yesh chopra ji.....

बॉलीवुड के जानेमाने फिल्म निर्माता यश चोपड़ा का रविवार को निधन हो गया। मुंबई के लीलावती अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। वह पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। यश चोपड़ा के निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई है। 

27 सितंबर 1932 को लाहौर में जन्मे यश चोपड़ा की पहचान किंग ऑफ रोमास की रही है। कई सफल फिल्मों को डायरेक्ट करने वाले यश चोपड़ा ने कुछ दिन पहले ही शाहरुख खान स्टारर [जब तक है जान] के बाद रिटायर होने की घोषणा की थी। 

यश चोपड़ा ने कुछ दिन पहले अपना 80वा जन्म दिन मनाया था। इस अवसर पर उन्होंने अपनी रिटायरमेंट की घोषणा कर सभी को हैरान कर दिया था। उन्होंने कहा था कि [जब तक है जान] बतौर डायरेक्टर उनकी आखिरी फिल्म होगी। इस फिल्म के रिलीज होने के पहले ही वह इस दुनिया को छोड़कर चले गए।

आई.एस चोपड़ा और अपने भाई बी.आर चोपड़ा के साथ असिस्टेंट डायरेक्टर शुरुआत करने वाले यश चोपड़ा ने भारतीय सिनेमा को कई यादगार फिल्में दीं। 1973 में यश राज फिल्म्स नाम से अपनी प्रॉडक्शन कंपनी खोलने के बाद उन्होंने इंडस्ट्री को न सिर्फ कई हिट फिल्में दीं, बल्कि कई स्टार भी दिए। 1975 में आई उनकी फिल्म दीवार ही थी, जिसने अमिताभ बच्चन को एंग्री यंग मैन के तौर पर स्थापित किया। उन्होंने एक के बाद एक कई हिट फिल्में दीं। 1993 में आई उनकी फिल्म डर से ही शाहरुख खान ने कामयाबी की नई ऊंचाइयों का छुआ।  गौरतलब है कि यश चोपड़ा ने बतौर डायरेक्टर 22 फिल्में बनाईं। 'धूल का फूल' से लेकर अगले महीने रिलीज होने जा रही 'जब तक है जान' तक पांच दशक के फिल्मी सफर में उन्होंने हमेशा सामयिक प्रसंगों को अपनी कहानी का विषय चुना। उन्होंने हमेशा प्रयोग किए और सुपर हिट फिल्में दीं। भूकंप में बिछड़े परिवार के पुनर्मिलन पर आधारित 'वक्त' जैसी मल्टिस्टारर(बलराज साहनी, राज कुमार, सुनील दत्त, शशि कपूर, साधना और शर्मिला टैगोर) फिल्म बनाई, तो बिना किसी गाने के 'इत्तेफाक' जैसी क्राइम थ्रिलर बनाकर लोगों को चौंका दिया।  80 की उम्र में भी उनका दिल सदाबहार था और उनकी फिल्मों की रूमानियत अगर युवा वर्ग के दिलों को गहरे तक छू जाती थीं, तो इसलिए कि वह युवाओं की नब्ज पहचानते थे। 'डर' और 'दिल तो पागल है' इसका सबूत हैं। 'इत्तफाक' और 'दाग' में उन्होंने राजेश खन्ना को एक नए अंदाज में पेश किया, तो 'काला पत्थर' में अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा की टक्कर दिखाई। 'दीवार' में उन्होंने अमिताभ की ऐंग्री यंगमैन की इमेज को उभारा, तो शशि कपूर के माध्यम से 'मेरे पास मां है' को यादगार संवाद बना दिया। अमिताभ अभिनीत 'कभी-कभी' और 'सिलसिला' सिनेमाई रोमांस की एक मिसाल है।   'सिलसिला' में अमिताभ बच्चन और रेखा पर फिल्माए गए रोमांटिक गीत 'देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए' में स्विट्जरलैंड की वादियों को यश चोपड़ा ने इतनी खूबसूरती से पेश किया कि स्विट्जरलैंड ने उन्हें न केवल अपना सांस्कृतिक दूत घोषित किया, बल्कि वहां एक रेलवे स्टेशन को उनका नाम देकर उन्हें सम्मानित किया। भारत में सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान 'दादा साहेब फाल्के पुरस्कार' से भी उन्हें नवाजा गया। , अविभाजित पंजाब में 27 सितंबर 1932 को जन्मे यश चोपड़ा इंजिनियरिंग के छात्र थे। पिता चाहते थे कि बेटा आईसीएस बने और उन्हें लंदन भेजने की तैयारी की, लेकिन यश ने पत्रकार से फिल्मकार बने बड़े भाई बी. आर. चोपड़ा की तरह फिल्मों में आने का शौक पाल लिया। मां से आर्शीवाद लिए और जेब में 200 रुपये लेकर मुंबई आ पहुंचे। पहले आई. एस. जौहर और बाद में बी. आर. चोपड़ा के साथ असिस्टेंट डायरेक्टर रहे। साहिर लुधियानवी के जबर्दस्त फैन थे और खुद भी थोड़ी-बहुत शायरी कर लेते थे। मीना कुमारी को अपने कुछ शेर सुनाए तो वह काफी प्रभावित हुईं। उन्होंने अच्छी शक्ल-सूरत वाले यश को हीरो बनने की सलाह दी और कुछ प्रड्यूसर्स से उनकी सिफारिश भी की, लेकिन वैजयंतीमाला ने डायरेक्टर बनने का सुझाव दिया और बी. आर. चोपड़ा ने 'धूल का फूल' के डायरेक्शन की बागडोर उन्हें सौंप दी। 'दाग' से उन्होंने अपने खुद के बैनर यशराज फिल्मस की शुरुआत की।  अमिताभ बच्चन के जन्मदिन की पूर्वसंध्या पर 10 अक्टूबर को फिल्म सिटी में आयोजित समारोह में उन्होंने पत्नी पामेला के साथ बड़े उत्साह से भाग लिया था, मगर अगली ही सुबह उनकी तबीयत बिगड़ गई। यश चोपड़ा ने 27 सितंबर को ही अपना 80वां जन्मदिन मनाया था और दिवाली पर 13 नवंबर को रिलीज होने जा रही 'जब तक है जान' के साथ रिटायर होने की सार्वजनिक घोषणा कर उन्होंने सबको चौंका दिया था।

 उन्होंने यह कहकर अपने प्रशंसकों को उदास भी कर दिया था कि बतौर डायरेक्टर यह उनकी अंतिम फिल्म होगी। 'जब तक है जान' का कुछ काम अधूरा बचा था और फिल्म का एक गीत पिक्चराइज करने के लिए उन्होंने शाहरुख खान और कटरीना कैफ के साथ स्विट्जरलैंड जाने का प्रोग्राम बनाया था, लेकिन इसी बीच डेंगू की चपेट में आ गए।  

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