड़े बूढ़े भी पानी को बचाना अपना धर्म समझें। आप पानी को बचाने के लिए कौन से क़दम उठाते हैं? आपका एक छोटा सा प्रयास कईयों की प्यास बुझा सकता है, तो लिखिए अपने टिप्स, सलाह और कार्य जिनसे आपको लगता है पानी बचाया जा सकता है।

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