क्या कहू

-- इतवार था आज...--
बेड पर लेटा मैं लैपटाप पेट पर रखे ऊंघ रहा था...
तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी..
खोला तो देखा एक लड़की खड़ी थी...
उम्र क्या कोई 12-13 की होगी..
मेरे पूछने से पूर्व वो बोल पड़ी
"अम्मा बीमार है आज खाना, झाडूं पोछा मै कर देती हूं"
मैने पहली बार ऐसा देखा था,इससे पहले ऐसा कुछ नहीं हुआ था..
मैने मुस्कुरा कर कहा... नहीं बेटा तुम जाओ...कोई बात नही..
वो कुछ देर सोचती रही फिर मुड़कर सीढियो पर नीचे चली गई...
मै वापस आकर लेट गया..
कुछ चीजें सिर्फ एहसास नहीं कराती अंदर तक झकझोर देतीं है...
जाने कैसी कैसी ‪#‎मजबूरियां‬ होती है लोगो की...
ये बच्ची आज कितनें घरो में जाकर पूछेगी..
कितनों के काम करेगी..
एक दिन ... इस एक दिन से आपको या मुझे शायद फर्क नही पड़ता पर कुछ लोगो की ‪#‎जिंदगी‬ इधर से उधर हो जाती है...
मै ये सब सोच ही रहा था कि दरवाजे पर फिर दस्तक हुई...
उठकर देखा तो वही लड़की खड़ी थी...
थोड़ी परेशान थी... शायद सीढ़ियों पर दौड़कर आयी थी हांफते हुऐ बोली...
"बाबूजी पगार तो नहीं काटोगे ना?"
इतवार था आज...

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