पुलिस की छवि

पुलिस और समाज का एक अटूट रिश्ता है| हर नागरिक को कहीं ना कहीं पुलिस की ज़रूरत पड़ती हॆ, हमारे संविधान में भी पुलिस को एक महत्वपूर्ण दर्ज़ा दिया गया है| पुलिस का काम है समाज मे शांति बनाए रखना और अगर कोई इस शांति को नुकसान करता है तो उसे पकड़कर क़ानून के हवाले करना | अगर आदर्श रूप से देखें तो पुलिस का काम बहुत ही नेक काम है| पिछले कुछ समय में पुलिस की छवि को बहुत नुकसान पहुचा है | जैसा की हर जगह होता है, पुलिस में भी कुछ असामाजिक लोग हैं जिनके कारण पूरा पुलिस समाज बदनाम हो रहा है | दूसरा पुलिस का काम कुछ ऐसा है के वो किसी ना किसी की नज़र में तो बुरे बन ही जाते हैं | अगर दो लोग आपस में लड़ रहे हैं और पुलिस उनको शांत करवाने जाती है तो सीधी सी बात है दोनो में से एक तो नाराज़ होगा ही | हो सकता है दोनों को ही पुलिस की बात बुरी लगे |और बस यहीं से शुरू होती है पुलिस की छवि खराब होनी | एक और कारण है पुलिस की खराब छवि का; राजनैतिक दबाव, जैसे ही कोई ईमानदार पुलिस वाला कुछ करना शुरू करता है उसके उपर राजनैतिक दवाब बनना शुरू हो जाता है| चाहते हुए भी काम नहीं कर पाते और नाम बदनाम होता है पुलिस का | इसी समय पर हम ये भी मानते हैं के कई बार पुलिस की ग़लती होती भी है| जैसे काम के प्रति समर्पण ना होना चाहे उसके पीछे कारण कुछ भी हो, पर हमें समझना होगा के सारी कमियों के बावजूद पुलिस की भूमिका को हम में से कोई नहीं नकार सकता| पुलिस का सिर्फ़ आस पास होना भर ही काफ़ी होता है अपराध को रोकने के लिए | सोचके भी डर लगता है के अगर एक दिन के लिए भी सभी पुलिसवाले हड़ताल या छुट्टी पर चलें जायें तो क्या होगा हमारे समाज का,जब हम घरों में आराम से रज़ाई में सो रहे होते हैं, तो ये ही पुलिसवाले, जिन्हे हम बुरा भला कहते हैं, रात भर सड़क पर खड़े होकर हमारी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पूरी कर रहे होते हैं | हमें जब कोहरे में बाहर जाते हुए डर लगता है, पुलिसवाले सड़क पर होते हैं हमारी रक्षा में| ना दूर दूर तक कोई इंसान होता है ना कोई चाय-पानी वाले  ना कोई और, पर पुलिस वाले तैनात होते हैं| पिछले कुछ समय से पुलिस के जवानों पर हमलों की घटनायें बढ़ती ही जा रही ह ट्रॅफिक पुलिस के जवानों को अक्सर घायल कर दिया जाता है उनकी ड्यूटी पर| क्यों? क्योंकि वो अपनी ड्यूटी कर रहे हैं? कभी सोचा है वो किसके लिए करते हैं ये सब? अगर आप सड़क पर सुरक्षित रहें तो इसमे पुलिसवाले का क्या फ़ायदा है? वो बिना अपनी और अपने परिवार की परवाह करे, हमारी सुरक्षा करते हैं और बदले में क्या मिलता है? जो थोड़े सभ्य हैं वो गालियाँ देते हैं, जो थोड़े बदमाश टाइप के होते हैं वो पुलिसवालों पर ही हमला करते हैं! शर्म आती है ये सब देख के| क्या लगता है हमें? पुलिसवाले इंसान नहीं? उनका घर-परिवार नहीं? जब पुलिस पर हमले होते हैं तो किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता पर अगर पुलिस कभी सख़्त होके कुछ करना चाहे तो मानवाधिकार वाले और अन्य संस्था वाले लोग उनके आगे आके खड़े हो जाते हैं| क्यूँ? जब पुलिस वाले मरते हैं तो क्या आप आँखें बंद कर लेते हैं? पुलिसवालों की जान की कीमत क्या कुछ कम होती है बाकी लोगों से? पुलिसवालों के मानवाधिकारों की बात कोई नहीं करता| हमें सोचना होगा के हम ऐसा अलग बर्ताव क्यूँ करते हैं पुलिसवालों के साथ? हमें समझना होगा और पुलिस के साथ मिलके काम करना होगा| हमें समझना होगा के पुलिसवाले भी इंसान होते हैं, उनका भी घर-परिवार  hote h..

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