16 मजदूर

16_ग़रीब_और_बस..

किसी ने लिखा कि पटरी पे सोए ही क्यूँ, कोई लिख रहा था कि पटरी से हटकर भी सो सकते थे, कोई लिखा कि पैदल क्यूँ जा रहे थे घर, और भी न जाने असंवेदनशील पोस्ट्स देखे सुबह से..

16 ग़रीब मज़दूर, भूख-प्यास से लाचार, लॉकडाउन और सरकारी उपेक्षा के मारे, बस अपने घर ही जा रहे थे..थकान शायद इतनी रही हो कि पटरी पे ही सर टिकाकर सो गए ये सोचकर कि ट्रेन्स तो वैसे भी बंद ही हैं, और नींद, थकान, भूख और मजबूरी हो तो लॉजिक और कॉमन-सेंस तो मर ही चुका होता है..

दुःख होता है, गुस्सा आता है..अव्वल तो इस देश के हर ग़रीब और मजबूर पर कि इस दुनिया में जगह है भी क्या इनकी, सिर्फ़ यही कि बस खटते रहें और अमीरों को और अमीर करते रहें, सरकार का वोट-बैंक बने रहें, इससे ज़्यादा इस दुनिया में और ज़रूरत भी क्या है एक ग़रीब की..जब अर्थव्यवस्था गिरती है तो सबके पहले यही ग़रीब मरता है, जब नोटबंदी होती है तब भी यही पहले मरता है, जब बैंक अपना लोन वसूलता है तो इसी ग़रीब का घर बिकता है, जब कहीं गैस लीक होती है तो यही मरता है, जब लॉकडाउन घोषित होता है तो यही पिटता भी है, और भूखा भी यही मरता है..

वैसे भी मैं ईश्वर या अल्लाह के कंसेप्ट में नहीं भरोसा करता, लेकिन ऐसे इंसिडेंट्स ये मानने को मजबूर कर देते हैं कि ऐसा कुछ होता भी नहीं..16 लोग गाज़र-मूली की तरह कटकर मर जाते हैं, तो जिस तरह के तुम्हारे ईश्वर या ख़ुदा को क़िताबों में लिखा गया है वो ऐसा करता होगा मुझे नहीं लगता..या तो क़िताबों में लिखे गए ईश्वर-ख़ुदा की सही तस्वीर उकेरी नहीं गई, या फ़िर वो है ही नहीं..

ऐसे समाज और ऐसी दुनिया का हिस्सा होना बहुत तकलीफ़ देता है, जो एक ग़रीब से मुफ़्त की सहानुभूति भी नहीं रख सकता, तो फ़िर उसकी मदद करने की तो क्या ही अपेक्षा की जाए..ग़रीब मजदूर बस इसीलिए है कि उसके खून-पसीने से अमीर और अमीर बनते हैं, और उसका वोट सरकार बनाने के काम आता है..इसके सिवा वैसे भी इस दुनिया को ऐसे लोगों की ज़रूरत और है भी क्या..

जब आप एक ग़रीब मजदूर की बेबसी और मौत को जज करते हैं, तब ठीक उसी वक़्त आप इंसान रहते भी नहीं, आप वो हो जाते हैं जिसे इस दुनिया में होना भी नहीं चाहिए..आप कुछ कर नहीं सकते ठीक है, लेकिन अपने नेताओं और सरकार का पक्ष लेते हुए कम से कम थोड़ा संवेदनशील हो सकते हैं, लेकिन जब बाज़ार और राजनीति ही हाथ मिला चुके हों तो दुनिया में ज़िंदा सिर्फ़ भेड़िए ही रहते हैं. 

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