सहिष्णुता

..सहिष्णुता और कायरता में ज़रा सा फ़र्क है.. इस मुल्क के हर नागरिक को थोड़ा सहिष्णु होना चाहिए, ज़रूरी है.. पर बहुत ज्यादा सहिष्णु होना आपको कायर बना सकता है.. असहनीय को भी सहन करना सहिष्णुता नहीं, कायरता है.. अन्याय को सहन करना सहिष्णुता नहीं, अपराध है.. ।
..अग़र कोई किसी के साथ ग़लत करे ही नहीं, तो किसी को भी सहन करने की ज़रूरत ही नहीं पड़े.. इस मुल्क को सहिष्णुता के साथ-साथ नैतिकता, ईमानदारी, सही न्याय और कानून व्यवस्था की भी ज़रूरत है.. अब या तो एक-दुसरे पर असहिष्णुता के आरोप लगाकर हम असहिष्णुता बढ़ा सकते हैं.. या फ़िर कुछ सार्थक कर सकते हैं... ।।

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