थोड़ा जी ले
मेरे पसंदीदा और महान क्रांतिकारी कवि 'पाश' की एक कविता की पंक्तियाँ यूँ हैं..
"घर से निकलना काम पर,
और काम से लौटकर घर आना,
सबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना"
ये पंक्तियाँ इसलिए कि अक्सर हम सभी के साथ ऐसा होता है कि हम हर रोज़ के कामों में उलझकर जीना भूल जाते हैं, एक मशीन की मानिंद सुबह से रात कर देते हैं बिना ये सोचे कि गिनती के दिन मिले हैं और हम जीना भूलते जा रहे हैं, बस काट रहे हैं ज़िंदगी, जी नहीं पा रहे.
दरअसल समस्या ये नहीं कि हम सक्षम नहीं बदलने के लिए हालात, समस्या ये है कि हमारा ध्यान ही नहीं जाता कभी इस ओर. हम बस रोज़ के कामों में एक प्रोग्राम किए गए रोबोट की तरह लगे रहते हैं, और यूँ ही दिन, महीने, साल बीतते जाते हैं. जब ख़्याल आता है कि एक ज़िंदगी भी है जीने को, तो न वक़्त होता है और न ताक़त.
अक्सर अपनी सेल्स-जॉब के चलते तमाम तरह के टारगेट्स, टास्क, और कामों में इतना उलझ जाता हूँ कि ध्यान ही नहीं रहता कि ज़िंदगी भी तो है. हालाँकि हर तरह की जॉब और काम में टारगेट्स होते ही हैं फ़िर चाहे कुछ भी काम हो, लेकिन सेल्स जॉब में टारगेट्स एकदम विज़िबल होते हैं, नंबर्स दिखते हैं तो स्वाभाविक है कि स्ट्रेस और टेंशन भी ज़्यादा होती है.
कई बार होता है कि काम का स्ट्रेस होता है, लेकिन फ़िर किसी दिन अचानक मुझे याद आता है और मैं ख़ुद से कहता हूँ, कि..
"मैं ये नहीं हूँ, ये मैं हो ही नहीं सकता. मैं अपना काम कर सकता हूँ और अपना पूरा प्रयास कर सकता हूँ लेकिन रिज़ल्ट्स की वजह से मैं जीने को नहीं भूल सकता. काम ज़िंदगी भर रहेगा, और उतार-चढ़ाव आना लाज़िमी है लेकिन इन वजह से मैं अपने दिल और सुक़ून की आहूति नहीं दे सकता. मैं ये नहीं हूँ बॉस, मैं ज़िंदगी को जीने वालों में से हूँ, और कोई एक जॉब या काम मुझे मेरी मानसिक शांति से दूर नहीं कर सकता."
शायद महीने में एक या दो बार ऐसा होता है, और मैं ख़ुद से ये कहता हूँ और बस वापस आ जाता हूँ, और एक दिन धीरे-धीरे आप आदी हो जाते हैं जीने के अपने दिल के लिए. याद रखना ज़रूरी है कि जब स्ट्रेस और मानसिक तनाव की वजह से आप तमाम मानसिक और शारीरिक रोगों की गिरफ़्त में होंगे तो आपकी मदद कोई नहीं कर सकेगा. वो आप ही हैं जो अपनी मदद ख़ुद कर सकते हैं, अपने आज को अपने लिए जी कर और अपने दिल को सुनकर.
अंततः बस यही बाक़ी रहेगा कि आप आज कैसे जीते हैं, और क्या सोचते हैं क्यूँकि आपका आज ही आपके कल को निर्धारित करता है, और कल आप आज में वापस आकर कुछ बदल नहीं सकेंगे, इसलिए आज ही में आपको अपने दिल के लिए जीना शुरू करना होगा, अपने बैंक-बैलेंस के साथ ही अपनी ज़िंदगी के बैलेंस को भी बनाना होगा, वरना कल पैसा होगा लेकिन उसका इस्तेमाल करने के लिए या तो आप नहीं होंगे या फ़िर उसे सिर्फ़ मेडिकल बिल्स पर खर्च कर रहे होंगे.
हर पल, हर वक़्त को जीने की दरकार न हो तो क्या ही मज़ा ज़िंदगी का. जब भी कभी परेशान होने लगें या चिंता में हों तो समाधान आपकी मदद करेगा, चिंता नहीं. बस परिस्थितियों को हैंडल करने का सही तरीक़ा डेवेलप करने की ज़रूरत है, बाक़ी सब ख़ुद-ब-ख़ुद सही हो जाएगा. ❤️
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें