एक झटका
कोरोना ने एक झटके में घुटनों पर ला दिया समस्त मानव जाति को।
उड़े जा रहे थे ,कोई चाँद पर कब्जे की तैयारी कर रहा है तो कोई मंगल पर। कोई सूरज को छूने की कोशिश कर रहा है तो कोई अंतरिक्ष में आशियां ढूँढ रहा है । पड़ोसी देश एक दूसरे की जमीन को हड़पने की तैयारी में लगे है । Nuclear Power की दौड़ में विश्व को ध्वस्त करने की कोशिश में लगे हैं । कहीं धर्म के नाम पर नरसंहार चल रहा है तो कहीं जाति के नाम पर अत्याचार, मानव जाति विनाश की ओर बढ़ रही है ।
ईश्वर ने मानो एक संदेश दिया है -
"मैंने तो तुम लोगों को रहने के लिए इतनी खूबसूरत धरती दी थी । तुम लोगों ने इसे बर्बाद करके नर्क बना दिया । मेरे लिये तो आज भी सब एक छोटे से प्यारे से परिवार की तरह हो। मुझे नहीं पता कि कहां किस देश की सीमा शुरू होती है और कहां खतम होती है । ये सब तुम लोगों ने बनाया है । मुझे नहीं पता कि कौन किस धर्म व जाति का है । मैंने तो सिर्फ़ इन्सान बनाया था । क्यों एक दूसरे को मार रहे हो ? प्यार से नहीं रह सकते क्या ? संभल जाओ और सुधर जाओ । प्रकृति का सम्मान करो ।
वसुधैव कुटुंबकम की तरह रह कर तो देखो,जितना पैसा सब देश हथियारों पर लगाते है उतना प्रकृति को और ठीक करने के लिए लगाए तो सब ठीक हो जाएगा ।".
( बाकी थारी मर्जी )
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