लक्ष्य
जब तक आपके जीवन के सभी प्रकार के उद्देश्य; निश्चित और पूर्ब-निर्धारित नहीं होंगे; आप एक निश्चित दिशा में सोच ही नहीं सकते हैं !
इससे आपका मन बैचेन और चलायमान ही रहेगा !"
इस प्रकार आप हर-दम अलग-अलग सोचोगे और किसी भी बात पर अंतिम निर्णय कर ही नहीं पाएंगे !
● यह ही मुख्य तरीका है; अपने जीवन को आगे बढ़ाने का !
● हम मन को निश्चित दिशा में सोचने को मजबूर तभी कर पाएंगे; जब हम धैर्य के साथ छोटे-छोटे उद्देश्यों पर आगे बढ़ने को तैयार होंगे !
● हमें स्वीकार करना होगा; कि कोई भी एक दम से सभी इच्छाएँ, और आशाएँ पूर्ण नहीं कर सकता !
हम जितना तेज भागना चाहेंगे; उतना ही ज्यादा असफल होंगे !
अतः तेज भागने की बजाय धीरे-धीरे सोचे-समझे कदम बढाओ, सीढ़ी-दर-सीढ़ी आगे बढ़ो !
इससे आप हर स्तर पर कुछ नया अनुभव प्राप्त करते जाओगे; जो कि आपके अगले कदम (योजना) के मार्गदर्शक बनेंगे !
इस प्रकार आपका मन स्थिर और तनाब-मुक्त भी रहेगा !
● इन्हीं छोटे-छोटे क़दमों को; आप अपने लक्ष्य कह सकते हैं; जो कि मिलकर आपके बड़े लक्ष्य बनकर आपको स्थाई कामयाबी के शिखर तक ले जाने की पूर्ण क्षमता रखते हैं !
● जब भी लक्ष्य बनाएँ; उद्देश्यपूर्ण होने चाहिए तथा साथ ही सही दिशा में हों और समय-सीमा निश्चित करनी चाहिए !
● उद्देश्यों पर अनुशासन के साथ तभी चल पाएंगे; जब आपके उद्देश्य लिखित में हों !
● लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिए योजना बनाएँ, और आगे बढ़ें; आप जरूर सफ़ल होंगे ! ।
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