फ़ितरत
.... ट्रेन का शोर डिस्टर्ब नही करता तो खर्राटे क्यों करते हैं?
)) मेरा एक मित्र लंबी ट्रेन यात्रा करके घर पहुंचते ही खड़े खड़े सोफे में गिर गया। मैंने कहा ऐसी क्या थकान हो गई यार। उसने कहा यार रात भर सो नहीं पाया क्योंकि बगल वाली सीट में एक महिला के खर्राटों ने रातभर सोने नहीं दिया।
)) मैंने कहा यार ठीक है एसी में बैठे थे पर ट्रेन भी तो चलते वक्त आवाज कर ही रही होगी, दूसरी ट्रेन जब क्रॉस होती होंगी तब भी तो आवाज आती होगी, तो सिर्फ खर्राटों का बहाना क्यों, ये बोलो चलती ट्रेन में नींद नहीं आती। दोस्त बोला नहीं ट्रेन की आवाज डिस्टर्ब नहीं करती उसकी तो आदत होती है।
)) मैंने ध्यान से सोचा वाकई ट्रेन की आवाज ज्यादातर लोगों को नींद में डिस्टर्ब नहीं करती। मुंबई में तो लोकल हर मिनट निकलती है फिर भी लोग सालों साल रेलवे लाइन के किनारे अपार्टमेंट में रहते हैं, मजे से सोते हैं। मेरे एक रिश्तेदार जुहू बीच के पास रहते हैं और उनके घर रात भर बोइंग और जंबो एयरक्रॉफ्ट की आवाजें आती हैं पर वो मजे से सोते हैं। दरअसल ट्रेन की आवाज उसका स्वाभाविक गुण है इसलिए उस आवाज में लोगों को नींद आ जाती है, पर उससे कम तीव्रता वाले खर्राटे लोगों को डिस्टर्ब करते हैं और नींद में खलल डालते हैं। क्योंकि खर्राटे आना किसी का मूल स्वभाव या स्वाभाविक गुण नहीं हो सकता वो शारीरिक परेशानी की वजह से आते हैं।
)) जैसे करेला कड़वा लगने के बावजूद हम उसे खाते हैं क्योंकि हमें मालूम है कि कड़वाहट करेले का मूल गुण है, पर अगर खीरा या ककड़ी कड़वी लगे तो हम उसे तुरंत उगल देते हैं क्योंकि खीरे का कड़वा होना उसका मूल स्वाद नहीं है, बल्कि खराब होने का प्रमाण है।
... तो मॉरल ऑफ द स्टोरी यही है स्वाभाविक गुण ही दरअसल आपके व्यक्तित्व का आइना होते हैं। नफरत और बेईमानी किसी भी व्यक्ति या शख्स का स्वाभाविक गुण नहीं होते वो प्रकृति पदत्त नहीं हैं इसलिए इन्हें Deformity या अवगुण कहा जाता है। कड़वी ककड़ी की तरह इसका पता भी जल्दी लग जाता है।...
... और इसलिए नफरती बात कहना, नफरती काम करना या लिखावट में नफरत उगलने को अपना स्वभाव मत बनाइए. ये अस्वाभाविक है तुरंत पता चल जाता है और य़कीन मानिए उसके बाद कड़वे खीरे की तरह आपके करीबी आपको उगल देंगे, आपकी सेहत धोखा दे देगी, आपका परिवार भी इससे बुरी तरह प्रभावित होगा यानी सब कुछ अस्वाभाविक होगा। मान लीजिए स्वाभाविक रहिए, पानी की तरह बहिए, मूल स्वभाव को अपनाइए और हर क्षेत्र में सफलता पाइए, हर महफिल में सराहे जाइए।
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